"बाबा नागार्जुन और निशंक"
कल उत्तराखण्ड के यशस्वी मुख्यमन्त्री डॉ.रमेश पोखरियाल "निशंक" खटीमा के भ्रमण पर आ रहे हैं!मुझे इस सन्दर्भ में बाबा नागार्जुन का एक संस्मरण याद आ रहा है!
बात1989 की है। उस समय बाबा एक माह के खटीमा प्रवास पर थे! इस अवधि में वह कई बार मेरे यहाँ भी 2-3 दिनों के लिए रहने के लिए आये थे!
एक दिन उन्होंने मुझे एक पुराना संस्मरण सुनाते हुए कहा था
"शास्त्री जी! उन दिनों मैं हिन्दी के प्राध्यापक वाचस्पति के यहाँ जयहरिखाल (लैंसडाउन) में प्रवास पर था! एक लड़का मेरे पास कभी-कभी कुछ कविताएँ सुनाने के लिए आता था! उसका नाम रमेश पोखरियाल था। वह "निशंक" उपनाम से कविताएँ लिखता था! "
बाबा ने आगे कहना जारी रखा और कहा-
"उसकी कविताएँ उसके शुरूआती दौर की कविताएँ थी, जिनमें कुछ कविताएँ तो बहुत अच्छी थीं। लेकिन कुछ कविताएँ बहुत सारा संशोधन चाहतीं थी। जो कविताएँ मुझे अच्छी लगतीं थी मैं उन पर उसे जी भरकर दाद दिया करता था। लेकिन जो कविताएँ मुझे अच्छी नहीं लगतीं थी उनको सुनकर मैं केवल हाँ - हूँ कर देता था! फिर भी वह लड़का मुझे बहुत प्रतिभाशाली लगता था।"
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आज मैं कह सकता हूँ कि वह नवयुवक निश्चितरूप से डॉ. रमेश पोशरियाल निशंक ही रहे होंगे। जो आज उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री के पद को सुशोभित कर रहे हैं।
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जब मुझे सन् 2008 में बनारस जाने का सौभाग्य मिला तो मैं अपने मित्र वाचस्पति के घर भी गया था! उस समय डॉ. रमेश पोशरियाल निशंक उत्तराखण्ड सरकार में स्वास्थ्यमन्त्री थे। तब हिन्दी के प्रोफेसर वाचस्पति ने भी मुझे यही बताया था कि 1885-86 में रमेश पोखरियाल निशंक नाम का एक नवयुवक हमारे घर बाबा नागार्जुन से मिलने के लिए आया करता था। सुना है कि आज वह उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री है। तब मैंने उन्हें बताया था कि डॉ. रमेश पोशरियाल निशंक उत्तराखण्ड के स्वास्थ्यमन्त्री है। इस बात को सुन कर वह बहुत प्रसन्न नजर आये! उस अवधि में मैंने उनसे कहा कि आप मेरे साथ देहरादून चलें । मैं उत्तराखण्ड सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य हूँ! भेंट करने में आसानी हो जाएगी। लेकिन वह समय कभी नहीं आया।
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बाबा का सुनाया हुआ यह संस्मरण मैं जब भी याद करता हूँ तो मुझे आभास होता है कि बाबा ने जिसे भी अपना आशीर्वाद दिया वह मुझे ऊँचाइयों की बुलन्दी पर पहुँचा हुआ मिला।
बहुत अच्छा लगा आपका यह संस्मरण पढकर।
जवाब देंहटाएं.... बाबा का सुनाया हुआ यह संस्मरण मैं जब बी याद करता हूँ तो मुझे आभास होता है कि बाबा ने जिसे भी अपना आसीर्वाद दिया वह मुझे ऊँचाइयों की बुलन्दी पर पहुँचा हुआ मिला।
बहुत सुन्दर संस्मरण्।
जवाब देंहटाएंHey Find A good Site About bright eyes drops Tips [url=http://brighteyesdrops.com ]bright eyes drops [/url]
जवाब देंहटाएंसुखद और सुन्दर संस्मरण.अच्छे लोगों के आशीर्वाद काम आते हैं.
जवाब देंहटाएंबाबा घुमक्कड तो थे ही
जवाब देंहटाएंकाश मुझे भी उनका आशीर्वाद मिला होता।
अच्छा लगा संस्मरन। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी कितने सारे संस्मरण समेटे हैं आप अपने साथ! वाकई आप के साथ रह कर अभी और भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा हम लोगों को|
जवाब देंहटाएंसद्पुरुषों का सान्निध्य सहजता से प्राप्त नहीं होता और जब होता है,तो उसका सुफल भी निश्चित है।
जवाब देंहटाएंHi,
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