एक बहेलिया बाजार में घूम रहा था। उसके पास दो तोतों के पिंजड़े थे। दोनों में एक से ही तोते बन्द थे और समान आयु के ही लगते थे।
बहेलिए के पास जो भी ग्राहक आता वह उनकी कीमत सुनकर आगे बढ़ जाता था।
अन्त में एक धनी ग्राहक आया। उसने बहेलिए से इन तोतों की कीमत पूछी।
बहेलिए ने कहा- "यह तोता 100 रुपये का है।"
ग्राहक ने पूछा- "और यह तोता कितने का है?"
बहेलिए ने उत्तर दिया- "यह तोता 20 रुपये का है।"
धनी ग्राहक ने जब इसका कारण पूछा तो बहेलिए ने कहा- "साहब इन दोनो को अपने साथ घर ले जाइए। आपको इनका अन्तर पता लग जायेगा।"
धनी ग्राहक कीमत देकर खुशी-खुशी दोनों तोतों को अपने घर ले आया।
अगले दिन जब सुबह को यह धनी व्यक्ति सोकर उठा तो सवसे पहले वो 100 रुपये वाले तोते के पास गया।
तोता उससे बड़ी मीठी वाणी में बोला- "स्वागतम! आपका दिन शुभ हो!!"
धनी व्यक्ति तोते की वाणी सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ।
अब यह उत्सुकतावश् 20 रुपये वाले तोते के पास गया। यह तोता इसे देखते ही चिल्लाने लगाः "कमीने! हरामी!! मैं तेरा खून पी जाऊँगा।"
धनी व्यक्ति यह नज़ारा देखकर दंग रह गया। उसने अपने नौकरों से इसे मार डालने का आदेश दिया।
इस पर 100 रुपये वाले तोते ने कहा- "मालिक साहब! इसे मारिए मत, यह मेरा भाई है। मैं आपके पास आने से पहले एक साधू के पास रहता था। लेकिन दुर्भाग्यवश् इसे एक डाकू पकड़कर ले गया था। बुरी संगति के कारण ही यह ऐसे बोलता है।"
इस तोते ने आगे कहा- "शठ् सुधरहिं सत् संगति पाई। अब यह मेरी संगति पाकर सुधर जायेगा।"
अब दोनों तोतों के मूल्य का अन्तर धनी व्यक्ति की समझ में आ गया था।