♥ झूठे मन्दिर की कथा ♥
जिला चम्पावत में पूर्णागिरि के शैलशिखर पर
माता पूर्णागिरि विराजमान हैं
और कलकल निनाद करती हुई शारदा की पावन धारा
माँ के चरण पखार रही है!
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♥ झूठे का चढ़ाया हुआ मन्दिर ♥
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माँ पूर्णागिरि के महात्मय को सुनकर
प्राचीन समय में एक सेठ जी ने माता के दरबार में आकर
पुत्र की कामना की और प्रण किया कि
मेरे घर मे पुत्र का जन्म होगा तो
माता को सोने का मन्दिर भेंट करूँगा!
माता की कृपा से उसके घर एक पुत्र ने जन्म लिया
तब उसने ताम्बे का यह मन्दिर बनवाया।
सोने जैसा दिखाई देने के लिए
सेठ जी ने इस पर सोने का पानी चढ़वा कर
माता के दरबार में चढ़ाने के लेकर चल पड़ा!
उस समय माता जी के दरबार में जाने के लिए
मार्ग बहुत दुर्गम था।
मार्ग बहुत दुर्गम था।
इसलिए सेवकों ने टुन्नास नामक स्थान पर
इसको रख दिया और विश्राम करने लगे।
लेकिन जब विश्राम करने के बाद
सेवक इसको उठाने लगे तो
यह मन्दिर उनके तथा सेठ के
बहुत प्रयास करने पर भी यहाँ से उठा ही नही!
क्योंकि माता को झूठे की यह भेंट स्वीकार नहीं की थी
तब से यह यहीं पर धरा हुआ है!