मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को एक समृद्ध, सुसंस्कृत सिन्धी परिवार में अमृतसर में हुआ था। वे स्वच्छ जीवन के विश्वासी थे। उनकी प्रेयसी पत्नी का नाम अनिता औलिक था। वे यायावर प्रकृति के थे।
उनकी मृत्यु 3 दिसम्बर 1972 को मात्र 48 वर्ष की आयु में ही हो गयी
योगदान-
मोहन राकेश ने उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, यात्रावृत्तऔर डायरी आदि अनेक साहित्यिक विधाओं में अपनी कलम चलाई।
उपन्यास-
मोहन राकेश ने कुल छः उपन्यास लिखे।
अन्धेरे बन्द कमरे (1961), न आने वाले कल (1968) और अन्तराल (1972) प्रमुख
कहानी-संग्रह-
मोहन राकेश के 11 कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं-
अपरिचित (1957), नये बादल (1957), मवाली (1958), परमात्मा का कुत्ता (1958), इंसान के खंडहर (1958), आद्र्धा (1958), आखिरी सामान (1958), मिस पाल (1959), सुहागिनें (1961), औलाद का आकाश (1966) और एक-एक दुनिया (1969)
एकांकी-
मोहन राकेश का एक एकांकी संग्रह ‘अण्डे के छिलके तथा अन्य एकांकी’ प्रकाशित हुआ है।
नाटक-
मोहन राकेश के कुल चार नाटक प्रकाशित हुए हैं-
आषाढ़ का एक दिन (1959), लहरों के राजहंस (1963), आधे-अधूरे (1969) और गाँव तले की जमीन उनका अधूरा नाटक था।
mohan rakesh jaise moordhnya saahityakaar ka bahut umda parichya aapne diya....
जवाब देंहटाएंaap haardik badhaai k patra hain
aapka abhinandan !
mohan rakesh ji ke bare mein batane ke liye shukriya.......... humne to aashadh ke ek din .........is rachna ke bare mein hi kafi sun rakha tha aur jo kafi charchit raha.baki jankari aapse mil gayin.
जवाब देंहटाएंमोहन राकेश गजब के रचनाकार हैं। खासकर उनके नाटक, चाहे वह अषाढ का एक दिन हो अथवा आधे अधूरे, लाजबवाब हैं।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
हिन्दी की विभूतियों का परिचय दे आप बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएं'आषाढ़' के महीने में 'आषाढ़ का एक दिन' के रचयिता का परिचय देने के लिए धन्यवाद।
मोहन राकेश का कोई जवाब नहीं।
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