आज के जमाने को देख-देखकर पुराने लोग बड़े हैरान हैं। वो अक्सर कहते हैं कि इस सुराज से तो अंग्रेजों का राज बहुत अच्छा था।
घटना आज से लगभग 80 वर्ष पुरानी होगी।
मेरे पिता जी अक्सर इस घटना को सुनाते हैं। नजीबाबाद से 5-6 किमी दूर श्रवणपुर के नाम से एक गाँव है। वहाँ मेरी बुआ जी रहतीं थी। उनके ससुर जी बड़े पराक्रमी थे। वो अपनी बिरादरी के जाने माने चैधरी थे।
उन दिनों अंग्रेजी शासन था। एक अंग्रेज आफीसर बग्घी में सवार होकर गाँव के कच्चे रास्ते से सैर करने जा रहा था। मेरी बुआ जी के ससुर ने उनको कहा कि इस रास्ते में आगे कीचड़ है। इसलिए अपनी बग्गी को आगे मत ले जाओ। नही तो कीचड़ में फँस जायेगी। लेकिन अंग्रेज नही माना और आगे बढ़ गया।
कुछ दूर पर कीचड़ में उसकी बग्घी फँस गयी। वो गाँव में आया और कुछ लोगो की मदद से अपनी बग्घी को कीचड़ में से निकलवा लाया।
अब वो सीधे मेरी बुआ जी के ससुर के पास आया और उनको 25 रुपये ईनाम स्वरूप भेंट किये। जिन्होंने उसकी बग्घी को कीचड़ से निकाला था उनको भी एक-एक रुपये का ईनाम दिया।
बाद में पता लगा कि यह आफीसर जिले का डिप्टी कलेक्टर था।
इस आफीसर ने सबसे पहला काम यह किया कि उस रोड को ऊँची करा कर उसमें खड़ंजा लगवाया।
पिता जी कहते हैं कि आज ऐसे आफीसर कहाँ हैं?
आज तो नेताओं से लेकर अधिरियों तक के मुँह खून लगा है। हर काम में कमीशन व रिश्वतखोरी का बोल-बाला है। न्याय तक में भी रिश्वत का ही सिक्का चलता है। इसीलिए गरीब आदमी को न्याय नही मिल पाता है।
इससे तो लाख गुना बेहतर अंग्रेजी राज था।
mahoday ham bhi aapki baat se pure sahmat hain. hamare netaon ne angrejon ki keval buri baaten hi sikhi achhi baaten nahi sikhi .
जवाब देंहटाएंaap sahi farmaate hain
जवाब देंहटाएंbada dukh hai ki ye sach hai...............
baat to kuch had tak sahi hai ki hamein achchi baatein bhi sikhni chahiye phir chahe wo hamara dushman hi kyun na ho.....achchi baat kisi se bhi sikhi ja sakti hai aur kabhi bhi......angrejon ne chahe kitne hi julm kiye hamare desh aur nagrikon par magar ye baat to kabil-e-tarif hai........isse sabko shiksha leni chahiye.
जवाब देंहटाएंआज कल के हालात देख कर तो यही कहा जा सकता है.......आप की बात सही है.....अपनी आजादी का जब हम दुरुपयोग करेगें तो यही कहना पडे़गा....
जवाब देंहटाएंगलत तुलना कर रहे हैं आप। उस जमाने और आज की नैतिकता में फर्क आ गया है। शासक वर्ग के एक दो लोगों के व्यवहार से नहीं संपूर्णता में उसमें बहुत बड़ा बदलाव आया है। यकीन न हो तो इराक और अफगानिस्तान में अंग्रेज बहुत हैं। उनके कारनामे पता कीजिए। आज अगर अंग्रेज हमारे यहां हों तो हम भी इराक के लोगों की तरह उन्हें भगाने के लिए लड़ रहे होते।
जवाब देंहटाएंआजादी तो सब को भाती है, लेकिन आज हम आजाद है ?? यह हमारी भुल है, अग्रेजॊ के समय कानून था , ओर आज हमारे यहां जंगल का कानून है वरना हमारे देश मै किसी चीज की कमी नही.... काश एक हिटलर आये ओर १०,१५ साल मे सारी गन्दगी हटा दे. कोई ओर दुसरा रास्ता नही इस गन्दगी कॊ साफ़ करने के लिये
जवाब देंहटाएंराज भाटियाजी ने सही कहा है कोई कानून नहीं है। लेकिन इसकी वजह क्या है। इसकी वजह है सार्वजनिक जीवन में बढ़ता भ्रष्टाचार और उससे भी पहले समाज में जारी पैसों की होड़। यह समाज पैसों पर टिका है। इस व्यवस्था का शुद्ध राजनीतिक नाम पूंजीवाद है। पूंजीवाद खुद पैसों की होड़ शुरू करता है। लेकिन एक सीमा के बाद यह होड़ हर काम, व्यवस्था, कानून को तोड़ने-मरोड़ने लगती है। इसलिए यह समझना कि हिटलर आ जाएगा तो कोई समाधान हो जाएगा निरी बेवकूफी है। हिटलर इस समस्या का एक नया ही समाधान बताता है। उसके अनुसार इस सारी अव्यवस्था का कारण एक खास कौम या समुदाय है। क्या आप समस्या की जड़ यानी पैसों की अंधी होड़ को खत्म करना चाहेंगे या हिटलर के अनुसार किसी खास कौम या समुदाय को? किसी विचार को समर्थन करने से पहले समस्या की जड़ और उस खास विचार के बारे में जान लेना अच्छा रहता है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हिटलर का नाम मानवता के दुश्मन के रूप में इतिहास में दर्ज है।
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