आतंकवादी सीमा पार से आते हैं, कुछ पकड़े जाते है और कुछ मारे जाते हैं। कुछ जघन्य काण्ड करने में सफल भी हो जाते हैं। आखिर ये इतना बड़ा जोखिम क्यों उठाते हैं?
एक झील के किनारे एक आम का पेड़ था। उस पेड़ पर एक बन्दर रहता था और झील में एक मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था।
जब पेड़ पर आम के फल आते थे तो बन्दर उन फलों को खाता था। कुछ आम वो झील में भी गिरा देता था। जिन्हें मगरमच्छ बड़े चाव से खाता था।
धीरे-धीरे वो दोनों अच्छे मित्र बन गये। एक दिन मगरमच्छ ने कुछ आम अपनी पत्नी को भी दिये। आम बहुत मीठे और रसीले थे । मगरमच्छ की पत्नी को वो बहुत अच्छे लगे। उसने अपने पति से कहा कि ये बन्दर इतने मीठे आम खाता है तो इसका दिल तो बहुत मीठा होगा।
उसने मगरमच्छ से कहा- ‘‘मैं तो अब बन्दर का दिल खाकर ही मानूँगी। अन्यथा अपने प्राण त्याग दूँगी’’
मगरमच्छ ने अपनी पत्नी से कहा- "बन्दर हमारा मित्र है हमें उसके साथ ऐसा सुलूक नही करना चाहिए।"
किन्तु पत्नी की हठ के आगे मगरमच्छ की एक न चली। अतः वह बन्दर को अपनी पत्नी के सामने लाने के लिए तैयार हो गया।
वह दुखी मन से बन्दर के पास गया और उससे कहने लगा- ‘‘मित्र! तुम रोज ही हमें मीठे आम खाने को देते हो। आज हमारी पत्नी ने तुम्हारी दावत की है।’’
बन्दर ने मगरमच्छ की दावत स्वीकार कर ली और वो मगरमच्छ की पीठ पर सवार हो गया।
जैसे ही मगरमच्छ बीच झील में पहुँचा तो उसने बन्दर से कहा कि मित्र तुम बहुत मीठे-मीठे आम खाते हो। तुम्हारा दिल तो बहुत मीठा होगा। आज मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है।
बन्दर ने इस विपत्ति के समय अपना धैर्य नही खोया और वह तुरन्त मगरमच्छ से बोला- ‘‘मित्र! आपने पहले क्यों नही बताया? हम तो उछल-कूद करने वाले प्राणी ठहरे। दिल को झटका न लगे। इसलिए अपने दिल को पेड़ पर ही टाँग देते है। यदि मेरा दिल चाहिए तो मुझे वापिस पेड़ के पास ले चलो। मैं अपना दिल साथ में ले आता हूँ।’’
मूर्ख मगरमच्छ ने बन्दर की बात पर विश्वास कर लिया और उसे जैसे ही पेड़ के पास लाया। बन्दर ने छलांग लगाई और पेड़ पर चढ़ गया।
बन्दर ने मगरमच्छ से कहा- "मूर्ख! कहीं दिल भी पेड़ पर लटका करते हैं।"
कहने का तात्पर्य यह है कि पाप का बाप लोभ होता है।
एक ओर तो मगरमच्छ और उसकी पत्नी को बन्दर खाने का लोभ था तो दूसरी ओर बन्दर को दावत खाने का लोभ था।
दूसरी शिक्षा इस कहानी से यह मिलती है कि यदि प्राण संकट में भी हों तो धैर्य और बुद्धि से काम लेना चाहिए।
अब तो आप समझ ही गये होंगे कि ‘‘पाप का बाप कौन होता है।’’
bahuy hee badiya prerak kahani hai bahut bahut badhaai
जवाब देंहटाएंprernadayi kahani hai.
जवाब देंहटाएंwaah waah
जवाब देंहटाएंchalo ek naya doha rachte hain :
paap lobh ka putra hai, lobh paap ka baap
isee baap k karan jag me faila hai santaap
SIYAVAR RAAMCHANDRA KI JAY
बहुत प्रेरक प्रसंग है।
जवाब देंहटाएंबधाई।
kuchh baatein saamjh me aayee par zara confusion bhi ho gaya...bhaav itna spasht nahi hai...
जवाब देंहटाएंwww.pyasasajal.blogspot.com