बन्दर मोटर साइकिल पर बैठ गया।
खटीमा से 1 किमी की दूरी पर घना जंगल शुरू हो जाता है। उसमें बन्दर बहुतायत से पाये जाते हैं। लगभग एक वर्ष से श्रीमती जी के आग्रह पर मैं प्रत्येक मंगलवार को मोटर साइकिल पर बैठ कर इनको चना, गुड़ और केला खिलाने जाता हूँ।
एक माह तक यह क्रम चलने के बाद इस जंगल में मेरी दोस्ती एक बन्दर से हो गयी। मुझे देखते ही यह मेरे पास चला आता था और जब तक मैं अन्य बन्दरों को चना, गुड़ और केला खिलाता था, यह मेरे साथ ही साथ रहता था। जबकि अन्य बन्दर मुझसे डरते थे और अपना हिस्सा लेकर चले जाते थे।
एक दिन तो हद ही हो गयी। जब मैं अन्य बन्दरों को चना, गुड़ और केला खिला कर वापिस लौटने लगा तो यह मेरी मोटर साइकिल पर आगे की ओर टंकी पर बैठ गया।
अब तो इसका यह नियम बन गया है। हर मंगलवार को यह मेरे साथ मोटर-साइकिल की सवारी करता है और बस्ती आने से पहले ही मोटर साइकिल से उतर कर वापिस जंगल में चला जाता है।
प्यार में कितनी ताकत है, इसका मुझे आभास हो गया है।
दिल में अगर सच्चा प्यार हो तो जानवर भी मित्र बन जाते हैं।
shai kha janvar dost ban jatey hai,aur woh dosto ki peeth main chura nahin gohptey,bina bhasha ke yeh sacchey dost hain.
जवाब देंहटाएंkya khoob likha hai aapne......insaan hi ye nhi samajh pata wo to unse bhi gaya gujra hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा जी आपने. आखिर ये ही सच्चे और निस्वार्थ दोस्त हो सकते हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मगर फोटो कहाँ है ?
जवाब देंहटाएंअरविंद जी क बात का समर्थन कर रहा हूँ!
जवाब देंहटाएंजब घटना इतनी बार घट रही है
और वह मित्र भी बन गया है,
तो फ़ोटो लेना कठिन न होगा!
अगली बार फ़ोटो जरूर लीजिएगा!
हम सब भी आपके इस प्यारे मित्र को
देखना चाहते हैं!