1985 में मैंने खटीमा में राष्ट्रीय वैदिक विद्यालय की आधार-शिला रखी थी। उस समय मैंने वैदिक सामान्य ज्ञान पुस्तक के सात भाग लिखे थे।
तभी निम्न ग्यारह वैदिक मन्तव्य भी लिखे थे-
1- मन, वचन एवं कर्म में सत्य को धारण करो।
2- ईश्वर एक है। गुण तथाकर्मों के अनुसार उसके अनेक नाम हैं।
3- मन व मस्तिष्क शान्त होने पर ही चित्त एकाग्र होता है, तभी ईश्वर की प्रार्थना उपासना करनी चाहिए।
4- माता-पिता, गुरूजनों एवं धर्मग्रन्थों का सदैव आदर करो।
5- परस्पर सद्-व्यवहार करो, सच्चरित्र बनो तथा ईश्या-द्वेष से अपने को दूर रखो।
6- भाग्य पर भरोसा कायर करते हैं। ईश्वर केवल कर्मशील व्यक्तियों की सहायता करता है।
7- मांस, मदिरा, तम्बाकू आदि का कभी भी सेवन न करो।
8- दीन-दुखियों की सहायता करो तथा जीवों पर दया करो।
9- परिवार के सभी सदस्यों को प्यार करो और उन्हें सन्मार्ग की ओर प्रेरित करो।
10-कुछ समय अपने लिए भी निकालो। अपने को देखो, अपने को जानो।
11- सुनो सबकी, अपने विवेक से कार्य करो।
bahut hi gyanvardhak lekh aur vichar...............shukriya.
जवाब देंहटाएंaapke vicharon ko naman hai !
जवाब देंहटाएंसुन्दर वचनों से ज्ञानवर्धन करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंप्रेरक वचन ,वेदों का सरल व सारगर्भित निचोड़ .
जवाब देंहटाएंsaty aur sunder vachan agar insaam ye apna le to dunia savarag ban jaaye badhai
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