उत्तर के अखण्ड का, खण्डूरी जी पीछा छोड़ो।
राज नाथ के साथ, नई-दिल्ली से नाता जोड़ो।।
मटियामेट किया सूबे को, बिजली की भारी किल्लत।
झेल रहे हो नाहक क्यों, अपमानों की सारी जिल्लत।।
गुटबन्दी फैला दी, तुमने अपने ही दल में घर में।
हिम्मत है तो दल की खातिर, घूमों गाँव-नगर में।।
ek modern si rachna bilkul saade andaaz me...sahee baat kahi aapne
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंek sabak deti rachna.
जवाब देंहटाएंएक ललकारती रचना...
जवाब देंहटाएंआप सबको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंDevPalmistry