सन् 2002 का वाकया है। मेरे बड़े पुत्र नितिन ने कम्प्यूटर मिक्सिंग लैब की शुरूआत की थी। उसके लिए आन-लाइन डिजिटल मिक्सर खरीदने के लिए मैं दिल्ली गया।
जोना फोटो, चाँदनी चौक से यह मिक्सर खरीदा गया। उसका आदमी इसे लगाने के लिए खटीमा आया। लेकिन इसकी क्वालिटी बहुत ही घटिया दर्जे की थी।
मैने फोन से जोना फोटो से इसे बदलने के लिए निवेदन किया। परन्तु वह नही माना।
बाध्य होकर मुझे इसके खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस रजिसटर कराना पड़ा।
डेढ़ साल तक तारीखें पड़ती रही और केस हमारे पक्ष में हो गया।
अब पैसा वसूलने की बारी थी।
प्रतिवादी ने समय अवधि में पैसा नही दिया तो पुनः फोरम से निवेदन करना पड़ा।
फोरम ने इस पर संज्ञान लेते हुए कुर्की वारण्ट जारी कर दिये। प्रतिवादी ने अब फोरम में अपना वकील भेज दिया था। मामला फिर अधर मे लटक गया।
इस प्रक्रिया में एक साल और निकल गया।
खैर, निर्णय हमारे ही पक्ष में रहा। लेकिन प्रतिवादी ने इसकी अपील राज्य उपभोक्ता संरक्षण फोरम में कर दी। वहाँ भी केस डेढ़ साल तक चला। अन्त में निचली अदालत के निर्णय को बर करार रखा गया।
इसके बाद निचली अदालत से पुनः पैसा दिलाने की गुहार लगाई गयी।
जैसे-तैसे इकसठ हजार पर ब्याज मिला कर सतासी हजार के लगभग रुपये मिल गये। परन्तु पाँच साल तक केस चलता रहा, पचास हजार रुपये बरबाद हुए, शारीरिक और मानसिक परेशानी अलग रहीं।
प्रश्न यह उठता है कि क्या हर एक उपभोक्ता न्यायालय जायेगा?
यदि गया भी तो क्या पाँच वर्ष से अधिक तक मुकदमा झेल पायेगा?
एक बात तो इससे स्पष्ट हो गयी है कि आम आदमी को न्याय कभी नसीब नही होगा।
apne bilkul sahi kaha hai aise kitane hi udahran dekhe ja sakte hain mujhe apni pansion milane mai ek sal laga agar mai mehakme par case karoon to jitna mujhe nuksan hua vo mil ssakta hai magar utane hi vakeel le lega fir is umar me kaun dhake khaaye yahan agar mai rishvat de deti to shayad apna ek saal ka interest bacha leti magar ye rishvat dena mujhe gavara nahin thha so is system se ladne me badi pareshani hai abhar
जवाब देंहटाएंder se mila nyaay bhi anyaay ban jata hai.........sahi kaha gaya hai.har koi itni jahmat nhi utha sakta jitni aapne uthayi.aaj logon ke paas samay kam hai aur pareshaniyan isse kai guna jyada agar aise mein wo nyaay chahe to uski mansik shanti bhi bhang ho jayegi.......kyunki hamari nyaay prakriya bahut hi jatil hai jismein itna time nikal jata hai kai baar to insaan khatam ho jata hai aur nyaay nhi mil pata phir aam insaan kaise itni himmat juta sakta hai.
जवाब देंहटाएंहमारे सुर में सुर मिलाइए, अदालतें बढ़वाने को आवाज लगाइए।
जवाब देंहटाएंji haa,
जवाब देंहटाएंmain aap se sahmat hoo.par dunesh ji ki baat bhi ekdam thik hai.har nyaalayay me adhikaariyo,judges ki sankhyaa kam hai..case ke anurup inde badhana hoga tabhi nyay ho sakega...
मेरे विचार से तो इन झमेलों से जहाँ तक हो सके बचना चाहिए।
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