प्रिय मित्रों!
एक निर्धन दम्पत्ति के यहाँ तीन सन्तानें थीं। वह परमात्मा से प्रार्थना करता था कि हे प्रभो! धन-दौलत तो चाहे कितनी ही दे दो परन्तु अब और सन्तान न देना।
ईश्वर ने उसकी यह अरदास कबूल कर ली। परन्तु मैं वह दशरथ हूँ जिसे इस नये ब्लॉग के रूप में मुझे एक रत्न प्राप्त हुआ है।
मैंने इसे माँ वीणापाणि का प्रसाद समझकर स्वीकार किया है। शायद माता मेरी परीक्षा लेना चाहतीं हैं।
मेरे कई मित्रों ने कहा है कि आप एक साथ तीन-तीन ब्लॉगों को कैसे मैनेज करेंगे। लेकिन मैंने चुनौती स्वीकार कर ली है।
हुआ यों कि दिन मेरे पुत्र के एक अभिन्न मित्र मेरे पास बैठे थे। पेशे से वे सिंचाई विभाग में अभियन्ता हैं। कम्प्यूटर में वो बहुत दक्ष हैं परन्तु ब्लॉगिंग में कोरे थे। उन्होंने मुझसे अपना ब्लॉग बनवाने का निवेदन किया। मैंने उनका ब्लॉग बनाना शुरू कर दिया परन्तु लॉगिन में मैं ही था। इसलिए ब्लॉग मेरे ही खाते में आ गया।
मैंने इसे तुरन्त डिलीट कर दिया। पर डैस-बोर्ड पर टोटल ब्लॉग 4 लिख कर आते थे। तीन दिखाई देते थे और एक छिपा रहता था। मुझे यह देख कर बड़ा अवसाद होता था।
इसका नाम उन्हीं अभियन्ता की मर्जी के अनुरूप पावर आफ हाइड्रो रखा गया था।
तीन दिन पूर्व मन में आया कि क्यो न मैं इस ब्लॉग का नाम बदल दूँ।
बस फिर क्या था?
इसका नाम बदल कर ‘‘मयंक’’ रख दिया गया।
अब फिर मूल बात पर आता हूँ। यदि कृत्रिम साधनों का प्रयोग करके हम लोग अपना परिवार सीमित रखते रहे तो ‘‘योगिराज कृष्ण’’ कैसे दुनियाँ मे आ पायेंगे? क्योंकि वो तो अपने माता-पिता की आठवीं सन्तान थे। आपकी सबकी शुभकामनाएँ यदि मेरे साथ रहीं तो मेरा स्वप्न 4-5 ब्लॉग और बनाने का है।
आशा है कि आप सब सुधि जनों का प्यार मुझे मिलता रहेगा।
अन्त में ब्लागवाणी तथा चिट्ठा जगत को धन्यवाद,
जिन्होंने मेरे एक निवेदन पर ही
इस ब्लॉग को कुछ ही मिनटों में अपने हृदय में स्थान दे दिया है।
aap 4-5 nhi jitne chahe blogs manage kar sakte hain..........yeh aapki kabiliyat hai varna hum jaise insaan to aisa soch bhi nhi sakte.
जवाब देंहटाएंek aur naye blog ke liye badhyai sweekarein.
acchi baat hai.maine bhi pahle ek blog banaya tha,jisme maine us wat apni pareshaniyon ka gubaarnikala tha.kuch dinon ke baad mainne posts aur blog bhi erase karna chahi....lekin ab 2 blog manage kar rahi hoon.waise mera aapse barabari ka koi irada nahi hai..aapki baaten padhkar ye baat yaad aayi so likhi.
जवाब देंहटाएंswagat hai mayankji,main bhi pichle kai dinon se apne blog ko blgvai ain shamil karwaane ke liye mail kar raha hoon,lekin jawab nahi aa raha....pata nahi kya karan hai?
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट में भी आपने
जवाब देंहटाएंकुछ बातें बहुत
अच्छी लिख दी हैं!
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मेरा अनुरोध है कि
अपने आठवें ब्लॉग का नाम
"मोहन" रखकर
उसे इस दुनिया की मुस्कान
बच्चों को समर्पित कर दें!
इससे पहले की गई
जवाब देंहटाएंटिप्पणी का उत्तर
मुझे यहीं
टिप्पणी के रूप में चाहिए!
सही है, बनाते चलें. और मित्र बन्धु भी इस राह पर हैं, उनसे भी मुलाकात कर मैनेजिंग के फंडे प्राप्त करते रहियेगा. शुभकामना.
जवाब देंहटाएंहम से तो अपना एक ही संभल जाये तो काफी. बहुत नटखट है न!! :)
वैसे इस सोच के रिकार्ड होल्डर हिन्दी ब्लॉगजगत में हमारे परममित्र दीपक भारतदीप जी ही होंगे सबसे ज्यादा नियमित ब्लॉगों के साथ.
जवाब देंहटाएंअपने हर ब्लॉग पर बेहद नियमित और समर्पित हैं. उनको साधुवाद.