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शुक्रवार, दिसंबर 25, 2009

"संस्कृति एवं सभ्यता----2" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

"संस्कृति एवं सभ्यता" गतांक से आगे....
5- दान प्रत्येक मानव का अनिवार्य कर्तव्य है तो लोग भीख, जुआँ, चोरी आदि क्यों करते हैं?..........
मनुष्य प्रजापति के पास गये और उनसे प्रार्थना की-
"महाराज! हमें उपदेश कीजिए।"
प्रजापति ने कहा-
"दान दिया करो, यही संस्कृति है।"
धन की तीन गति हैं-"दान, भोग और नाश।"
जो लोग न दान करते हैं, न भोग करते हैं। उनके धन का नाश हो जाता है। ऐसे धन को या तो चोर चुरा लेते हैं, या अग्नि में दहन हो जाता है , या राजदण्ड में चला जाता है।
दान देते रहना चाहिए, दान देने से धन घटता नही है। जैसे कुएँ का पानी बराबर निकालते रहने से कम नही होता है। यदि उसमें से पानी निकालना बन्द कर दिया जाय तो पानी सड़ जाता है।
जिस घर में वायु आने का एक ही द्वार है, निकलने का नही है तो उस घर में वायु नही आती है।
"यावद् भ्रियेतजठरं तावत् स्वत्वं हि देहिनाम्।
यो अधिकमभि मन्येत स स्तेनो दण्डमर्हति।।"
जितने से जिसका पेट भर जाये उतना ही उसका स्वत्व है। जो अधिक माँगता है वह स्तेन है, अर्थात दण्ड के योग्य है। अतः मनुष्य को दान करते रहना चाहिए।
िहृया देयम्- लज्जा से देना चाहिए, भिया देयम्-भय से देना चाहिए, संविदा देयम्- ज्ञानपूर्वक देना चाहिए। देयम्- यही हमारा प्रथम कर्तव्य है।
कुछ लोग दान लेना नही चाहते, अपितु वे उधर लेना चाहते हैं। अर्थात् जितना लेंगे, समर्थ होने पर उतना ही वापिस कर देंगे। यह कुसीद है। इस पर बढ़ाकर लेना ब्याज है, छल-कपट है-सूद है। इससे समाज नही बल्कि समज (दस्यु) बन रहा है। इसी का परिणाम है कि एक ओर असंख्य पूंजीपतियों को जन्म हो रहा है और दूसरी ओर वित्तविहीन भोजन तक के लिए तरस रहा है। यह व्यापार में लाभ के स्थान पर फायदा (प्रॉफिट) लेने के कारण हो रहा है।
लाभ लीजिए परन्तु शोषण मत कीजिए।
अब विचारिए-
क्रमशः..............
(साभार "संस्कृति एवं सभ्यता")

4 टिप्‍पणियां:

  1. पंडितजी दान दक्षिणा पहले के जमाने में सही थी पर आज उसी दान और दक्षिणा का नाजायज फायदा उठाकर भिखारियों का गंग बनता जा रहा है बचों को चुरा कर उनके अंग विक्षिप्त करके भीख मांगने बिठा दिया जाता है !! अगर कोई कुछ दे ही ना तो ये गंग क्यों बनेंगे ! दान भी पात्र को देख कर देना उचित है ! किसी को हमने दान दिया उसी दान के पैसे से किसी ने मद्यपान किया और असामजिक कार्य को अंजाम दिया तो उसका दोष हमारे मत्थे ही आना है!!! हाँ अगर निस्वार्थ भाव से पशुओं की सेवा हो| वो बिलकुल उचित है!!! इसी दान प्रवर्ती के चलते लाखों बंगलादेशी झुग्गी झोंपड़ी बनाकर भारत में गुजर बसर कर रहे हैं और धीरे धीरे अपना विस्तार करते हैं | आसाम के हर प्रांत में जहां पहले बिहारी रिक्शा चालक थे आज एक भी रिक्शा चालक बिहारी नहीं सब बँगला देशी हैं! मन माना किराया वसूलते हैं बारिश के वक्त किसी को नहीं बिठाते खाली जाना मंजूर होता है !! ऐसे में जी तो बहुत जलता है पर कर कुछ नहीं सकते क्यूंकि कमजोरी हमारी हैं! पहले भीख दे कर आश्रय दिया अब ये सर चढ़कर बोलने लगे !!! यहाँ तक की आसाम बंद का ऐलान भी करते हैं !! आपका अगर आसाम जाने का काम पड़े तो जो भी बिखारी देखेंगे तो बँगला देशी ही मिलेगा !!! कृपया इसे गलत ना लेवें मेरे मन के विचार थे सो मैंने कह दिए !! अपने आप की बोर्ड पर उंगलियाँ चलती गई वरना इतनी लम्बी टिपण्णी देने का इरादा नहीं था!!

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  2. मयंक जी आपकी गंभीर लेखनी ने कमाल किया है ........इतने गंभीर विषय पर इतना सहज और मनोहारी लेखन ........धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
--
मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।