"ला-परवाही का नमूना देख लीजिए"
जी हाँ !
यह वो पुल है जो पिछले दो वर्षों से टूटा पड़ा है। सन् 2007 में बरसात में इसका एक छोर 200 मीटर बह गया था। जगबूढ़ा नदी सड़क काटकर पुल से अलग बहने लगी थी। तीन माह तक चम्पावत जिले का सम्बन्ध सारे देश से कट गया था। टनकपुर डिपो कार्यशाला की आधी बसें टनकपुर डिपो में कैद थी तो आधी बसें पुल के इस पार थीं। जिनके लिए नानकमत्ता बस-स्टैण्ड को अस्थायी कार्यशाला बनाना पड़ा था। परन्तु न तो उत्तराखण्ड सरकार के कान पर जूँ रेंगी तथा न ही केन्द्र सरकार ने इसकी कोई सुध ली।
कई बार डाईवर्जन के रूप में वैकल्पिक मार्ग बना और जगबूढ़ा नदी में पानी बढ़ने के साथ ही वह ध्वस्त होता रहा।
यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125 पर खटीमा और बनबसा के मध्य स्थित है। यह भारत के पिथौरागढ़, चम्पावत ही नही अपितु नेपाल की सीमा और चीन की संवेदनशील सीमा को भी जोड़ने वाला एक मात्र मार्ग है।
लगभग दो वर्षों से इसका यही हाल है।
वैकल्पिक मार्ग (डाईवर्जन) नदी में पानी आ जाने के कारण ध्वस्त हो गया था कि चीन की सीमा पर हल-चल बढ़ने लगी। सेना के तो होश फाख्ता हो गये।
जैसे-तैसे सेना ने 24 घण्टे में पुनः डाईवर्जन तैयार किया।
जितनी बार यह डाईवर्जन बहे हैं और उनको पुनः बनाने में जो लागत खर्च हुई है। उससे तो 2-3 बार नये पुल का निर्माण हो सकता था। मगर इससे लोक निर्माण विभाग और एन.एच. को मलाई नही मिल पाती।
इस पुल के दोनों ओर तो डबल रोड है मगर पुल इतना सँकरा है कि इसमें से केवल एक वाहन ही पास हो सकता है।
भारत-चीन सीमा पर हल-चल बढ़ जाने के कारण मन्थर गति से अब इस पर कार्य होना प्रारम्भ शुरू हो रहा है। परन्तु पुल तो सिंगल ही रहेगा।
अन्त में तो मैं यही कहूँगा कि-
" मेरा भारत महान"
आपकी चिंता जायज है. हमारी सरकार का दिमाग तभी काम करता है जब सर पर आजाये वर्ना तो मलाई की तलाश मे टाईम पास होता रहता है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शास्त्री जी चिन्ता जायज है कदम उठाना चहिये
जवाब देंहटाएंविचारणीय एवं चिन्तनीय!
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha shastri ji.........MERA BHARAT MAHAAN .........yahan kuch bhi ho sakta hai magar wo nhi ho sakta jo aam janta ko fayda kara sake ya jisse desh ka bhala ho sake.
जवाब देंहटाएंयह एक चिन्तजनक विषय है जिस पर सरकार की निगाह पड्नी जरुरी है ।
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