गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब
उत्तराखण्ड के नैनीताल मण्डल में
जिला-ऊधमसिंहनगर में स्थित है।
यह दिल्ली से मात्र ३०० किमी की दूरी पर स्थित है।
![]() सिख पन्थ के प्रथम गुरू ‘‘गुरू नानक देव’’ सिर्फ एक ऐतिहासिक पुरूष ही नही थे। वे सत्य के प्रकाशक और एक समाज सुधारक भी थे। ![]() उनके समय में गुरू गोरक्षनाथ के शिष्यों का बोल बाला था। जो अपने चमत्कार जनता को दिखाते रहते थे। उस समय आज का नानकमत्ता ‘‘सिद्ध-मत्ता’’ के नाम से जाना जाता है। इससे लगा गाँव आज भी तपेड़ा के नाम से विख्यात है। तपेड़ा अर्थात तप करने का स्थान। गुरू नानकदेव भ्रमण करते हुए यहाँ भी पहुँचे। लेकिन सिद्धों को उनका यहाँ आना अच्छा नही लगा। अतः सिद्धों ने गुरू जी को यहाँ से खदेड़ने के लिए अनेक उपाय किये। यहाँ आज भी उसी समय का पीपल का एक विशालकाय वृक्ष भी है। जो सिद्धों के जुल्मों की कहानी कह रहा है। (गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब विशाल पीपल वृक्ष का दृश्य)![]() गुरू नानक देव जी अपने दो सेवादारों के साथ इस पीपल के वृक्ष के नीचे आराम कर रहे थे कि सिद्धों ने अपने योग बल से इस महावृक्ष को उड़ाना शुरू कर दिया। इसकी जड़ें जमीन से 15 फीट के लगभग ऊपर उठ चुकी थी। गुरू नानक जी ने जब यह दृश्य देखा तो उन्होंने अपना हाथ का पंजा इस पेड़ पर रख दिया और पीपल का पेड़ यहीं पर रुक गया। आज भी जमीन के ऊपर इसकी जड़ें दिखाई देती हैं। अब सिद्धों ने क्रोध में आकर इस पेड़ में अपने योग बल से आग लगा दी। जिसे गुरू नानक देव ने केशर के छींटे मार कर पुनः हरा-भरा कर दिया। आज भी इस पीपल के वृक्ष के हर एक पत्ते पर केशर के निशान पाये जाते हैं। नानकमत्ता के बारे में तो बहुत सी विचित्र जानकारियाँ भरी पड़ी हैं। फिर किसी दिन इससे जुड़ा दूसरा आख्यान प्रकाशित करूँगा। |
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रोचक है यह ..पहली बार जाना शुक्रिया
जवाब देंहटाएंIs gurudware ko bhi purnagiri jate hue dekha tha...
जवाब देंहटाएंNanakmatta se judi hui anya jankariyo ka intzaar rahega...
satnaam shree waaheguru !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा! अच्छी जानकारी प्राप्त हुई!
जवाब देंहटाएंbahut hi rochak jankari di .........shukriya.......aage ki jankari ka intzaar rahega.
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