फ़ॉलोअर

शनिवार, मई 08, 2010

“संस्मरण-शृंखला-3” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“बाबा नागार्जुन के संस्मरण-3”

“बाबा नागार्जुन के साथ कवि-गोष्ठी की यात्रा”

स्कूटर से यात्रा करते हुए डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री, बाबा नागार्जुन और वाचस्पति शर्मा।

महर्षि दयान्द विद्या मन्दिर, टनकपुर के प्रबन्धक/संचालक राम देव आर्य बाबा से मिलने के लिए खटीमा आये। उन्होने बाबा से प्रभावित होकर उनके सम्मान में एक गोष्ठी अपने विद्यालय में रख दी। 12 जुलाई1989 को दिन में 2 बजे से गोष्ठी का आयोजन तय हुआ।
आखिर वो दिन ही आ ही गया। बाबा नागार्जुन के साथ आज काफिला चला टनकपुर की ओर।
बाबा ने कहा-‘‘शास्त्री जी!
टनकपुर आपके स्कूटर पर बैठ कर ही जायेंगे।’’
मैंने बाबा से कहा-
‘‘बाबा खटीमा से टनकपुर की दूरी 25 कि.मी. की है।
आप स्कूटर पर थक जाओगे।’’
अब बाबा तो बाबा ही थे। उनका जिद्दी स्वभाव तो था ही।
कहने लगे-‘‘खटीमा टनकपुर के बीच घना जंगल है। प्रकृति के नजारे देखने की इच्छा है। मैं करीब 30-40 साल पहले कैलाश मानसरोवर गया था तब तो बियाबान जंगल था।
अब फिर उसे देखने का मन है।’’
मन मार कर बाबा को मैंने स्कूटर पर बैठाया।
क्योंकि बाबा शरीर से कमजोर तो थे ही, कहीं गिर न जायें इसलिए वाचस्पति शर्मा जी भी उनके पीछे स्कूटर पर बैठ गये। प्रकृति के सुन्दर नजारों को देखते हुए
हम लोग अब टनकपुर की ओर बढ़ रहे थे।
रास्ते में बनबसा से आगे आम का बगीचा पड़ा। बाबा को आम बहुत प्रिय थे और आमों में भी वह लंगड़ा बनारसी आम बहुत पसन्द करते थे। हम लोग आम के बगीचे में रुक गये।
बाबा ने बड़े प्रेम से आम खाये।
आम के बाग की रखवाली करने में एक बंगाली भी था। बाबा बंगाली बहुत अच्छी बोल लेते थे।
अब तो बाबा उससे बंगाली भाषा में खूब बतियाये।
अब टनकपुर आ गया था। बाबा ने गोष्ठी में भाग लिया।
बाबा के साथ काव्य-पाठ करने वाले सौभाग्यशाली थे।
मदन ‘विरक्त’, ध्रुव सिंह ‘ध्रुव’, रामदेव आर्य, देवदत्त ‘प्रसून’, बदरीदत्त पन्त, कैलाशचन्द्र लोहनी, रामसनेही भारद्वाज ‘स्नेही’, राजेन्द्र बैजल, केशवभार्गव ‘निर्दोष’, फौजी कवि टीका राम पाण्डेय, हरिश्चन्द्र शर्मा और
स्वयं मैं रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ आदि।
बाबा ने इस गोष्ठी में-
‘‘कालिदास, सच-सच बतलाना!
इन्दुमति के मृत्युशोक से,
अज रोया या तुम रोये थे?
कालिदास, सच-सच बतलाना!’’
कविता का काव्य-पाठ किया।
गोष्ठी का संचालन खटीमा महाविद्यालय के
हिन्दी विभागाध्यक्ष वाचस्पति शर्मा ने किया।
अन्त में आयोजक श्री रामदेव आर्य ने बाबा का सम्मान किया और उन्हें गांधी-आश्रम का सिला-सिलाया कुर्ता पाजामा और एक शॉल भी भेंट किया।
यह थी बाबा नागार्जुन के साथ कवि-गोष्ठी की यात्रा।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बाबा के बारे में पढ़कर आनंद आ गया. चित्र भी वाकई दुर्लभ है. उस ज़माने में तो टनकपुर का रास्ता स्कूटर के हिसाब से तो शायद काफी खराब रहा होगा.

    जवाब देंहटाएं
  2. मज़ा आ गया पढकर। लगा आपके साथ हम भी हैं स्कूटर पर।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ऐसे दुर्लभ संस्मरण आपकी पोस्ट मॆं पढ़ने को मिल रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत आनंद आया यह संस्मरण पढ़ कर भी. साझा करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।

कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
--
मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।