मेरी प्यारी जूली

बहुत प्यार से इसे एक दिन रखा मगर मकान मलिक से मेरा यह शौक देखा न गया। मुझे वार्निंग मिल गई कि कुत्ता पालना है तो कोई दूसरा मकान देखो!
अतः मन मार कर मैं इसे दूसरे दिन अपने गूजर मित्र को वापिस कर आया।
अब तो मन में धुन सवार हो गई कि अपना ही मकान बनाऊँगा। उस समय जैसे तैसे पाँच हजार रुपये का इन्तजाम किया और कैनाल रोड पर एक प्लॉट ले लिया। दो माह में दो कमरों का प्लैट बना लिया और उसके आगे की ओर अपना क्लीनिक भी बना लिया।

मैंने अपने वर कोट की जेब में इस प्यारी सी पिलिया को रखा और अपने घर आ गया। छोटी नस्ल की यह पिलिया सबको बहुत पसंद आई और इसका नाम जूली रखा गया।

जूली बहुत तेज दिमाग की थी जिसके कारण उसने बहुत जल्दी ही सब कुछ याद कर लिया था।
जूली को ग्लूकोज के बिस्कुट खाना बहुत पसंद था और यह मेरे प्रिया स्कूटर की बास्केट में बैठी रहती थी।
उन दिनों नेपाल में जाने और बाहन ले जाने के लिए कोई लिखा-पढ़ी या टैक्स नहीं लगता था। मैं रोगी देखने के ले प्रतिदिन ही नेपाल के एक दो गाँवों में जाता रहता था।
एक दिन एक नेपाली मुझे बुलाने के लिए आया। वह पहले ही अपनी साइकिल से चल पड़ा था और गड्डा चौकी में उसको मेरी इन्तजार करनी थी। अब मैं उसके गाँव बाँसखेड़ा के लिए चल पड़ा।

इतने वफादार होते हैं यह बिन झोली के फकीर। जो मालिक की जान की रक्षा अपनी जान पर खेलकर भी हर हाल में करते हैं।
क्रमशः........................
ये पालतु बडॆ वफ़ादार होते है
जवाब देंहटाएं, हमारे यहाँ एक देशी नस्ल का एक दोगी था( अब एक भौटिया है) अगर कोई मुझे हाथ भी लगा देता था तो वो उस पर झपट पडता था।
अब आपके पास जूली के वंशज है या कोई और?
शास्त्री जी पना की जगह अपना मकान कीजिए,
आप बहुत ख़ुशनसीब है जो जुली जैसे इतनी प्यारी और अकलमंद पामेरियन मिली! डौगी हमेशा वफ़ादार होते हैं और जिस तरह से जुली ने आपकी जान बचाई सच में बहुत ही बहादुरी का काम किया जब की आपको पता ही नहीं था की जुली छुपकर बैठी है टोकड़ी के अन्दर! अजीब इत्तेफाक है शास्त्री जी ! पांच साल पहले जब मैं जयपुर में रहती थी वहाँ भी मेरे मकान मालिक के पास एक प्यारी सी पामेरियन थी और उसका नाम भी जुली था! मुझे उसकी याद आ गयी! क्या आपके पास जुली जैसी और कोई है?
जवाब देंहटाएंपालतु बडॆ वफ़ादार ||
जवाब देंहटाएंडौगीज बडॆ वफ़ादार होते हैं आज दुनिया में बस कुत्ते ही सही माईने में वफ़ादार मिलते हैं|
जवाब देंहटाएंइनकी वफादारी पर क्या शक...यह तो मिसाल होते हैं वफादारी की...जारी रखें संस्मरण...
जवाब देंहटाएंBlogprahari ??
जवाब देंहटाएंअक्सर जानवर आदमियों से जादा वफ़ादार होते हैं
जवाब देंहटाएंसच में जानवर कितने वफादार होते हैं..
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
ऐसे जानवरों पर आदमी से जादा विश्वास किया जा सकता है|
जवाब देंहटाएंinsan se jyada bafadar raha hai janver
जवाब देंहटाएंसच,जानवर इन्सान से ज़ियादा वफादार होते हैं.
जवाब देंहटाएंसही कहा, जान्वर ज्यादा वफादार होता है!
जवाब देंहटाएंरोचक संस्मरण
जवाब देंहटाएंइन्सान से अच्छे जानवर हैं। अच्छा संस्मरण। शुभकामनाये3ं।
जवाब देंहटाएंपालतू कुते बहुत वफादार होते है शास्त्री जी ...हमारा 'शेडो' इसकी जीती जागती मिसाल हैं ..
जवाब देंहटाएंyea bilkul sahi baat hai.palatu dogs bahut wafaadaar hoten hain.unko pyaar mile to wo jaan bhi de deten hain.bahut achcha lekh.badhaai.
जवाब देंहटाएंपालतू की वफ़ादारी देखने योग्य होती है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर संस्मरण !
बहुत ही संवेदनशील ओर वफादार होते हैं ये डौगी ..सुन्दर भावपूर्ण सस्मरण...!!!
जवाब देंहटाएंnice pics
जवाब देंहटाएंyes they are more trustworthy