♥ झूठे मन्दिर की कथा ♥
जिला चम्पावत में पूर्णागिरि के शैलशिखर पर
माता पूर्णागिरि विराजमान हैं
और कलकल निनाद करती हुई शारदा की पावन धारा
माँ के चरण पखार रही है!
-♥-
♥ झूठे का चढ़ाया हुआ मन्दिर ♥
-♥-
माँ पूर्णागिरि के महात्मय को सुनकर
प्राचीन समय में एक सेठ जी ने माता के दरबार में आकर
पुत्र की कामना की और प्रण किया कि
मेरे घर मे पुत्र का जन्म होगा तो
माता को सोने का मन्दिर भेंट करूँगा!
माता की कृपा से उसके घर एक पुत्र ने जन्म लिया
तब उसने ताम्बे का यह मन्दिर बनवाया।
सोने जैसा दिखाई देने के लिए
सेठ जी ने इस पर सोने का पानी चढ़वा कर
माता के दरबार में चढ़ाने के लेकर चल पड़ा!
उस समय माता जी के दरबार में जाने के लिए
मार्ग बहुत दुर्गम था।
मार्ग बहुत दुर्गम था।
इसलिए सेवकों ने टुन्नास नामक स्थान पर
इसको रख दिया और विश्राम करने लगे।
लेकिन जब विश्राम करने के बाद
सेवक इसको उठाने लगे तो
यह मन्दिर उनके तथा सेठ के
बहुत प्रयास करने पर भी यहाँ से उठा ही नही!
क्योंकि माता को झूठे की यह भेंट स्वीकार नहीं की थी
तब से यह यहीं पर धरा हुआ है!
यही तो मां का करिश्मा होता है और तभी दुनिया मानने को मजबूर हो जाती है……………अद्भुत जानकारी दी।
जवाब देंहटाएंआपने हमे सही जानकारी दी शुकि्या जय माता दी
हटाएंdhany hua mata rani k darshan karke. aapki post padkar aisa laga jaise aapne apne grih nagar uttrakhand ki yad taaja kar di
जवाब देंहटाएंरोचक और अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंमां की महिमा निराल होती है....
भक्त यदि मां को धोखा देने की कोशिश करे तो मां सब समझ जाती है
अच्छी और चित्रमय प्रस्तुति के लिए आपका आभार
बढिया है झूठे का मन्दिर!
जवाब देंहटाएंऐसी कथायें ही हमारे साहित्यिक और धार्मिक इतिहास को जिंदा रखती हैं आपको धन्यवाद
जवाब देंहटाएंरोचक और अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंअच्छी और चित्रमय प्रस्तुति, आभार......
यह सब कथाएँ हैं, फिर भी लोगों को ईश्वर पर भरोसा नहीं होता .... | ना ईश्वर पर, ना मनुष्य पर ...अद्भुत |
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंझूठे मन्दिर के बारे में जाना, कल वाले लेख के साथ तो समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है।
तभी तो हम कहते हैं वादा करो पत्थर से भी तो निभाओ। सही बात तो ये है कि वादा किसी से करो ही नहीं,जिसे पूरा न कर सको।
जवाब देंहटाएंमंदिर तो है ही झूठा
जवाब देंहटाएंयह कथा भी झूठी है
जो वेद में न हो वह ऊट पटाँग बात निश्चय ही झूठी है ।
किसी पोप जी ने स्वयं यह रखवा दिया और देवी का चमत्कार घोषित कर दिया और आप जैसे आर्य विद्वान इस कथा को अपनी टिप्पणी और समीक्षा के बिना ही फैला रहे हैं ?
कितने शोक की बात है ?
एक आर्य होकर आप ज्ञान नहीं देंगे तो फिर कौन देगा ?
तभी तो हम कहते हैं वादा करो पत्थर से भी तो निभाओ। सही बात तो ये है कि वादा किसी से करो ही नहीं,जिसे पूरा न कर सको।
जवाब देंहटाएंBahut Hi Sundar Chitranan
बहुत नयी जानकारी मिली शास्त्री जी ...धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंझूठे मंदिर, सच्ची आस्था.
जवाब देंहटाएंनई जानकारी है। राहुल जी ने सही कहा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रसंग, धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंईश्वर मनुष्य को असत्य से दूर रहने के लिये कई बार ऐसे प्रसंग प्रस्तुत करते हैं।
माता पूर्णागिरी की जय हो..
जवाब देंहटाएंमन में भरा होता है विकार और कामना रहती है अपने उपकार की।
जवाब देंहटाएंhe ma mughe kabhi khud se door mat karna
जवाब देंहटाएं