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शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2011

"क्या भारतीय बदबूदार होते हैं? " (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


आज से लगभग 32 साल पुरानी बात है। उन दिनों मेरा निवास बनबसा में हुआ करता था। मैं शुरू से ही "अतिथि देवो भव" के सिद्धान्त को मानता आया हूँ।  नेपाल को जाने वाली -रोड पर  मेरा अस्पताल और निवास था। सीमा पर बसे इस कस्बे में आज भी नेपालियों की चहल-पहल रहती है। उन दिनों भी यही क्रम था। मगर शाम के 5-6 बजे चहल-पहल कम हो जाती थी और मैं इसका पूरा सदुपयोग करता था। शाम को 5-6 बजे के बीच मैं पैदल ही 3 किमी दूर बनवसा बैराज घूमने के लिए निकल जाता था।
उन दिनों मेरी मुलाकात पीटर नाम के एक अंग्रेज से हुई। जो रोज बैराज घूमने जाता था। थोड़े दिन में उससे मित्रता भी हो गई। मगर मैं उससे दूरी बना कर ही चलता था। क्योंकि उसके मुँह से सिगरेट की दुर्गन्ध आती थी।
वह भारत में रहकर टूटी-फूटी हिन्दी वोलने और समझने भी लगा था! प्रसंगवश् यहाँ यह भी उल्लेख करना जरूरी समझता हूँ कि बनबसा में एक बहुत बड़ा कृषि फार्म है। जिसे गुड शैफर्ड एग्रीकल्चर मिशन के नाम से जाना जाता है। उसमें एक अनाथालय भी है। जिसमें नेपाल के निर्धन और बेसहारा बालकों को आश्रय दिया जाता है। उसे अंग्रेज लोग ही चलाते हैं। जो इन बच्चों में ईसाइयत को कूट-कूटकर भर देते हैं और उन्हें मिशनरी बना देते हैं।

अब मूल बात पीटर की कहानी पर आता हूँ।

धीरे-धीरे पीटर का आना-जाना मेरे घर में भी हो गया! 6 किमी की चहल-कदमी के बाद वह मेरे यहाँ अक्सर चाय पीता था। हम भारतीयों की मानसिकता भी विचित्र है। हम गोरी चमड़ी के लोगों को अपने से सुपर समझते हैं। मेरे मुहल्ले वाले भी अपनी इसी मानसिकता के कारण मुझे अब बहुत पहुँच वाला समझने लगे थे।
एक दिन पीटर ने मेरे यहाँ चाय पीने के बाद शौच जाने की इच्छा प्रकट की। मैंने उसे शौचालय का रास्ता बता दिया। जब वो निवृत्त होकर आया तो उसका रूमाल गीला था। शायद उसने उसे साबुन से धोया होगा।
मैंने जब उससे रूमाल गीला होने का कारण पूछा तो उसने बताया कि टुमारे ट़यलेट में टिशू पेपर नही था तो मैंने अपना हैंकी स्टेंमाल कर लिया था। लेकिन वो बहुत गंडा (गन्दा) हो गया था। इसलिए मैने इसे साबुन से धो डाला।
उसके मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे बहुत हँसी आई। मैंने उससे कहा कि फ्रैण्ड इतना सारा पानी टॉयलेट में था उसको तुमने प्रयोग क्यों नही किया। वह बोला कि यह हमारी कल्चर नहीं है।
अन्त में यही कहूँगा कि यह तो बिल्कुल सत्य है कि शराब, लहसुन, प्याज और तम्बाकू की गन्ध पसीने में तो आती ही है साथ ही मुँह और शरीर में भी आती है! लेकिन वो अंग्रेज जो चेन स्मोकर हैं दूसरों की परवाह ही कब करते हैं! दूसरों की सुविधा का ख्याल करना सभी का कर्तव्य होना चाहिए! 
अब आप ही अन्दाजा लगा लीजिए कि क्या सिर्फ भारतीय ही बदबूदार होते हैं या कि खुशबू के ठेकेदार विदेशी भी।

(स्पंदन SPANDAN  पर आज एक पोस्ट पढ़कर)



12 टिप्‍पणियां:

  1. अजी यह अग्रेज तो महीना महीना नही नहाते,ओर इन से इअतनी बदबू आती हे कि आप इन के पास नही खडे हो सकते, लेकिन शिखा जी के लेख का मतलब ओर हे, भारतियो को नीचा दिखाना नही हे.

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  2. आपका संस्मरण पढ़ कर रूमाल की हालत पर तरस आ रहा है :):) भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए कुछ भी लोग कह देते हैं .फिर भी यदि तेज़ मसालों कि वजह से ही किसी को परेशानी होती हो तो उसका निदान कर देना चाहिए .

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  3. टुमारे ट़यलेट में टिशू पेपर नही था तो मैंने अपना हैंकी स्टेंमाल कर लिया था। लेकिन वो बहुत गंडा (गन्दा) हो गया था।

    ha ha ha ha haaaaaaaaaaaaaaaaaa

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  4. शास्त्री जी कोई क्या समझेगा यह इंडियन फ़्लेवर कितने काम की चीज है। जरा इधर भी पढियेगा।

    आपका संस्मरण पढ़कर हँसी आ रही है।

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  5. यही बात मैने वहाँ कही है……………सभी तरह के लोग सभी जगह पाये जाते है उसके लिये इस तरह के कदम उठाना कहाँ तक उचित है? कैसे होते है बाहर के लोग और यहाँ आकर क्या करते है सब जानते है न वो यहाँ आकर बदलते है तो हम भारतीयो ने ही ठेका ले रखा है क्या बदलने का…………जब वो अपना कल्चर नही छोडते तो हम क्यो छोडें? वैसे दुर्गन्ध आने से ज्यादा गन्दा तो ये लगा जो आपने बताया……………अब कहिये कौन ज्यादा गन्दा कहलायेगा?

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  6. ha ha ha aapka sansmaran padhkar hansi aa rahi hai...bechara rumaal ..
    ham vakai unse jyada swachh hain.
    parantu mera matlab isse pare tha ..aur vahan aaye vicharon se jahir hota hai ki is durgandh se vedeshi hi nai ham bharteey bhi prabhavit hote hain.aur hamaree kisi vajah se dusron ko pareshani hoti ho to nidaan kar lena chahiye

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  7. पावडर आदि का आविष्कार अंग्रेज़ों का ही किया हुआ है क्योंकि ठंड के कारण वे महीनों नहीं नहा पाते थे. खुशबू भी तो दरकार थी.

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  8. शास्ती जी आपके सभी ब्लाग आपकी पहली ही टिप्पणी से भी पहले ही शामिल
    कर लिये थे । सिर्फ़ ब्लाग मंच और चर्चा मंच नये अड्रेस पर कई बार सेव करने के बाद भी
    पुराना रिजल्ट दे रहा है । एड करने के साथ ही ब्लाग वर्ल्ड के ही लिंक
    से मैंने आपके सभी ब्लाग खोलकर भी चेक किये थे । आपने शायद ठीक से नहीं
    देखा । सभी ब्लाग जुङें हैं । बाल चरचा मंच । पल्लवी ब्लाग मंच अमर भारती चर्चा मंच पहली लाइन
    उच्चारण मयंक शब्दों का दंगल तीसरी लाइन
    दरसल ब्लाग मंच और चर्चा मंच आपके ब्लागस के पुराने यू आर एल से मैंने उन्हें सेव किया था ।
    पर अब नये से भी नहीं हो रहे । फ़िर कोशिश करूँगा ।

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  9. Hello. And Bye.[url=http://www.michael-jackson-thriller.com]Michael Jackson Thriller[/url]

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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
--
मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।