कुछ दिन पूर्व खटीमा में उत्तराखण्ड के किसी राज्यमंत्री की शादी थी! जिसमें वोटर लिस्ट देखकर थोक के भाव निमन्त्रणपत्र बाँटे गये थे!
संयोगवश् गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले एक व्यक्ति को जब यह निमन्त्रण-पत्र मिला तो वह खुशी-खुशी इसमें शामिल होने के लिए चला गया!
उस समय इसकी जेब में 45 रुपये थे। इसने वह एक लिफाफे में रखकर नवदम्पत्ति मन्त्री जी को भेट कर दिये।
लगभग 20 दिन के बाद इस व्यक्ति की पुत्री की शादी थी। अतः यह भी निमन्त्रणपत्र लेकर मन्त्री जी के घर गया और अपनी पुत्री की शादी में आने का निवेदन किया। मन्त्री जी ने सहर्ष निमन्त्रण स्वीकार कर लिया और शादी में आने का वचन दे दिया। लेकिन मन्त्री जी इस गरीब की पुत्री के विवाह में शामिल न हो सके।
3-4 दिन बाद यह व्यक्ति पुनः मन्त्री जी के घर गया और कहा कि आप मेरी पुत्री के विवाह में क्यों नहीं आये! जबकि में आपके विवाह में 45 रुपये लिफाफे में रखकर आपको भेटस्वरूप दे गया था!
आप नहीं आ पाये तो कम से कम लिफाफा तो वापिस भिजवा देते!
अब मन्त्री जी की बोलती बन्द हो गई।
वे तुरन्त घर के भीतर गये और 45 रुपये लाकर उसके हाथ पर रखते हुए वोले- "लो अपने पैंतालिस रुपये।"
बड़ा घटिया किस्म का प्राणी था वह मंत्री। इंसानी ज़ज़बात से उसे कोई मतलब ही नहीं है।
जवाब देंहटाएंभाई जी गरीब का निमन्त्रण तो अपने दिये पैसे वापस लेने के लिए थे, काहे का जज्बात। मंत्री बेचारा क्या करता उसका दिया उपहार लौटाने में ही अपनी भलाई समझी।
जवाब देंहटाएंमयंक जी लघुकथा के लिए आभार।
मंत्री शरीफ लगता था। लिफाफा मांगने पर गरीब को खा नहीं गया।
जवाब देंहटाएंis se acha to amntri ji chale jaate to izzat bhee reh jaati...!!
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी अपनी सोच होती है……………और नज़रिया भी…………अलग अलग अर्थ दे रही है ये लघुकथा…………सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसार्थक लघुकथा।
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काले साए, आत्माएं, टोने-टोटके, काला जादू।
मुझे तो दोनो ही नमुने लगे, अरे दे दिये तो फ़िर सुना क्यो रहा हे, ओर मंत्री इस से भी बडा गरीब जो वोट के लिये इस गरीब को बुला लिया, लेकिन कुछ हजार ओर डाल कर दे देता, कोन सी मेहनत की कमाई थी:)
जवाब देंहटाएंमंत्री जी को क्या पता था कि उस गरीब को बुलाना खुद कुलाढ़ी के पास जाने जैसा हो जाएगा. गलती उस गरीब कि भी नहीं इस दुनिया में सबकी अलग अलग उपेक्षाएं होती हैं.
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आप भी पुष्टि कर रहे हैं कि ऐसे अवसरों उपहार प्रतिदान की अपेक्षा में ही दिया जाता है।
जवाब देंहटाएंaadarniy sir
जवाब देंहटाएंbahut vilamb se aapke blog par aane ke liye xhma -prarthini hun.par aapka mere blog par aana mere blog ki shobha ko badhata hai .yah mere liye bahut hi soubhagy ki baat hai ki aap jaise mahanubhavo se mera marg-darshan hota raha hai aur aage bhi hoga yah mera viswaas hai.
aapki shubh kamna mere ek alag hi sthan rakhti hai.
aapki laghu katha me bahut se sandesh chhupe hain.insaniyat ka takaja bhi aur.gareeb ki lachari bhi.
bahut hi sateek avam sarthak prastuti.
aapko bahut bahut dhanyvaad mera housala banaye rakhne ke liye---
poonam
मंत्री जी में कुछ शराफत बची थी लगता है । वैसे गरीबनाथ भी कुछ कम नहीं , आम के आम , गुठलियों के दाम भी वसूल कर लिए।
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