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बुधवार, अप्रैल 07, 2010

"दुष्ट पर विश्वास मत करो!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

 एक बार जंगल में एक शेर ने हिरन का शिकार किया! शेर के पूरे परिवार ने हिरन का मांस खाया!
जब कुछ हड्डियाँ शेष रह गईं तो शेर का परिवार उन्हें छोड़कर अपनी माँद  में चला गया!
एक भेड़िया तो इस ताक  इस इन्तजार में कब से आस लगाए  बैठा  था! शेर के जाते ही उसने भी हड्डियाँ चाटनी शुरू कर दीं! छोटी मोटी हड्डियों को वो चबा भी लेता था! लेकिन एक हड्डी उसके गले में फँस गई!
भेड़िये के तो प्राण ही निकले जा रहे थे! अतः वह दर्द से छटपटाता हुआ इधर-उधर भागने लगा!
तभी उसकी नजर एक सारस पर पड़ी! उसने सारस से अपने प्राणों की भीख माँगते हुए गिड़गिड़ाकर कहा कि सारस भइया तुम अपनी लम्बी चोंच से मेरे गले में फँसी हुई हड्डी निकाल दो! मैं आपका बहुत ही उपकार मानूँगा और इसके बदले में मैं तुम्हें ईनाम भी दूँगा!
इस पर सारस को दया आ गई और उसने अपनी लम्बी चोंच भेड़िये के गले में डाल कर उसमें फँसी हड्डी को निकाल दिया! इससे भेड़िए को काफी आराम मिल गया!
अव सारस ने भेड़ि से कहा कि भइया मेरा ईनाम तो मुझे दे दो!
यह सुनते ही भेड़िए की आँखें लाल हो गई! 

वह बड़े गुस्से में सारस से बोला- "अरे मूर्ख! तुझे ईनाम चाहिए! भेड़िए के मुँह में चोंच डालकर भी तू जिन्दा है, क्या यह किसी ईनाम से कम है? जा भाग जा यहाँ से! नही तो तुझे मैं कच्चा ही चबा जाऊँगा!"
भेड़िया का रौद्र रूप देख कर सारस डर के मारे थर-थर काँपने लगा और उसने यहाँ से भागने में ही अपनी भलाई समझी!
सारस अपने मन में सोच रहा था कि दुष्ट का कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए!

13 टिप्‍पणियां:

  1. सच मे तकदीर वाला था सारस जो बच गया.

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  2. सही बात है दुष्टों से तो दुरी ही भली

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  3. nahin karunga ji.......

    lekin main to khud hi dusht hun to kya khud par bhi vishvaas na karun ?

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  4. प्रेरक प्रसंग....आज तो हर जगह दुष्ट ही नज़र आते हैं...

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  5. सारस ने तो गजब दुस्‍साहस कर दिया, ताकतवर लोगों की मदद करना तो उसका धर्म है। वो इनाम की बात करता है यह तो ठीक नहीं। बेचारी गरीब जनता को तो दुष्‍टों के लिए मरना भी पड़े तो हँसते-हँसते प्राण देने चाहिए।

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  6. मैंने ब्लॉग जगत में कई बार पढ़ा है कि
    अमुक ब्लॉगर ने ब्लॉगिंग छोड़ने की घोषणा कर दी है!
    लेकिन एक विदेशी मूल की महिला की भाँति कोई भी अपने निर्णय पर अडिग नही रह सका!.nice

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  7. हम भी तो सबसे यही कहते फिर रहे हैं कि हर वक्त भारतीय संस्कृति व सुरक्षावलों को बदनाम करते फिरते दुष्टों पर विशवास मत करो ।आपने तो हमारे मन की बात कह दी ।अपको धन्यावाद।

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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
--
मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।