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गुरुवार, जनवरी 28, 2010
मंगलवार, जनवरी 26, 2010
"गणतन्त्र दिवस अमर रहे!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
सारे जग से न्यारा अपना, है गणतंत्र महान।।
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
मंगलवार, जनवरी 19, 2010
“ब्लॉग की दुनिया में एक वर्ष” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
ब्लॉगर मित्रों! सादर प्रणाम! 20जनवरी को ब्लॉगिंग का एक वर्ष पूरा हो जायेगा! जब मैंने 21 जनवरी 2009 को ब्लॉग जगत में कदम रखा था तो उस समय ठीक से पोस्टिंग करना भी नही आता था। केवल कृति में हिन्दी टाइपिंग ही जानता था। उस समय मैं पहले पेज मेकर में रचना को टाइप करता था फिर उसे इस औजार के द्वारा यूनिकोड में बदलता था और पोस्ट करता था! हिन्दी से लगाव होने के कारण टिप्पणी भी पेजमेकर में ही टाइप करने के बाद कनवर्टर के द्वारा यूनिकोड में बदल कर लगाया करता था। परन्तु मैंने हार नही मानी। कभी बहिन संगीता पुरी जी, कभी आशीष खण्डेलवाल जी और कभी अजित वडनेरकर जी से चैट करके पता करता था कि सीधे हिन्दी कैसे लिखूँ। अन्ततः यूनीकोड का की-बोर्ड याद करने लगा। निष्ठा रंग लाई और इसका परिणाम सामने आया। इसके बाद फिर काफिला शुरू हुआ तो आगे को बढ़ता ही चला गया। “उच्चारण” को केवल काव्य को समर्पित कर गद्य के लिए “शब्दों का दंगल”, “मयंक” ब्लॉग बना दिये गये। श्रीमती जी के लिए “अमर-भारती” के नाम से ब्लाग बनाया। मन में विचार आया कि ब्लॉगर्स की सविधा के लिए एक ब्लॉगर्स डायरेक्ट्री बनाई जाये तो “शास्त्री-मयंक-Blogger’s Directory” नामक ब्लॉग बनाया। “चर्चा हिन्दी चिट्ठों की” के लिए लिखा तो आज तक सबसे अधिक 37 चर्चाएँ की हैं। “पिता जी”, “नुक्कड़” और “नन्हा मन” में साझेदारी की तो यदाकदा वहाँ भी लिख रहा हूँ। इसके अतिरिक्त एक दर्जन अन्य मित्रों के ब्लॉग बना चुका हूँ और करीब इतने ही लोगों के टेम्प्लेट्स भी बदल चुका हूँ। लगभग एक माह पूर्व “चर्चा मंच” ब्लॉग बनाया तो आज तक एक दिन की भी अनुपस्थिति नही की। मित्रों! यह सब लिखने का उद्देश्य मेरी आत्म-श्लाघा नही है अपितु ब्लॉग की दुनिया के लिए यह सन्देश है कि लेखन में निरन्तरता से ही आगे बढ़ना सम्भव है। आपके भीतर प्रेरणा जगे और हिन्दी-भाषा का उन्नयन आप सभी चिट्ठाकारों के द्वारा हो! इसी कामना के साथ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
बुधवार, जनवरी 06, 2010
“सगीर अशरफ का एक मुक्तक” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
उत्तर प्रदेश के नूरपुर (जनपद:बिजनौर) निवासी पोस्टमास्टर(H.S.G.-II) के पद से सेवा-निवृत्त शायर, पत्रकार व साहित्यकार "सग़ीर अशरफ़" ने अपनी बेगम “ज़मीला अशरफ़” को देख कर एक शेर ही जड़ दिया- |
शनिवार, जनवरी 02, 2010
"जन्म दिन का केक बिटिया ने काटा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।
"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी