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सोमवार, दिसंबर 27, 2010

"आप सादर आमन्त्रित है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आज छोटा बेटा दिल्ली से लौटा है!
कह रहा था कि वहाँ भयंकर सरदी और कुहरा पड़ रहा है!
मगर खटीमा में तो बहुत अमन-चैन है!
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यहाँ न ही कुहरा है तथा न ही भयंकर सरदी है!
दिन में खूब खिली हुई धूप निकलती है! 
इस गुनगुनी धूप को सेंकने में तो दोपहर में पसीना आ जाता है!
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तो फिर असमंजस किस बात का 9 जनवरी को आइए न खटीमा!
8 जनवरी को सेकेण्ड सटरडे है और 9 जनवरी को सण्डे है!
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प्रिय ब्लॉगर मित्रों!
अपार हर्ष के साथ आपको सूचित कर रहा हूँ कि 
नववर्ष 2011 के आगमन पर देवभूमि उत्तराखण्ड के 
खटीमा नगर में 
एक ब्लॉगरमीट का आयोजन 9 जनवरी, 2011, रविवार को 
किया जा रहा है!
इस अवसर पर आप सादर आमन्त्रित हैं।

विस्तृत कार्यक्रम निम्नवत् है-
खटीमा की दूरी निम्न नगरों से निम्नवत् है-

मुरादाबाद से 160 किमी
रुद्रपुर से 70 किमी
बरेली से 95 किमी
पीलीभीत से 38 किमी
हल्द्वानी से 90 किमी
देहरादून से 350 किमी
हरिद्वार से 290 किमी
दिल्ली से 280 किमी
लखनऊ से 280 किमी है।
♥ दिल्ली आनन्द विहार से दो दर्जन रोडवेज की बसें प्रतिदिन 
खटीमा के लिए आती हैं। 
कश्मीरीगेट से प्रतिदिन दो प्राईवेट लग्जरीबसें 
2बाई2 रात को 9 बजे खटीमा के लिए चलती हैं, 
जो सुबह खटीमा आ जाती हैं। 
जिनका किराया रोडवेज से कम है।
♥ दिल्ली से शाम को 4 बजे सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रेस 
काठगोदाम के लिए चलती है, -
जो रात्रि 8:30 पर रुद्रपुर आ जाती है। 
रुद्पुर से खटीमा मात्र 70 किमी है। 
रोडवेज की बसे दिल्ली आनन्दविहार से 
खटीमा के लिए चलती रहती हैं। 
इसके अलावा प्रातः 9 बजे ओर रात को 9-30 पर भी ट्रेन 
रुद्पुर के लिए मिलती हैं।
♥ लखनऊ से ऐशबाग स्टेशन से खटीमा के लिए 
नैनीताल एक्सप्रेस में 3 रिजर्वेशन कोच टनकपुर के लिए लगते हैं। 
जो खटीमा प्रातःकाल पहुँच जाते हैं।
♥ लखनऊ से बरेली बड़ी लाइन की ट्रेन तो 
समय-समय पर मिलती ही रहती हैं। 
बरेली से रोडवेज की बसें बरेली सैटेलाइट बसस्टैंड से 
अक्सर मिलती रहती हैं। 
जो दो घण्टे में खटीमा पहुँचा देती हैं।
♥ देहरादून से रात को 10 बजे काठगोदाम एक्सप्रेस चलती है। 
जो प्रातः 5 बजे रुद्पुर पहुँच जाती है। 
यहाँ से रोडवेज की बस डेढ़ घण्टे में खटीमा पहुँचा देती है।
♥ हरिद्वार से भी 11 बजे रात्रि में 
काठगोदाम एक्सप्रेस पकड़ कर आप रुद्पुर उतर कर 
खटीमा की बस से यहाँ आ सकते हैं।
♥ हरिद्वार और देहरादून से बहुत सी बसें 
खटीमा के लिए चलती हैं।
मान्यवर मित्रों! 
आप खटीमा 9 जनवरी को अवश्य पधारें!
यहाँ सिक्खों का गुरूद्वारा श्री नानकमत्तासाहिब में मत्था टेकें।
माँ पूर्णागिरि के दर्शन करें। 
नेपाल देश का शहर महेन्द्रनगर यहाँ से मात्र 20 किमी है।
आप नेपाल की यात्रा का भी आनन्द लें।
मैं आपकी प्रतीक्षा में हूँ!



अपने आने की स्वीकृति मेरे निम्न मेल पते पर देने की कृपा करें।
Email- rcshashtri@uchcharan.com

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: 05943-250207, 
Mobiles: 09368499921, 09997996437, 09456383898

बुधवार, दिसंबर 15, 2010

" संस्मरण शृंखला-1" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

प्रिया स्कूटर
1976 की बात है! मैं तब बनबसा जिला नैनीताल में रहता था। 
उन दिनों मुझे नई-नई चीजे खरीदने का बहुत शौक था। तभी मुझे किसी काम से दो दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा। लेकिन डेढ़ दिन में ही काम निबट गया । समय काटने के उद्देश्य से मैं करौलबाग के दुपहिया वाहनों के बाजार में चला गया!
तब "प्रिया" स्कूटर का बड़ा चलन था। बाजार में मुझे एक प्रिया स्कूटर पसंद आ गया। जिसे मैंने 5800 रुपयों में खरीद लिया।
अब इसको बनबसा ले जाने की समस्या थी!
एक बार तो मन में विचार आया  कि कल सुबह इसको चलाकर ही शाम तक बनबसा पहुँच जाऊँगा। मगर तभी इरादा बदल गया और मैं स्कूटर पर सवार होकर कश्मीरीगेट अन्तर्राज्यीय बस स्टैण्ड पर चला गया। देका तो टनकपुर-डिपो की बस तैयार खड़ी थी। जिसमें नेपाली सवारियों की भरमार थी!
मैंने कणडक्टर और ड्राईवर से कहा कि मेरा स्कूटर बनबसा जाना है और इसमें खरौंच नहीं लगनी चाहिए!
दोनों ने कहा कि ले जाएँगे मगर इसे ले जाने के लिए 100 रुपये देने होंगे!
अन्धे को तो केवल दो आँखे ही चाहिए। मैंने तुरंत हाँ भर दी और देखने लगा कि स्कूटर बस में कहाँ और कैसे लादा जाएगा? 
अब कण्डक्टर और ड्राईवर ने बस में सवार नेपालियों से कहा -
"हुजूर! स्कूटर बस की छत पर जब तक नहीं रक्खा जाएगा तब तक बस नही चलेगी!
अब तो करीब 20 नेपाली युवकों ने मेरा स्कूटर बस की छत पर पहुँचा दिया और दोनों ओर बिस्तरबन्द रखकर बीच में इसको खड़ाकरके रस्सी और त्रिपाल से ढक दिया!
सुबह 5 बजे जब बस बनबसा पहुँची तो ड्राईवर और कण्डक्टर ने फिर नेपालियो से कहा  "हुजूर बनबसा आ गया है। अब उतरो और बार्डर पार करके नेपाल जाओ!"
नेपलियों ने फिर बहुत यत्न से मेरा स्कूटर मेरे घर के आगे उतार दिया।
सुबह-सुबह श्रीमती जी ने जब मुझे स्कूटर के साथ देखा तो उन्हें भी हर्ष और आश्चर्य हुआ!

शुक्रवार, दिसंबर 10, 2010

"बीमारी पर किसी का बस नहीं चलता!" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

जी हाँ!
आधा दिसम्बर आने को है! मौसम में ठण्डक भी बढ़ गई है! ऐसे में बहुत ही सावधानी की आवश्यकता है! बीमारी के कारण जालजगत का दुलारा "चिट्ठाजगत" 4 दिनों तक बिस्तर पर आराम कर रहा था! कल से फिर काम पर आ गया था लेकिन दोबारा से फिर सर्दी ने अपनी गिरफ्त में जकड लिया। इसलिए आज फिर से आराम करने को चला गया है!
किसी ने ठीक ही कहा है- 
"बीमारी पर किसी का बस नहीं चलता!"

बुधवार, दिसंबर 08, 2010

"कंगारू की कहानी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आइए आज आपको कंगारू के नामकरण की कथा सुनाता हूँ!
बहुत समय पहले की बात है! आस्ट्रेलिया के किसी गाँव में एक अजनबी जानवर देखा गया! गाँववाले उसे देखकर अचम्भित हो गये! 
तभी उनमें से किसी ने पूछा कि यह कौन सा जानवर है?
गाँववालों ने उत्तर दिया - "कैनगरू"
अर्थात् हमें नहीं मालूम! तभी से इस जानवर का नाम "कंगारू" पड़ गया!
पूरी दुनिया में आज इस जानवर को कंगारू के नाम से पुकारते हैं!

सोमवार, नवंबर 29, 2010

"लघुकथा : आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट" (प्रस्तोता:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

जीवनी बनाम रोज़गार

काफ़ी समय से मन में विचार कौंध रहा था कि उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर एक पुस्तक लिखूँ परन्तु समयाभाव के कारण शुरुआत ही नहीं कर पा रहा था। एक दिन फुर्सत निकाल कर एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के घर जा पहुँचा। घर के लोगों को अपना परिचय दिया तथा अपनी मंशा जाहिर की।
उस सेनानी के परिजन पहले तो मेरी बात चुपचाप सुनते रहे, फिर निर्विकार भाव से उनके बेरोज़गार पुत्र ने पूछा, मेरे पिता जी की जीवनी लिखकर क्या मुझे रोज़गार मिल जाएगा?’’ मैंने हैरत से उसकी तरफ़ देखा और एक लम्बी साँस लेकर कहा, ‘‘नहीं। किन्तु स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियाँ पढ़कर हमारी आने वाली पीढ़ी देशभक्ति का सबक लेगी और हमारे राज्य के उन भूले-बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों को उचित सम्मान मिलेगा।
इतना सुनते ही वह युवक तमतमाकर बोला, ‘‘क्या मिला ऐसी आज़ादी से, जो एक स्वतंत्रता सेनानी के वंशजों को रोज़गार न दे सकी? बेरोज़गारी, भुखमरी में दिन गुज़ारने से तो हम पराधीन ही अच्छे थे। कम से कम अंग्रेज़ों की चाकरी करके परिवार को दो-जून की रोटी तो दे सकते थे। जाओ, दोबारा यहाँ आने की हिमाकत न करना। 
वहाँ से बाहर आते-आते में उस आक्रोषित युवक की बातों पर ग़ौर कर रहा था। उसका सच मेरे सामने था।

आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट
संजय नगर-2, बिन्दुखत्ता, 
पो. लालकुआँ, जि. नैनीताल-262402 उत्तराखण्ड

मंगलवार, नवंबर 09, 2010

“जन्मदिवस:उत्तराखण्ड” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

आज 9  नवम्बर है। 
आज से ठीक दस वर्ष पूर्व भारत से 27वें राज्य के रूप में 
सन् 2000 को उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना हुई थी!
uttarakhandmapadministrative1उत्तराखण्ड राज्य का गठन   -   9 नवम्बर, 2000
कुल क्षेत्रफल                    -   53,483 वर्ग कि.मी.
कुल वन क्षेत्र                   -   35,384 वर्ग कि.मी.
राजधानी                        -   देहरादून (अस्थायी)
सीमाएँ
अन्तर्राष्ट्रीय                     -   चीन, नेपाल 
                        राष्ट्रीय                            -   उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
कुल जिले           -   13
उच्च न्यायालय            -   नैनीताल
प्रति व्यक्ति आय                -   15,187 रुपये
प्रशासनिक इकाई
मण्डल                                              -   2 (कुमाऊँ और गढ़वाल)
तहसील                         -   78
विकास खण्ड                   -   95
न्याय पंचायत                  -   670
ग्राम पंचायत                       -   7,227
कुल ग्राम                              -   16,826
नगर निगम                 -   1
आबाद ग्राम                         -  15,761
शहरी इकाइयाँ                -   86
नगर पालिकाएँ               -   31
नगर पंचायत                 -   31
छावनी परिषद                -   09
कुल जनसंख्या                -   84,89,349 (सन् 2000 में)
पुरुष                            -   43,35,924
महिलाएँ                        -   41,63,425
लिंग अनुपात                  -   984 : 1000
                                     (महिला : पुरुष)
प्रमुख पर्यटन एवं ऐतिहासिक स्थल-
नैनीताल, मसूरी, पौड़ी, रानीखेत, चम्पावत, द्यारा, औली, खिर्सू, खतलिंग, वेदिनी बुग्याल, फूलों की घाटी, लैंसडाउन, लाखामण्डल, पाताल भुवनेश्वर, गंगोलीहाट, जौलजीबी, पूर्णागिरि, नानकमत्ता साहिब, चितई गोलू देवता, कटारमल, कौसानी, गागेश्वर धाम, द्वाराहाट, सोमेश्वर, बैजनाथ धाम, पिण्डारी ग्लेशियर, शिखर इत्यादि।
प्रमुख धार्मिक स्थल-
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, पंचकेदार, पंचबदरी, पंच प्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश, हेमकुण्ड साहिब, पूर्णागिरि, चितई गोलू देवता, पिरान कलियर, नानकमत्ता साहिब, रीठा साहिब, बौद्ध स्तूप देहरादून आदि।
प्रमुख लोकगीत एवं लोक नृत्य-
झुमैलो, थड़्या, चौफला, रासौ, पण्डवानी, तांदी, भड़गीत, जागर, चांचरी, पांडव, झोडा, छोलिया, थारू आदिवासी नृत्य आदि।
मौसम-
ग्रीष्मकाल- मार्च से जून के मध्य तक, वर्षाकाल- मद्य जून से मध्य सितम्बर तक, शीतकाल- मध्य सितम्बर से फरवरी तक।
राज्य पुष्प- ब्रह्म कमल (SAUSSUREA OBVALLATA)।
राज्य पशु- कस्तूरी मृग (MOSCHUS CHRYSOGASTER)।
राज्य वृक्ष- बुरांश (RHODODENDRONARBOREUM)।
राज्य पक्षी- मोनाल (LOPHOORUS IMPEGANUS)।
आय के प्रमुख स्रोत- 
वन सम्पदा, विद्युत, जल संसाधन, जड़ी बूटी, पर्यटन, तीर्थाटन, खनिज सम्पदा आदि।
प्रमुख खनिज- 
चूना, पत्थर, मैग्नेसाइट, जिप्सम आदि।
प्रमुख फसलें- 
धान, गेहूँ, जौ, मण्डुआ, झंगोरा, मक्का, चौलाई आदि।
प्रमुख फल- 
आम, सेव, लीची, जामुन, नाशपाती, माल्टा आदि।
प्रमुख नदियाँ- 
भागीरथी (गंगा), अलकनन्दा, मन्दाकिनी।
(गंगा, पिण्डारी, टौन्स, यमुना, काली, गोरी, सरयू, नयार, भिलंगना, शारदा आदि।
मुख्यमन्त्री और उनके कार्यकाल-
nityanश्री नित्यानन्द स्वामी-
9 November 2000 से 29 October 2001 तक।
(भारतीय जनता पार्टी)
bhatsinghkoshyari श्री भगत सिंह कोश्यारी
30 October 2001 से 1 March 2002 तक।
(भारतीय जनता पार्टी)

14-ndtiwari200 श्री पं.नारायण दत्त तिवारी

2 March 2002 से 7 March 2007 तक।
(भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस)
khanduri-thumbश्री मे.ज. भुवन चन्द्र खण्डूरी
8 March 2007 से 23 June 2009 तक।
(भारतीय जनता पार्टी)
nishankश्री रमेश पोखरियाल “निशंक”
24 June 2009 से अब तक।
(भारतीय जनता पार्टी)
उत्तराखण्ड के सभी नागरिकों को 
राज्य की स्थापना दिवस की वर्षगाँठ पर 
हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ!

रविवार, नवंबर 07, 2010

“सीनियर सिटीजन वैलफेयर सोसायटी, खटीमा का अधिवेशन सम्पन्न”

स्थीनीय क्षेत्र विकास समिति, खटीमा के वातानुकूलित सभागार में 6 नवम्बर 2010 को अपराह्न 3 बजे से सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी का अधिवेशन प्रारम्भ हुआ जिसमें जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में बी.एस.चलाल उपजिलाधिकारी खटीमा ने भाग लिया।
sinior citizen सर्व प्रथम माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन किया गया!
IMG_2394 IMG_2408अधिवेशन का संचालन सिटीजन वेलफेयर सोसायटी के सचिव डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ने किया और सोसायटी के अब तक के क्रियाकलापों की जानकारी दी।
IMG_2412आदरणीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित मुख्यअतिथि जी तथा संस्था के समस्त सदस्यगण एवं पदाधिकारियों!
सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी की स्थापना के समय मैंने यह संकल्प किया था कि इस संस्था का उद्घाटन मैं जनपद के मुखिया के द्वारा कराउँगा। आज मुझे बहुत ही हर्ष हो रहा है कि मेरा यह संकल्प आज 6 नवम्बर को मूर्तरूप ले रहा है। आज हमारे जिले के मुखिया के प्रतिनिधि के रूप में उपजिलाधिकारी, खटीमा (ऊधमसिंह नगर) अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से समय निकाल कर हमारी संस्था सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी, खटीमा का उद्घाटन करने के लिए पधारे हैं। इस अवसर पर मैं आपका संस्था की ओर से और अपनी ओर से हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ।
मुख्यअतिथि और आप सबके सम्मुख मैं संस्था के क्रियाकलापों की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ!
जिस समय हमारे मन में इस संस्था को जन्म देने की प्रसव पीड़ा हुई तो उस समय न तो हमारे पास वांछित सदस्य थे न ही कोष था और न ही संसाधन थे। किसी तरह सात सदस्य जुटाये गये और चार सदस्यों डॉ.इन्द्रराम, डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री, पी.एन सक्सेना और सतपाल बत्रा ने दान स्वरूप एक-एक हजार रुपये और रुद्रपुर के एक सदस्य श्री कुन्दनलाल अग्रवाल से 2000 रुपये दिये। इस धन से संस्था के पंजीकरण के लिए आवेदन 5-5-2010 को किया गया और दिनांक 13-05-2010 को संस्था का पंजीकरण हमे प्राप्त हो गया। जो उद्देश्य पंजीकृत हुए वह हैं-
1- वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए कार्य करना।
2- वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों का लाभ समाज तक पहुँचाना।
3- सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को वरिष्ठ नागरिकों को दिलाना।
4- विज्ञान, साहित्य और ललितकलाओं के लिए शिविरों का आयोजन करना।
5- वरिष्ठ नागरिकों के लिए उपयोगी जानकारियों का प्रचार व प्रसार करना।
6- वरिष्ठ नागरिकों के लिए पुस्तकालय और वाचनालय का प्रबन्ध करना।
7- विशेषज्ञों की कलाकृतियों को पुस्तकालय में सुरक्षित रखना।
8- नैसर्गिक इतिहास के लिए कार्य करना।
9- यान्त्रिक एवं दार्शनिक आविष्कारों को जनमानस में प्रचारित करना।
10- वृद्धाश्रम का निर्माण कर वरिष्ठ नागरिकों को खादी एवं ग्रामोद्योग, पंचायत उद्योग एवं ग्राम विकास की योजनाओं से लाभान्वित कराना।
नियमावली में संस्था की सदस्यता की 3 श्रेणी बनाई गईं-
1- आजीवन सदस्य 2- विशिष्ट सदस्य और 3- सामान्य सदस्य।
विशिष्ट सदस्यों में हमने विशिष्ट पेशे से जुड़े हुए कुछ सदस्यों को सम्मिलित किया जिसके लिए नियमावली के अनुसार 60 वर्ष की आयु सीमा का प्रतिबन्ध नहीं रखा गया।
आज सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी की सदस्य संख्या नानकमत्ता इकाई को जोड़कर 90 के पार पहुँच गई है।
संस्था के पंजीकरण के पश्चात हमने 5 माह की अल्प अवधि में समाज के लिए कुछ कार्यक्रमों का आयोजन भी किया। जो संक्षिप्तरूप में इस प्रकार हैं-
1- सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी, खटीमा ने स्तन्त्रतादिवस के अवसर पर 15 अगस्त, 2010 को निःशुल्क मदुमेह जाँच शिविर का आयोजन किया। जिसमें 230 शुगर के रोगियो की निःशुल्क जाँच एवं निदान उपचार किया गया। इस शिविर में डॉ.कल्याण सिंह (पूर्व सी.एम.ओ.), डॉ.पी.सी.पाण्डेय,(पूर्व-स्वास्थ्य अधीक्षक) तथा आई.एम.ए.खटीमा के डॉ.सी.एस.जोशी और इसके अध्यक्ष डॉ.प्रेम सिंह खड़ायत का योगदान सराहनीय रहा। शिविर में रक्तजाँच करने में सहयोग स्थानीय सेन्टर पौथोलॉजी, निदान पैथोलॉजी, खिण्डा पैथोलॉजी और हाईटेक पैथोलॉजी ने भी सहयोग प्रदान किया।
2- शिक्षक दिवस 5 सितम्बर, 2010 को क्षेत्र के 5 उत्कृष्ट शिक्षकों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
3- एक सितम्बर,2010 को उत्तराखण्ड के शहीदो की याद में शहीद स्मारक, खटीमा पर पुष्प-चक्र और पुष्पांजलि अर्पित की गई।
4- एक अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय वरिष्ठ दिवस पर नई तहसील, खटीमा के सभागार में एक गोष्टी का आयोजन किया जिसमें संस्था के सदस्यो के साथ-साथ तहसीलदार खटीमा और राजस्वविभाग के अधिकारियों और कर्मचारियो ने भाग लिया।
5- तीन अक्टूबर, 2010 को स्थानीय अग्रसेन धर्मशाला में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें विधिक जानकारी देने के लिए अपर सिविल जज श्री प्रदीप मणि त्रिपाठी तथा विधिक समिति के सदस्य 10 विद्वान अधिवक्ता भी थे।
मान्यवर,
आज भी सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी, खटीमा के जुडे हुए हम वरिष्ठ नागरिक समाज को अपने जीवन भर के जुटाए गये अनुभवों का लाभ पहुँचाने में संलग्न है।
आपने मुख्यअतिथि के रूप में पधारकर इस संस्था का उदघाटन किया और इसे मान्यता प्रदान की इसके लिए मैं आपका पुनः हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ और साथ ही विभिन्न विभागों से आयो हुए तमाम सरकारी और गैर-सरकारी अधिकारियों का भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
जय-हिन्द! जय भारत!! जय उत्तराखण्ड!!!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री, सचिव-सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी, खटीमा।
IMG_2414 इसके बाद संस्था का माँगपत्र सोसायटी के कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. कल्याण सिंह (पूर्व-सी.एम.ओ.) ने मुख्यअतिथि को समर्पित किया।
माँग पत्र
सम्मानित जिलाधिकारी
ऊधमसिंह नगर!
महोदय,
सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी (रजिस्टर्ड) खटीमा (ऊधमसिंहनगर) के उद्घाटन समारोह में संस्था के समस्त पदाधिकारियों और सदस्यो की आपका स्वागत एवं अभिनन्दन करते हैँ!
इस संस्था की स्थापना के साथ क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण संस्था का पंजीकरण 13-05-2010 को करवाया गया था। परन्तु संस्था की गतिविधियों का संचालन करने के लिए अभी तक संस्था के पास भूमि-भवन और कार्यालय की कोई व्यवस्था नहीं है। अतः सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी (रजिस्टर्ड) खटीमा (ऊधमसिंहनगर) के समस्त सदस्यगण आपसे सावनुरोध माँग करते हैं -
1- यह कि इस हेतु दिनांक 05-05-2010 को हमने तत्कालीन जिलाधिकारी ऊधमसिंहनगर तथा उपजिलाधिकारी, खटीमा से दिनांक 13-062010 के द्वारा भी संस्था की कार्यवाही के संचालन के लिए भूमि एवं भवन की माँग की थी। जिसके परिपेक्ष्य मे उपजिलाधिकारी, खटीमा ने आपको पत्रांक 76-2010 दिनांक 18-08-2010 को अपनी संस्तुति के अनुसार आपको आख्या दी थी कि जब तक संस्था के स्थाई भवन का प्रबन्ध नहीं हो जाता है तब तक के लिए खटीमा की पुरानी तहसील स्थित रजिस्ट्रार कानूनगो कार्यालय को सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी (रजिस्टर्ड) खटीमा (ऊधमसिंहनगर) को आबंट्त कर दिया जाये।
2- यह कि सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी (रजिस्टर्ड) खटीमा (ऊधमसिंहनगर) क्षेत्र के निराश्रित एवं असहाय लोगों के वृद्धावस्था के जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक वृद्धाश्रम का निर्माण कराना चाहती है। जिसके लिए संस्था को न्यूनतम दो बीघा जमीन की आवश्यकता होगी।यदि इस संस्था को खटीमा में कंजाबाग रोड के किनारे बने सरकारी फार्म में से न्यूनतम दो बीघा जमीन आबंटित हो जाती है तो इस पर वृद्धाश्रम का निर्माण करवाया जा सकता है।
3- वरिष्ठ नागरिक राष्ट्र की धरोहर हैं। जिन्होंने देश की सीमाओं तथा आन्तरिक जीवन के विभिन्न दायित्वो का निर्वहन कर राष्ट्र के विकास में अपना सराहनीय योगदान दिया है। अतः शासन तथा प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह उनके असहाय हो जाने पर व्यक्तिगत रुचि लेकर वांछित सहायता करें!
अतः जनपद के मुखिया होने के नाते आपसे निवेदन है कि प्राथमिकता के आधार पर खटीमा की पुरानी तहसील में खाली पड़े रजिस्ट्रार कानूनगो कार्यालय को सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी (रजिस्टर्ड) खटीमा (ऊधमसिंहनगर) को आबंटित करने की कृपा करें।
महोदय,
आप अपने स्तर से खटीमा में कंजाबाग रोड के किनारे बने सरकारी फार्म में से न्यूनतम दो बीघा जमीन का प्रस्ताव भी संस्था को आबंटित कराने हेतु शासन को भिजवाने की कृपा करें!
(डॉ. इन्द्र राम) (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री) (डॉ. कल्याण सिंह)
अध्यक्ष सचिव सदस्य-कार्यकारिणी
मुख्य अतिथि श्री बी.एस.चलाल (उपजिलाधिकारी,खटीमा) अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए।
मुख्य अतिथि ने संस्था को हर सम्भव मदद देने का आश्वासन देते हुए कहा कि जब तक सोसायटी के लिए भूमि-भवन की व्यवस्था नहीं होती है तब तक उनके लिए नयी तहसील का सभागार बैठक करने के लिए उपल्ब्ध कराया जायेगा। इसके लिए वे अधीनस्थ तहसीलदार, खटीमा को लिखित आदेश भी कर देंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि खटीमा से लगे मुंडेली ग्राम में 3-4 बीघा खाली पड़ी सरकारी भूमि का प्रस्ताव वे जिलाधिकारी को बना कर भिजवा देंगे।
IMG_2418सोसायटी के अध्यक्ष डॉ.इन्द्रराम (पूर्व प्राचार्य-स्नातकोत्तर महाविद्यालय) अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए।
अधिवेशन में उपस्थित सदस्यगण।
अधिवेशन को अध्यक्ष डॉ.इन्द्रराम, उपाध्यक्ष-सतपाल बत्तरा, मण्डी समिति के चेटरमैन श्री दलजीत सिंह गोराया, पूर्व पालिकाध्यक्ष श्री मलिकराज बत्तरा., स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खटीमा के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धेश्वर सिंह,
पूर्व सी.एम.ओ. डॉ.कल्याण सिंह, सोसायटी की नानकमत्ता शाखा के अध्यक्ष स.स्वर्ण सिंह, पूर्व स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ.पी.सी.पाण्डेय, डॉ.महेशचन्द्र जुयाल, पूर्व प्रधानाचार्य जयदत्तओझा और ऊधमसिंहनगर के प्रथम चावल निर्यातक और उद्योगपति श्री कुन्दन लाल अग्रवाल ने सभा को सम्बोधित किया!
सभा का संचालन सोसायटी के सचिव डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ने, सरस्वती वन्दना तथा स्वातगान श्री देवदत्त प्रसून ने और आय-व्यय को लेखा-जोखा कोषाध्यक्ष पी.एन सक्सेना ने प्रस्तुत किया।
अधिवेशन में ताराचन्द्र पाण्डेय, सोहनलाल शर्मा, दिगम्बर सिंह पोखरिया,  त्रिलोचन जोशी, नरपति राम, रमेश चन्द्र राना, गेंदा लाल, ठा0 विजय सिंह, विष्णु दत्त, दिवानसिंह भण्डारी, भगवान सिंह धामी, बलवन्त सिंह नगरकोटी, भानी चन्द, नरेन्द्र चन्द, चौ0 रामराज सिंह मौर्य, गिरीश चन्द्र जोशी, सूरज प्रकाश बत्तरा, गोपाल दत्त जोशी, नारायणदास सक्सेना, देवी दत्त जोशी, देवदत्त गंगवार, नरेश तलवार, डॉ0 बाबूराम अरोराए रोशनलाल ग्रोवर, नित्यानन्द पाठक, ईश्वरचन्द अग्रवाल, डॉ. सुनील भटनागर तथा गीताराम बंसल आदि उपस्थित रहे।
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शनिवार, अक्टूबर 30, 2010

"शेरू तुझे सलाम!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

पराया देश पर 
श्री राज भाटिया जी का 
संस्मरण पढ़ रहा था
आज मुझे भी 27 वर्ष पुराना 
एक ऐसा ही संस्मरण याद आ रहा है! 
उन दिनों भी मुझे कुत्ते पालने का बहुत शौक था! मेरे एक वनगूजर मित्र ने मुझे एक भोटिया नस्ल की कुतिया लाकर दी! 
दो महीने बाद उसने बहुत ही प्यारे-प्यारे 13 पिल्लों को जन्म दिया! पिल्लों के जन्म के चार दिन बाद ही वह इस दुनिया से चली गई!
लेकिन अब इन 13 पिल्लों को पालने की जिम्मेदारी मेरी थी!
मैंने इनके लिए दूधवाले से 2 किलो दूध ज्यादा लेना शुरू कर दिया! अब इन अबोध श्वान शिशुओं को दूध पिलाने में बहुत समस्या आई!
खैर मैंने बाजार से दो निप्पल और दो दूध पिलाने की बोतलें खरीद लीं!
बारी-बारी से उन सबकों 3 टाइम दूध पिलाना मेरी दिनचर्या बन चुकी थी! 15 दिनों बाद यह पिल्ले भात-खचड़ी भी खाने लगे थे! अपनी भोटिया नस्ल के कारण इनकी सेहत बहुत अच्छी थी! अतः मेरे इष्ट-मित्रों ने बहुत शौक से 12 पिल्ले पालने के ले मुझसे लिए!
एक पूरी तरह से काला-कलूटा पिल्ला मैंने स्वयं ही रख लिया! वह भी इसलिए कि वह अपने भाई-बहनों में सबसे कमजोर था! 
साज-संभाल और खातिरदारी के कारण यह भी थोड़े ही दिनों में हृष्ट-पुष्ट हो गया!
मैंने प्यार से इसका नाम रक्खा शेरू!
शेरू अपनी नस्ल के कारण बहुत बड़े आकार का था! मेरे पिता जी से वह बहुत प्यार करता था! अगर कोई प्यार से भी पिता जी का हाथ पकड़ता था तो शेरू यह सोचता था कि वह पिता जी से झगड़ा कर रहा हैं अतः वो भौंकने लगता था और उस पर हमला करने को तैयार हो जाता था!
हम लोग दोमंजिले पर रहते थे मगर पिता जी नीचे ही एक कमरे में रहते थे! 
उन दिनों मेरे घर का आँगन कच्चा ही था! गर्मी के दिनों में पिता जी बाहर आँगन में ही चारपाई बिछा कर सोते थे!
एक दिन मैंने देखा कि पिता जी की चारपाई के नीचे एक 3 फीट लम्बा  खून से लहूलुहान  साँप मरा पड़ा था!
मुझे यह समझते देर न लगी कि यह शेरू का ही कारनामा रहा होगा! जिसने अपनी जान पर खेलकर पिता जी पर कोई आँच नही आने दी थी!
काश् मेरे पास आज उस स्वामीभक्त शेरू का फोटो होता तो इस पोस्ट के साथ जरूर लगाता!
उसके लिए अब भी मेरे मुँह से यही निकलता है- 
"शेरू तुझे सलाम!" 

सोमवार, अक्टूबर 25, 2010

"भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ" प्रस्तोता:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")



मैं केवल अपनी संस्कृति की बात कर रहा हूँ!
किसी अन्य देश और धर्म की संस्कृति के विषय में मुझे टीका-टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है!
"भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ"
1- भारतीय संस्कृति ने जितने महापुरुष पैदा किये हैं इतने किसी संस्कृति या धर्म ने पैदा नहीं किये! "अहिंसा परमो धर्मः" का सिद्धान्त अन्य किसी संस्कृति में विद्यमान नही है!
2- भारतीय संस्कृति में पाप से लड़ने और मन की शान्ति के लिए जितने उपाय है उतने किसी में नहीं। तभी तो विदेशी यहाँ पर शान्ति की खोज में आते हैं!
3- प्राचीनतम वेद-शास्त्र, दर्शन, गीता, रामायण आदि जितने पुरातन धार्मिक ग्रन्थ भारतीय संस्कृति में हैं इतने किसी अन्य संस्कृति में नहीं हैं!
4- मधुर-व्यवहार, ईमानदारी, पुरुषार्थ, प्रखर मस्तिष्क और कार्यकुशलता जितनी हमारे भारत देश में है इतनी विश्व में कहीं नही है! तभी तो हमारे देश के लोगों की माँग विश्व के हर देश में है!
5- भारतीय संस्कृति में पत्नी पति की अर्धांगिनी है तथा जीवन भर की संगिनी है लेकिन अन्य देशों में यह नहीं है। 

बुधवार, अक्टूबर 13, 2010

"अद्वितीय घटनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

क्या आप रामलीला देखते हैं? 
यदि हाँ ! तो आप राम के चरित्र से 
क्या शिक्षा लेते हैं?
"सुनु जननी तेहि सुत बड़भागी।
जो पितु-मातु चरण अनुरागी।।"
(महाकवि सन्त तुलसीदास)
1- 
पितृभक्ति!
 भगवान राम माता-पिता के आदेश पर राज्य छोड़कर 14 वर्ष के लिए वनवास को चले गये थे!
2- त्याग!
भगवान राम ने जिस भरत के लिए राज्य छोड़ा उसका त्याग भी तो देखिए। 
उसने राज सिंहासन आजीवन नही सम्भाला!
3- भ्रातृ-प्रेम!
लक्ष्मण को तो वन जाने का आदेश नहीं था। लेकिन फिर भी वह बड़े भाई राम के साथ 
14 वर्षों तक वन में रहे!
4- पतिवृता-धर्म!
सीता जी राजमहलों की सुविधाएँ छोड़कर 
पति के साथ वन में चलीं गईं!
5- स्वामीभक्ति!
वीर हनुमान की स्वामीभक्ति!


 

सोमवार, अक्टूबर 04, 2010

"विधिक जागरूकता शिविर सम्पन्न" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

सीनियर सिटीजन वैलफेयर सोसायटी, खटीमा
के तत्वावधान में 
विधिक जागरूकता शिविर सम्पन्न!
तहसील विधिक सेवा समिति , खटीमा  द्वारा सीनियर सिटीजन वैलफेयर सोसायटी, खटीमा के बैनर तले समाज में विधिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से 
दिनांक 03-10-2010 को महाराजा अग्रसेन धर्मशाला, खटीमा में 
एक शिविर का आयोजन किया गया। 
जिसमें जन साधारण को कानून के मूलभूत अधिकारों की जानकारी दी गई!
इस शिविर का संचालन सीनियर सिटीजन वैलफेयर सोसायटी, खटीमा के सचिव 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बाबू सतपाल बत्तरा ने की। 
न्यायमूर्ति प्रदीप मणि त्रिपाठी, अपर सिविल न्यायाधीश (जूनियर-डिविजन) ने 
मुख्य-अतिथि के आसन को सुशोभित किया!
शिविर में कानूनी जानकारी देते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
न्यायमूर्ति प्रदीप मणि त्रिपाठी, अपर सिविल न्यायाधीश (जूनियर-डिविजन)

इस कार्यक्रम का समाचार, दैनिक अमर उजाला, नैनीताल संस्करण में 
दिनांक 04-10-2010 को पृष्ठ-6 पर छपा है। 
जिसकी कटिंग निम्नवत् है। 
समाचार की कटिंग पर चटका लगा कर 
इसको आप बड़ा करके स्पष्टरूप में पढ़ सकते हैं।

सोमवार, सितंबर 27, 2010

"विश्व पर्यटन दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")




"सैर कर दुनिया की गाफिल, जिन्दगानी फिर कहाँ।
जिन्दगानी भी रही तो, यह जवानी फिर कहाँ।।"
कुम्भ नगरी हरिद्वार 
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स्वर्ण मन्दिर, अमृतसर 
जलियाँवाला बाग, अमृतसर
वाघा-बॉर्डर, अटारी (पंजाब)
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नैनीताल
माता नैनादेवी मन्दिर, नैनीताल
  
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गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब
दूधवाला कुआँ, नानकमत्ता साहिब

पीरान कलियर, रुड़की
माता पूर्णागिरि दरबार, चम्पावत
22 किमी लम्बा शारदासागर बाँध, खटीमा
नानकसागर बाँध, खटीमा
बाउली साहिब, नानकसागर डाम
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शारदा बैराज, बनबसा (चम्पावत) 

इस पार हमारा भारत है,
उस पार बसा नेपाल देश।
मध्यस्थ शारदा मइया हैं,
सिंचित करती जो उभयदेश।।
बनबसा बैराज का खूबसूरत मॉडल

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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
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मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।