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शुक्रवार, सितंबर 25, 2009

"धर्मराज की सभा" डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"



धक्का दे दिया.........! धक्का दे दिया.........!!


(श्री गुरदयाल सिंह जी)

श्री गुरदयाल सिंह जी मेरे राजनीतिक मित्र होने के साथ-साथ मेरे समाज के स्वजातीय भी हैं।
ये प्रजापति संघ उत्तराखण्ड के संरक्षक हैं और मैं प्रदेश अध्यक्ष हूँ।
इनके एक पुत्र भारतीय सेना में कैप्टेन हैं इसलिए इनका इलाज भी मिलिट्री हास्पीटल में ही चलता है।
पिछले दिनों ये काफी बीमार रहे। अतः इलाज के लिए इन्हें बरेली के सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया। लेकिन इनकी स्थिति गम्भीर होती गयी।
मैं भी इन्हे देखने के लिए बरेली गया। रात के 11 बजे इनकी साँसे अनियमित हो गयी और थोड़ी देर में साँस थम भी गई।
सब लोग रोने-पीटने लगे। डाक्टर डेथ सर्टिफिकेट बनाने की तैयारी में लग गये।
करीब 10 मिनट बाद इनकी जोर से चिल्लाने की आवाज आई-
‘‘धक्का दे दिया! धक्का दे दिया!!’’
ये जोर से चिल्लाये जा रहे थे। साँसे नियमित हो गयीं थीं।
अब ये बात भी करने लगे।
हम लोगों ने इनसे पूछा कि भाई साहब! आप चिल्ला क्यों रहे थे?
हमें इन्होंने विस्तार से बताया कि दो सरदार जी मुझे खींच कर एक ऐसे स्थान पर ले गये, जहाँ बहुत शान्ति थी। वहाँ भी एक सरदार जी बड़ा सा मुकुट लगाये सिंहासन पर बैठे थे।
जिनके एक ओर कछ लोग रो रहे थे और दूसरी ओर कुछ लोग हँस रहे थे। मैं तार्किक तो हूँ ही मैंने उनसे पूछा-
‘‘सरदार जी ! ये क्या तमाशा है?ये लोग क्यों हँस और रो रहे हैं।’’
अब धर्मराज जी ने मेरी ओर देखा और मुझे अपने पास बुलाया।
मैं जैसे ही उनके पास गया। उन्होंने मुझे ऐसा धक्का दिया कि मैं सँभल नही पाया और मेरे मुँह से निकल पड़ा-
‘‘धक्का दे दिया! धक्का दे दिया!!’’
यह अपनी बात सुना ही रहे थे कि इसी वार्ड में हमें लोगों की रोने की आवाजें सुनाई दीं।
पता लगा कि चौथे बेड पर पड़ा रोगी मर गया।


5 टिप्‍पणियां:

  1. मैनें भी सुना है आदमी अपने अंतिम व्यक्त में कुछ अजीब अजीब हरकत करता है है क्या पता नही पर आपने बहुत बढ़िया उदाहरण दिया मेरे सुने हुए इस कथन का...
    बढ़िया संस्मरण..

    जवाब देंहटाएं
  2. ऐसा भी होता है..रोचक रहा यह संस्मरण पढ़ना.

    जवाब देंहटाएं
  3. विज्ञान का विद्यार्थी हूं इसलिए यह सब थोड़ा अजीब लगता है.. लेकिन धर्म और दर्शन में गहरी आस्था आखिर वैज्ञानिक तर्क को पछाड़ ही देती है..

    हैपी ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  4. is prakar ke vakye bachpan mein humne bhi sune hain kai logon ke moonh se.........jinke sath hota hai wo to vishwas karte hi hain chahe duniya kare ya na kare.

    जवाब देंहटाएं

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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
--
मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।