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बुधवार, सितंबर 14, 2011

"आज हिन्दी दिवस है!" (प्रस्तोता- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आज हिन्दी दिवस है!

प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को भारत के लोग हिन्दी दिवस मनाते हैं और हिन्दी के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट कर देते हैं। उसके बाद पूरे साल वही गिटर-पिटर का टर-टर स्वर आलापते रहते हैं।

आज से 62 वर्ष पूर्व जब महात्मा गांधी जीवित थे 14 सितम्बर, 1949 को भारत की संविधन सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिन्दी भारत की राजभाषा कहलाएगी।
इस निर्णय पर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा।
स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है:
संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा ।
संविधान में राजभाषा के सम्बन्ध में धारा ३४३ से ३५२ तक की व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये १४ सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
अब हमारी मानसिक दासता को उजागर करता हुआ यह पक्ष भी देख लीजिए!
संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति महोदय या लोकसभा के अध्यक्ष महोदय विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं । {संविधान का अनुच्छेद 120} किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अंतर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निदेशों द्वारा निर्धारित किया गया है।
स्वतन्त्रता से पूर्व की गतिविधियाँ
1833-86 : गुजराती के महान कवि श्री नर्मद (1833-86) ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा।
1872 : आर्य समाज के संस्थापक महार्षि दयानंद सरस्वती जी कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तो उन्होने स्वामी जी को यह सलाह दे डाली कि आप संस्कृत छोडकर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी।
1873: महेन्द्र भट्टाचार्य द्वारा पदार्थ विज्ञान की रचना
1877 : श्रद्धाराम फिल्लौरी ने भाग्यवती नामक हिन्दी उपन्यास की रचना की।
1918 : मराठी भाषी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से घोषित किया कि हिन्दी भारत की राजभाषा होगी।
1918 : महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना
1930 का दशक : हिन्दी टाइपराइटर का विकास (शैलेन्द्र मेहता)
1935 : मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री रूप में सी० राजगोपालाचारी ने हिन्दी शिक्षा को अनिवार्य कर दिया।
स्वतन्त्रता के बाद की गतिविधियाँ
14.9.1949
संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया । इस दिन को अब हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
26.1.1950
संविधान लागू हुआ। तदनुसार उसमें किए गए भाषाई प्रावधान(अनुच्छेद 120, 210 तथा 343 से 351) लागू हुए ।
1952
शिक्षा मंत्रालय द्वारा हिन्दी भाषा का प्रशिक्षण ऐच्छिक तौर पर प्रारम्भ किया गया ।
27.5.1952
राज्यपालों/उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्तियों में अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी भाषा व भारतीय अंकों के अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप के अतिरिक्त अंकों के देवनागरी स्वरूप का प्रयोग प्राधिकृत किया गया ।
जुलाई, 1955
हिन्दी शिक्षण योजना की स्थापना । केन्द्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, संबद्ध व अधीनस्थ कर्मचारियों को सेवाकालीन प्रशिक्षण ।
7.6.1955
बी.जी. खेर आयोग का गठन (संवधान के अनुच्छेद 344 (1) के अन्तर्गत)
अक्तूबर,1955
गृह मंत्रालय के अन्तर्गत हिन्दी शिक्षण योजना प्रारम्भ की गई ।
3.12.1955
संविधान के अनुच्छेद 343 ( 2) के परन्तुक द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए संघ के कुछ कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का प्रयोग किए जाने के आदेश जारी किए गए ।
31.7.1956
खेर आयोग की रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गई ।
1957
खेर आयोग की रिपोर्ट पर विचार हेतु तत्कालीन गृह मंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत की अध्यक्षता में संसदीय समिति का गठन ।
8.2.1959
संविधान के अनुच्छेद 344 (4) के अन्तर्गत संसदीय समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गई ।
सितम्बर, 1959
संसदीय समिति की रिपोर्ट पर संसद में बहस । तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा आश्र्वासन दिया गया कि अंग्रेजी को सह-भाषा के रूप में प्रयोग में लाए जाने हेतु कोई व्यावधान उत्पन्न नहीं किया जाएगा और न ही इसके लिए कोई समय-सीमा ही निर्धारित की जाएगी । भारत की सभी भाषाएं समान रूप से आदरणीय हैं और ये हमारी राष्ट्रभाषाएं हैं ।
1960
हिन्दी टंकण, हिन्दी आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण आरम्भ किया गया ।
27.4.1960
संसदीय समिति की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति के आदेश जारी किए गए जिनमें हिन्दी शब्दावलियों का निर्माण, संहिताओं व कार्यविधिक साहित्य का हिंदी अनुवाद, कर्मचारियों को हिंदी का प्रशिक्षण, हिंदी प्रचार, विधेयकों की भाषा, उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों की भाषा आदि मुद्दे हैं ।
10.5.1963
अनुच्छेद 343(3) के प्रावधान व श्री जवाहर लाल नेहरू के आवासन को ध्यान में रखते हुए राजभाषा अनयम बनाया गया । इसके अनुसार हन्दी संघ की राजभाषा व अंग्रेजी सह-राजभाषा के रूप में प्रयोग में लाई गई ।
5.9.1967
प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय हिन्दी समिति का गठन किया गया । यह समिति सरकार की राजभाषा नीति के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निदेश देने वाली सर्वोच्च समिति है । इस समिति में प्रधानमंत्री जी के अलावा नामित केन्द्रीय मंत्री, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद तथा हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के विद्वान सदस्य के रूप में शामिल किए जाते हैं ।
16.12.1967
संसद के दोनों सदनों द्वारा राजभाषा संकल्प पारित किया गया जिसमें हिन्दी के राजकीय प्रयोजनों हेतु उत्तरोत्तर प्रयोग के लिए अधिक गहन और व्यापक कार्यक्रम तैयार करने, प्रगति की समीक्षा के लिए वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने, हिन्दी के साथ -साथ 8वीं अनुसूची की अन्य भाषाओं के समन्वित विकास के लिए कार्यक्रम तैयार करने, त्रिभाषा सूत्र का अपनाये जाने, संघ सेवाओं के लिए भर्ती के समय हिन्दी व अंग्रेजी में से किसी एक के ज्ञान की आवश्यकता अपेक्षित होने तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उचित समय पर परीक्षा के लिए संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकल्पिक माध्यम के रूप में रखने की बात कही गई है । (संकल्प 18.8,1968 को प्रकाशित हुआ)
1967
सिंधी भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई ।
8.1.1968
राजभाषा अधिनियम, 1963 में संशोधन कए गए । तदनुसार धारा 3 (4) में यह प्रावधान कया गया कि हिंदी में या अंग्रेजी भाषा में प्रवीण संघ सरकार के कर्मचारी प्रभावी रूप से अपना काम कर सकें तथा केवल इस आधार पर कि वे दोनों ही भाषाओं में प्रवीण नहीं हैं, उनका कोई अहित न हो । धारा 3 (5) के अनुसार संघ के राजकीय प्रयोजनों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग समाप्त कर देने के लिए आवयक है कि सभी राज्यों के विधान मण्डलों द्वारा( जिनकी राजभाषा हिंदी नहीं है ) ऐसे संकल्प पारित कए जाएं तथा उन संकल्पों पर विचार करने के पश्चात अंग्रेजी भाषा का प्रयोग समाप्त करने के लिए संसद के हरेक सदन द्वारा संकल्प पारित कया जाए ।
1968
राजभाषा संकल्प 1968 में किए गए प्रावधान के अनुसार वर्ष 1968-69 से राजभाषा हिन्दी में कार्य करने के लिए विभिन्न मदों के लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा इसके लिए वार्षिक कार्यक्रम तैयार किया गया ।
1.3.1971
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो का गठन ।
1973
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के दिल्ली स्थिति मुख्यालय में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना ।
1974
तीसरी श्रेणी के नीचे के कर्मचारियों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों तथा कार्य प्रभारित कर्मचारियों को छोड़कर केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्रणाधीन निगमों, उपक्रमों, बैंकों आदि के कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए हिन्दी भाषा, टंकण एवं आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण ।
जून, 1975
राजभाषा से संबंधित संवैधानिक, विधिक उपबंधों के कार्यान्वयन हेतु राजभाषा विभाग का गठन किया गया ।
1976
राजभाषा नियम बनाए गए ।
1976
संसदीय राजभाषा समिति का गठन । तब से अब तक समिति ने अपनी रिपोर्ट के 8 भाग प्रस्तुत किए हैं जिनमें से प्रथम 7 पर राष्ट्रपति के आदेश जारी हो गए हैं । आठवें खण्ड में की गई संस्तुतियों पर मंत्रालयों व राज्य सरकारों की टिप्पणी प्राप्त की जा रही है ।
1977
श्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन विदेश मंत्री ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को हिंदी में संबोधित किया ।
1981
केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग का गठन किया गय ।
25.10.1983
केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों, विभागों, सरकारी उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंकों में यांत्रिक और इलेक्ट्रानिक उपकरणों द्वारा हिन्दी में कार्य को बढ़ावा देने तथा उपलब्ध द्विभाषी उपकरणों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से राजभाषा विभाग में तकनीकी कक्ष की स्थापना की गई ।
21.8.1985
केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान का गठन कर्मचारियों/अधिकारियों को हिन्दी भाषा, हिन्दी टंकण और हिन्दी आशुलिपि के पूर्णकालिक गहन प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया गया ।
1986
कोठारी शिक्षा आयोग की रिपोर्ट। 1968 में पहले ही यह सिफारिश की जा चुकी थी कि भारत में शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषाएं होनी चाहिए । उच्च शिक्षा के माध्यम के संबंध में नई शिक्षा नीति (1986) के कार्यान्वयन - कार्यक्रम में कहा गया - स्कूल स्तर पर आधुनिक भारतीय भाषाएं पहले ही शिक्षण माध्यम के रूप में प्रयुक्त हो रही हैं । आवश्यकता इस बात की है  विश्वविद्यालय के स्तर पर भी इन्हें उत्तरोत्तर माध्यम के रूप में अपना लया जाए । इसके लिए अपेक्षा यह है कि राज्य सरकारें, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से परामर्श करके, सभी विषयों में और सभी स्तरों पर शिक्षण माध्यम के रूप में उत्तरोत्तर आधुनिक भारतीय भाषाओं को अपनाएं।
1986-87
इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार प्रारम्भ किए गए ।
9.10.1987
राजभाषा नियम, 1976 में संशोधन किए गए ।
1988
विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेम्बली में तत्कालीन विदेश मंत्री श्री नरसिंह राव जी हिंदी में बोले ।
1992
कोंकणी, मणिपुरी  नेपाली भाषाएं संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई ।
14.9.1999
संघ की राजभाषा हिंदी की स्वर्ण जयंती मनाई गई ।
24.1.2000
राजभाषा विभाग का पोर्टल का लोकार्पण माननीय गृह मंत्री जी द्वारा किया गया जिसमें विभाग से संबंधत विभिन्न जानकारियां द्विभाषिक रूप में उपलब्ध कराई गई ।
20.10.2000
राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार वर्ष 2001-02 से आरंभ करने की घोषणा की गई जिसमें निम्न पुरस्कार राशियां हैं :-
(1) प्रथम प्ररस्कार - 100000 रुपये
(2) ‡द्वतीय प्ररस्कार - 75000 रुपये
(3) तृतीय पुरस्कार - 50000 रुपये
(4) 10 सांत्वना पुरस्कार - 100000 रुपये
2.9.2003
डॉ. सीता कान्त महापात्र की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जो संविधान की आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को सम्मिलित किए जाने तथा आठवीं अनुसूची में सभी भाषाओं को संघ की राजभाषा घोषित किए जाने की साध्यता परखने पर विचार करेगी । समिति ने 14.6.2004 को अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की ।
11.9.2003
मंत्रिमंडल ने एन.डी.ए. तथा सी.डी.एस. की परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों को हिंदी में भी तैयार करने का निर्णय लिया ।
14.9.2003
कंप्यूटर की सहायता से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए राजभाषा विभाग ने कंप्यूटर प्रोग्राम (लीला हिंदी प्रबोध, लीला हिंदी प्रवीण, लीला हिंदी प्राज्ञ ) तैयार करवा कर सर्व साधारण द्वारा उसका निशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया है।
8.1.2004
बोडो, डोगरी, मैथिली तथा सांथाली भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा ।
22.7.2004
केन्द्रीय सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन /कार्यान्वयन के लिए न्यूनतम हिन्दी पदों के मानक पुन निर्धारित ।
6.9.2004
मातृभाषा विकास परिषद् द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने यह पाया कि वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के गठन का उद्देश्य हिंदी एवं अन्य आधुनिक भाषाओं के लिए तकनीकी शब्दावली में एकरूपता अपनाया जाना है। यह एकरूपता तकनीकी शब्दावली के प्रयोग के लिए आवश्यक है । उच्चतम न्यायालय ने निदेश दिया कि आयोग द्वारा बनाई गई तकनीकी शब्दावली भारत सरकार के अंतर्गत एन.सी.ई.आर.टी तथा इसी प्रकार की अन्य संस्थाओं द्वारा तैयार की जा रही पाठय पुस्तकों में प्रयोग में लाई जाए ।
14.9.2004
कंप्यूटर की सहायता से तमिल, तेलुगू, मलयालम तथा कन्नड़ भाषाओं के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार करवा कर उसके निशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
20.6.2005
525 हिंदी फोंट, फोंट कोड कनवर्टर, अंग्रेजी - हिंदी शब्दकोश, हिंदी स्पेल चेकर को निशुल्क प्रयोग के लए वेब साइट पर उपलब्ध करा दिया गया । इन्हें http://ildc.in <http://ildc.gov.in/> से डाउनलोड किया जा सकता है ।
8.8.2005
राष्ट्रीय ज्ञान-वज्ञान मौलक पुस्तक लेखन पुरस्कार का नाम बदल कर राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार कर दिया गया तथा पुरस्कार राशि बढ़ा कर निम्न प्रकार कर दी गई :-
प्रथम पुरस्कार - रू० 2 लाख
द्वितीय पुरस्कार - रू० 1.25 लाख
तृतीय पुरस्कार - रू० 0.75 लाख
सांत्वना पुरस्कार (10) - रू० 10 हजार प्रत्येक को
यह योजना वर्ष 2004-95 में प्रकाशित पुस्तकों से लागू होगी ।
14.9.2005
कंप्यूटर की सहायता से बांगला भाषा के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए प्रोग्राम तैयार करवा कर राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया गया ।
मंत्र-राजभाषा अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद सॉफ्टवेयर प्रशासनिक एवं वित्तिय क्षेत्रों के लिए प्रयोग एवं डाउनलोड हेतु राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
14.9.2006
कंप्यूटर की सहायता से उड़िया, असमी, मणिपुरी तथा मराठी भाषा के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए प्रोग्राम तैयार करवा कर राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
मंत्र-राजभाषा अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद सॉफ्टवेयर लघु उद्योग एवं कृषि क्षेत्रों के लिए प्रयोग एवं डाउनलोड हेतु राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
14.9.2007
कंप्यूटर की सहायता से नेपाली, पंजाबी, कश्मीरी तथा गुजराती भाषा के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए प्रोग्राम तैयार करवा कर राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
मंत्र-राजभाषा अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद सॉफ्टवेयर सूचना-प्रौद्योगिकी एवं स्वास्थ्य सुरक्षा क्षेत्रों के लिए प्रयोग एवं डाउनलोड हेतु राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया ।
श्रुतलेखन-राजभाषा (हिंदी स्पीच से हिंदी टेक्सट) अंतिम वर्जन जन-प्रयोग के लिए मार्किट में बिक्री के लिए उपलब्ध है ।
(विकीपीडिया से साभार)

3 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी दिवस की ढेरों शुभकामनायें !आपने बहुत ज्ञानवर्धक आलेख लिखा है काफी जानकारी प्राप्त हुई !आभार !

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  2. हिंदी दिवस सभी को मुबारक हो !
    आपने बहुत ज्ञानवर्धक आलेख लिखा है काफी जानकारी प्राप्त हुई !आभार !

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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
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मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।