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शनिवार, जनवरी 29, 2011

"बाबा नागार्जुन और निशंक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

"बाबा नागार्जुन और निशंक" 
कल उत्तराखण्ड के यशस्वी मुख्यमन्त्री डॉ.रमेश पोखरियाल "निशंक" खटीमा के भ्रमण पर आ रहे हैं!
मुझे इस सन्दर्भ में बाबा नागार्जुन का एक संस्मरण याद आ रहा है!
बात1989 की है। उस समय बाबा एक माह के खटीमा प्रवास पर थे! इस अवधि में वह कई बार मेरे यहाँ भी 2-3 दिनों के लिए रहने के लिए आये थे!
एक दिन उन्होंने मुझे एक पुराना संस्मरण सुनाते हुए कहा था 
"शास्त्री जी! उन दिनों मैं हिन्दी के प्राध्यापक वाचस्पति के यहाँ जयहरिखाल (लैंसडाउन) में प्रवास पर था! एक लड़का मेरे पास कभी-कभी कुछ कविताएँ सुनाने के लिए आता था! उसका नाम रमेश पोखरियाल था। वह "निशंक" उपनाम से कविताएँ लिखता था! "
बाबा ने आगे कहना जारी रखा और कहा- 
"उसकी कविताएँ उसके शुरूआती दौर की कविताएँ थी, जिनमें कुछ कविताएँ तो बहुत अच्छी थीं। लेकिन कुछ कविताएँ बहुत सारा संशोधन चाहतीं थी। जो कविताएँ मुझे अच्छी लगतीं थी मैं उन पर उसे जी भरकर दाद दिया करता था। लेकिन जो कविताएँ मुझे अच्छी नहीं लगतीं थी उनको सुनकर मैं केवल हाँ - हूँ कर देता था! फिर भी वह लड़का मुझे बहुत प्रतिभाशाली लगता था।"
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आज मैं कह सकता हूँ कि वह नवयुवक निश्चितरूप से डॉ. रमेश पोशरियाल निशंक ही रहे होंगे। जो आज उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री के पद को सुशोभित कर रहे हैं।
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जब मुझे सन् 2008 में बनारस जाने का सौभाग्य मिला तो मैं अपने मित्र वाचस्पति के घर भी गया था! उस समय  डॉ. रमेश पोशरियाल निशंक उत्तराखण्ड सरकार में स्वास्थ्यमन्त्री थे। तब हिन्दी के प्रोफेसर वाचस्पति ने भी मुझे यही बताया था कि 1885-86 में रमेश पोखरियाल निशंक नाम का एक नवयुवक हमारे घर बाबा नागार्जुन से मिलने के लिए आया करता था। सुना है कि आज वह उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री है। तब मैंने उन्हें बताया था कि  डॉ. रमेश पोशरियाल निशंक उत्तराखण्ड के स्वास्थ्यमन्त्री है। इस बात को सुन कर वह बहुत प्रसन्न नजर आये! उस अवधि में मैंने उनसे कहा कि आप मेरे साथ देहरादून चलें । मैं उत्तराखण्ड सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य हूँ! भेंट करने में आसानी हो जाएगी। लेकिन वह समय कभी नहीं आया।
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बाबा का सुनाया हुआ यह संस्मरण मैं जब भी याद करता हूँ तो मुझे आभास होता है कि बाबा ने जिसे भी अपना आशीर्वाद दिया वह मुझे ऊँचाइयों की बुलन्दी पर पहुँचा हुआ मिला।

गुरुवार, जनवरी 20, 2011

"रस काव्य की आत्मा है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

♥ रस काव्य की आत्मा है ♥
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि रस क्या होता है?
कविता पढ़ने या नाटक देखने पर पाठक या दर्शक को जो आनन्द मिलता है उसे रस कहते हैं।
आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा की संज्ञा दी है।
रस के चार अंग होते हैं। 
1- स्थायी भाव,
2- विभाव,
3- अनुभाव और
4- संचारी भाव
सहृदय व्यक्ति के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहा जाता है। यही भाव रस का बोध पाठक को कराते हैं।
काव्य के प्राचीन आचार्यों ने स्थायी भाव की संख्या नौ निर्धारित की थी, जिसके आधार पर रसों की संख्या भी नौ ही मानी गई थी।
स्थायी भाव                    रस
रति                                           शृंगार
हास                                           हास्य
शोक                                          करुण
क्रोध                                          रौद्र
उत्साह                                      वीर
भय                                           भयानक
जुगुप्सा (घृणा)                         वीभत्स
विस्मय                                    अद्भुत
निर्वेद                                       शान्त
लेकिन अर्वाचीन विद्वानों ने वात्सल्य के नाम से दसवाँ रस भी स्वीकार कर लिया। किन्तु इसका भी स्थायी भाव रति ही है। अन्तर इतना है कि जब रति बालक के प्रति उत्पन्न होती है तो उससे वात्सल्य की और जब ईश्वर के प्रति होती है तो उससे भक्ति रस की निष्पत्ति होती है।
विभाव
जिसके कारण सहृदय व्यक्ति को रस प्राप्त होता है , वह विभाव कहलाता है। अतः स्थायी भाव का कारण विभाव है। यह दो प्रकार का होता है-
क- आलम्बन विभाव
ख- उद्दीपन विभाव
(I) आलम्बन विभाव
वह कारण जिस पर भान अवलम्बित रहता है- अर्थात् जिस व्यक्ति या वस्तु के प्रति मन में रति आदि स्थायी भाव उत्पन्न होते हैं, उसे आलम्बन कहते हैं तता जिस व्यक्ति के मन में स्थायी भाव  उत्पन्न होते हैं उसे आश्रय कहते हैं। उदाहरण के लिए पुत्र की मृत्यु पर विलाप करती हुई माता। इसमें माता आश्रय है और पुत्र आलम्बन है। अतः यहाँ स्थायी भाव शोक है जिससे करुणरस की उत्पत्ति होती है। 
(II) उद्दीपन विभाव
जो आलम्बन द्वारा उत्पन्न भावों को उद्दीप्त करते हैं, वे उद्दीपन विभाव कहलाते हैं। जैसे- जंगल में  सिंह का गर्जन। इससे भय का स्थायी भाव उद्दीप्त होता है और सिंह का खुला मुख जंगल की भयानकता आदि का उद्दीपन विभाव है। इससे भयानक रस की उत्पत्ति होती है।
अनुभाव
स्थायी भाव के जाग्रत होने पर आश्रय की वाह्य चेष्टाओं को अवुबाव कहा जाता है। जैसे- भय उत्पन्न होने पर हक्का-बक्का हो जाना, रोंगटे खड़े हो जाना, काँपना, पसीने से तर हो जाना आदि।
यदि बिना किसी भावोद्रेक के मात्र भौतिक परिस्थिति के कारण अगर ये चेष्टाएँ दिखाई पड़ती हैं तो उन्हें अनुभाव नहीं कहा जाएगा। जैसे - जाड़े के कारण काँपना या गर्मी के कारण पसीना निकलना आदि।
संचारी भाव
आश्रय के मन में उठने वाले अस्थिर मनोविकारों को संचारी भाव कहते हैं। ये मनोविकार पानी के बुलबुले की भाँति बनते और मिटते रहते हैं, जबकि स्थायी भाव अन्त तक बने रहते हैं।
यहाँ यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि प्रत्येक रस का स्थायी भाव  तो निश्चित है परन्तु एक ही संचारी अनेक रसों में हो सकता है। जैसे - शंका शृंगार रस में भी हो सकती है और भयानक रस में भी। यहाँ यह भी विचारणय है कि स्थायी भाव भी दूसरे रस में संचारी भाव हो जाते हैं। जैसे - हास्य रस का स्थायी भाव "हास" शृंगार रस में संचारी भाव बन जाता है। संचारी भाव को व्यभिचारी भाव के नाम से भी जाना जाता है।
रसों के बारे में अपनी अगली किसी पोस्ट में यहीं पर प्रकाश डालूँगा।
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शनिवार, जनवरी 15, 2011


खटीमा में 8 जनवरी की रात्रि में हुई कवि गोष्ठी में 
सम्पर्क कट जाने से यह क्लिप कट गईं थी 
मगर मेरे बड़े पुत्र नितिन ने 
इसे मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था! 
आज इसे यू-ट्यूब पर लगा रहा हूँ


गुरुवार, जनवरी 13, 2011

"खटीमा मार्निंग में ब्लॉगर मीट"

खटीमा में 9 जनवरी को सम्पन्न हुए
ब्लॉगर्स सम्मेलन की गूँज
साप्ताहिक समाचार पत्र में भी सुनाई दी!

बुधवार, जनवरी 12, 2011

"ब्लॉगर मीट का कोलाज़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

9 जनवरी,2011 को खटीमा में सम्पन्न 
विमोचन समारोह और ब्लॉगर्स सम्मेलन की 
कुछ झलकियाँ

सोमवार, जनवरी 10, 2011

राष्ट्रीय ब्लॉगर मीट और विमोचन समारोह

लोकार्पण समारोह एवं ब्लॉगर्स मीट सम्पन्न

>> रविवार, ९ जनवरी २०११

खटीमा। साहित्य शारदा मंच के तत्वावधान में डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की सद्यःप्रकाशित दो पुस्तकों क्रमशः सुख का सूरज (कविता संग्रह) एवं नन्हें सुमन (बाल कविता का संग्रह) का लोकार्पण समारोह एवं ब्लॉगर्स मीट का आयोजन स्थानीय राष्ट्रीय वैदिक विद्यालय, टनकपुर रोड, खटीमा (ऊधमसिंह नगर) में सम्पन्न हुआ। 
पुस्तकों का लोकार्पण सभाध्यक्ष डा0 इन्द्रराम, से0नि0 प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दिल्ली से आए लोकप्रिय व्यंगकार एवं वरिष्ठ ब्लागर श्री अविनाश वाचस्पति एवं विशिष्ट अतिथि श्री सोहन लाल मधुप, सम्पादक प्रजापति जगत पत्रिका थे तथा आमंत्रित अतिथियों में परिकल्पना ब्लॉग के संचालक लखनऊ से पधारे श्री रवीन्द्र प्रभात, लोक संघर्ष पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक बाराबंकी से पधारे एडवोकेट रणधीर सिंह ‘सुमन’, हसते रहो ब्लॉग के संचालक दिल्ली से पधारे श्री राजीव तनेजा, पद्म सिंह, पवन चंदन, धर्मशाला (हिमांचल प्रदेश) के केवलराम, बेतिया (बिहार) से मंगलायतन ब्लॉग के संचालक मनोज कुमार पाण्डेय के अतिरिक्त बरेली से आए शिवशंकर यजुर्वेदी, किच्छा से नबी अहमद मंसूरी, लालकुऑ (नैनीताल) से श्रीमती आशा शैली हिमांचली, आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट, रामनगर (नैनीताल) से सगीर अशरफ, जमीला सगीर, टनकपुर से रामदेव आर्य, चक्रधरपति त्रिपाठी, पीलीभीत से श्री देवदत्त प्रसून, अविनाश मिश्र, डा0 अशोक शर्मा, लखीमपुर खीरी से डा0 सुनील दत्त, बाराबंकी से अब्दुल मुईद, पन्तनगर से लालबुटी प्रजापति, सतीश चन्द्र, मेढ़ाईलाल, रंगलाल प्रजापति, नानकमता से जवाहर लाल, स0 स्वर्ण सिंह, खटीमा से सतपाल बत्रा, पी0एन0 सक्सेना, डा0 सिद्धेश्वर सिंह, रावेन्द्र कुमार रवि, डा0 गंगाधर राय, सतीश चन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार टण्डन आदि उपस्थित रहे। 
लोकर्पण समारोह के पश्चात विषय प्रवर्तन के अन्तर्गत हिन्दी भाषा और साहित्य में ब्लॉगिंग की भूमिका विषय पर उद्बोधन करते हुए रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि इस समय हिन्दी में लगभग 22 हजार के आसपास ब्लॉग हैं, जबकि यह संख्या अंग्रेजी की तुलना में काफी कम है। अंग्रेजी में इस समय लगभग चार करोड़ से अधिक ब्लॉग्स हैं। हालॉकि यह अलग बात है कि अप्रत्याशित रूप से ब्लॉगिंग विश्व में एशिया का दबदबा कायम है। टेक्नोरेटी के एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के कुल ब्लॉग्स में से 37 प्रतिशत जापानी भाषा में हैं, 36 प्रतिशत अंग्रेजी में, और 8 प्रतिशत के साथ चीनी तीसरे नम्बर पर है। अभी तुलनात्मक रूप से भले ही हिन्दी ब्लॉग का विस्तार कॉफी कम है किन्तु हिन्दी ब्लॉगों पर एक से एक एक्सक्लूसिव चीजे प्रस्तुत की जा रही हैं और ऐसी उम्मीद की जा रही है की आने वाले समय में हिन्दी ब्लॉगिंग का विस्तार काफी व्यापक होगा।
अविनाश वाचस्पति ने कहा कि ब्लॉगिंग की कार्यशाला विद्यालयों में होनी चाहिए खासकर जूनियर कक्षा के विद्यार्थियों को कम्प्यूटर के माध्यम से ब्लॉग बनाना सिखाया जाये। इससे हिन्दी ब्लॉगिंग का बहुआयामी विस्तार होगा। जबकि राजीव तनेजा का कहना था कि धीरे-धीरे ब्लॉगिंग समान्तर मीडिया का रूप लेता जा रहा है और आने वाले समय में यह आशा की जा रही है कि ब्लॉगिंग के माध्यम से हिन्दी काफी समृद्ध होगी। इस अवसर पर पवन चन्दन ने कई उद्धरणों के माध्यम से ब्लॉगिंग के विस्तार पर प्रकाश डाला। लोक संघर्ष पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक एडवोकेट रणधीर सिंह ‘सुमन’ ने रहस्योघाटन करते हुए कहा कि हिन्दी के कई ऐसे वरिष्ठ साहित्यकार हैं जो ब्लॉग जगत की गतिविधियों के न जुड़े होने के बावजूद हमारे पास अपनी रचनाएँ प्रेषित करते हैं ताकि उन्हें ब्लॉग में सम्मानजनक स्थान दिया जा सके। जिस दिन यह सभी वरिष्ठ साहित्यकार ऑनलाइन अन्तरजाल से जुड़ जायेंगे मेरा दावा है कि हिन्दी ब्लॉगिंग का परचम पूरी दुनिया में लहरायेगा। 
इस अवसर पर डा0 सिद्धेश्वर सिंह ने हिन्दी ब्लॉगिंग के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी ब्लॉगिंग हिन्दी भाषा और साहित्य को एक नया संस्कार देने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। 
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज हमारी संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण अन्तरजाल पर पौडकास्ट के माध्यम से जबलपुर में बैठे श्री गिरीश बिल्लौरे मुकुल द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है और पूरी दुनिया इस जीवंत प्रसारण का आनन्द उठा रही है। 
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डा0 इन्द्रराम ने कहा कि मेरे लिए यह एक नया अनुभव है कि साहित्य और ब्लॉग जगत से जुड़े हुए रचनाधर्मियों का सानिध्य खटीमा जैसे छोटे से शहर में प्राप्त हो रहा है। 
कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।

शुक्रवार, जनवरी 07, 2011

"खटीमा 9 जनवरी को अवश्य पधारें" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक")

9 जनवरी को होने वाले 
खटीमा (उत्तराखण्ड) ब्लॉगर्स सम्मेलन में 
पहुँचने वाले मित्रों की अद्यतन स्थिति-
राजीव तनेजा, अजय झा और मेरा जाना फाईनल।
मदन विरक्‍त और रामकुमार कृषक भी शामिल हो रहे हैं
पद्म सिंह और पवन चंदन कल सुबह सूचित करेंगे
खुशदीप सहगल के फोन का इंतजार है
डॉ. दराल और शाहनवाज अन्‍यत्र व्‍यस्‍त रहने के कारण नहीं पहुंच पायेंगे, परंतु उनकी शुभकामनायें पहुंच चुकी हैं।
केवल राम जी का अभी धर्मशाला से फोन आया है। वे भी हमारे साथ चल रहे हैं। इनका भी फाईनल।
र‍वीन्‍द्र प्रभात और सुमन जी लखनऊ से खटीमा पहुंच रहे हैं। रवीन्‍द्र भाई से बात हुई है।
डॉ. बृजगोपाल सिंह नोएडा से पहुंच रहे हैं
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" ने कहा…
डॉ. राष्ट्रबन्धु कानपुर से, नागेश पाण्डेय संजय शाहजाहँपुर से, सतीश प्रजापति और मिढ़ई लाल पन्तनगर से, नबी आहमद मंसूरी किच्छा से, श्रीमती आशा शैली, आनन्दगोपाल सिंह बिष्ट, लालकुआँ नैनीताल से, श्रीमती मंजू पाण्डेय हल्द्वानी से, मनोज आर्य बिलासपुर से, धीरू सिंह, अनुराग शर्मा और शिवशंकर यजुर्वेदी बरेली से,यूनुस खान नयागाँव से पहुँच रहे हैं!थारू राजकीय इण्टर कालेज के हिन्दी प्राध्यापक डॉ. गंगाधर राय, कवि राजकिशोर सक्सेना राज हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर गेन्दालाल शर्मा निर्जन, रूमानी शायर गुरूसहाय भटनागर बदनाम और दिल्ली से प्रजापति जगत के सम्पादक सोहनलाल मधुप,  पीलीभीत से देवदत्त प्रसून और डॉ.अशोक शर्मा भी पधार रहे हैं!
मनोज कुमार कोलकाता से पहुँच रहे हैं! January 06, 2011 9:28 PM
sidheshwer ने कहा…
अरे वाह यह तो बहुत बढ़िया है। 
नए साल में कुछ नया हो , नए मित्र बनें!
शुक्रिया अविनाश जी !
हम भी पहुँच रहे हैं!!
खुशदीप भाई की 20 प्रतिशत कन्‍फर्मेशन मिल चुकी है।
अविनाश वाचस्पति ने कहा…
शिवम् मिश्रा जी के आने की भी भनक लगी है। स्‍वागत है भाई। साल का पहला जमावड़ा, खूब जमेगा, सब सर्दी पिघल जाएगी हिन्‍दी ब्‍लॉगरों को देख मिलकर।
अविनाश वाचस्पति ने कहा…
........ और
बड़े भाई साहब
हिन्‍दी ब्‍लॉगिग के ???
शिवम् मिश्रा ने कहा…
अविनाश भाई और डॉ.शास्त्री जी आप दोनों से माफ़ी चाहता हूँ ... कुछ जरूरी काम आन पड़े है इस कारण मेरा आना ना हो सकेगा ... पर हाँ हजारी जरूर दर्ज होगी यह वादा है ! शुभकामनाएं और बहुत बहुत बधाइयाँ !
मान्यवर मित्रों! 
आप खटीमा 9 जनवरी को अवश्य पधारें!
यहाँ सिक्खों का गुरूद्वारा श्री नानकमत्तासाहिब में मत्था टेकें।
माँ पूर्णागिरि के दर्शन करें। 
नेपाल देश का शहर महेन्द्रनगर यहाँ से मात्र 20 किमी है।
आप नेपाल की यात्रा का भी आनन्द लें।
मैं आपकी प्रतीक्षा में हूँ!
अपने आने की स्वीकृति मेरे निम्न मेल पते पर देने की कृपा करें।
Email- rcshashtri@uchcharan.com
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: 05943-250207, 
Mobiles: 09368499921, 09997996437, 09456383898

कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
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मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।