जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)
शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
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मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।
बहुत बढ़िया और सठिक लिखा है आपने! आज हम जो कुछ भी हैं शिक्षक के वजह से हैं जिनसे हमनें ज्ञान प्राप्त किया ! उन्हें तो हम हमेशा याद करते हैं खासकर आज का दिन कभी नहीं भूलते !
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
शास्त्री जी रचना ने इस मे कुछ गलत नही कहा। हम रोज़ देखते हैं स्कूलों और धार्मिक स्थानों मे कितने यौन शोशण और भ्रष्टाचार के कितने प्रसंग सुनने को मिलते हैं रो कितने ही ब्लाग पर ऐसी पोस् और कवितायें आदि देखने को मिलती हैं। तो अगर रचना ने भी कह दिया तो क्या गलत हुया मगर हम हमेशा किसी को भी उसकी चर्चित व्यक्तित्व से देखने की बजाये हर बात पर गौर करें तो कई बातें उसकी सच भी होती हैं जैसे ये सच उसने बहुत सटीक शब्दो मे कहा है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंना आपकी सोच गलत है ना रचना जी की क्योंकि उनका भी वो ही मतलब है कि आज के वक्त मे गुरु के प्रति श्रधा सिर्फ़ दिखावा भर रह गयी है क्यो नही ऐसा होता कि ये भाव हमेशा बरकरार रहें और ये तभी सम्भव है जब हम सब इसमे योगदान करे ……………आपका कहना भी जायज़ है कि अब गुरुओ के प्रति वो भाव नही रहे हैं और मक्कारो का ही बोलबाला है फिर भी चाहे मुट्ठी भर लोग ही क्यो न हो तो क्या नही हो सकता बस एक कोशिश की जरूरत है और फिर से उन संस्कारो के बीज रोपित किये जा सकते हैं।
जवाब देंहटाएंमक्कारो का ही बोलबाला ? Very Nice Said..!
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