“पड़पोते ने साबुन मलकर नहलाया”
मेरे पिता जी की आयु इस समय 90 वर्ष की है। इस उम्र में भी वे अपने दैनिक कार्य स्वयं ही करते हैं। यों तो उनके लिए निचली मंजिल पर भी स्नानगृह बना है। मगर उसमें गीजर नही लगा है। इसलिए पूरे जाड़ों-भर वह प्रति दिन सुबह 10 बजे स्नान करने के लिए ऊपर ही आ जाते हैं। आज भी वह स्नान के लिए आये और नहा कर जब बाहर निकले तो उनके पूरे शरीर पर नील पुता था। हम सब यह देख कर आश्यर्यचकित हो गये। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नहाने के बाद प्लास्टिक की शीशी में से तेल लगाया था। हमें यह समझते देर न लगी कि इन्होंने उजाला नील की शीशी में से शरीर पर नील पोत लिया है। मेरा पौत्र प्राञ्जल 10 वर्ष का है उसने अपने पड़बाबा जी से कहा कि बाबा जी आपको आज मैं साबुन से नहलाऊँगा। इतना कह कर वह मेरे पिता जी को बाथरूम में दोबारा ले गया और बड़े प्रेम से उन्हें साबुन से मल-मल कर नहलाया! |