!! खटीमा में छठ-पूजा !!
छठ-पूजा का त्यौहार आज केवल बिहार तक ही सीमित नही रह गया है। अब यह न केवल भारत के कोने-कोने में तो मनाया ही जाता है, बल्कि विदेशों में भी धूम-धाम से मनाया जाने लगा है।
इसमें महिलाएँ 36 घण्टों तक व्रत रखती हैं। इसमें अस्ताञ्चल भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। छठ-देवी सूर्य पुत्री हैं। किन्तु मेरी स्वयं की मान्यता और तर्क के अनुसार पुत्री अपने पिता को उदय होने और अस्त होने पर भी अर्घ्य प्रदान करती है। अतः पुत्री का महत्व आदिकाल से ही हमारी सभ्यता में वर्णित है।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे समाज में पुत्री को अभिशाप समझने वालों के लिए यह पावन पर्व यह सन्देश देता है कि बेटियों को भी बेटों के समान आदर और मान समाज में मिलना चाहिए।
इस पावन पर्व को उत्तराखण्ड के खटीमा में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।
रेलवे ग्राउण्ड में बने सरोवर के किनारे एक भव्य आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता पूर्व मन्त्री (उ.प्र.) ठा. प्रेमप्रकाश सिंह ने की। समारोह के मुख्य-अतिथि खटीमा फाईबर्स के स्वामी श्री आर.सी. रस्तोगी थे।
इस अवसर पर पूर्वाञ्चल से छठ-माता के गुण-गान करने के लिए गायक और गायिकाओं को भी बुलाया गया था। पूरी रात भजन गायिकी का कार्यक्रम चला। जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने बड़े उत्साह से भाग लिया।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे समाज में पुत्री को अभिशाप समझने वालों के लिए यह पावन पर्व यह सन्देश देता है कि बेटियों को भी बेटों के समान आदर और मान समाज में मिलना चाहिए।
जवाब देंहटाएंkya khoob baat kahi hai aapne..........badhayi.........aaj samaj ko ye samajhna hoga .........beti na kabhi abhishap thi aur na hogi.........ab aapki is post se ek vichar aur aaya hai ki agar beti pita ko archya de sakti hai to apne mata pita ka aakhiri sanskar kyun nhi kar sakti.
छठ पूजा पर बढ़िया जानकारी आभार.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विवरण....अच्छा लगा धन्यवाद शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा शास्त्रीजी..........
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
आभार भाई जी!!
जवाब देंहटाएंशस्त्री जी और अच्छा है कुछ और फोटो हो लगाइए
जवाब देंहटाएंशस्त्री जी और अच्छा है कुछ और फोटो हो लगाइए
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com