रविवार, मार्च 28, 2010

“ताजा संस्मरण” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“पड़पोते ने साबुन मलकर नहलाया”

आज का बिल्कुल ताजा संस्मरण पोस्ट कर रहा हूँ!
मेरे पिता जी की आयु इस समय 90 वर्ष की है। इस उम्र में भी वे अपने दैनिक कार्य स्वयं ही करते हैं। यों तो उनके लिए निचली मंजिल पर भी स्नानगृह बना है। मगर उसमें गीजर नही लगा है। इसलिए पूरे जाड़ों-भर वह प्रति दिन सुबह 10 बजे स्नान करने के लिए ऊपर ही आ जाते हैं।
आज भी वह स्नान के लिए आये और नहा कर जब बाहर निकले तो उनके पूरे शरीर पर नील पुता था।
हम सब यह देख कर आश्यर्यचकित हो गये। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नहाने के बाद प्लास्टिक की शीशी में से तेल लगाया था।
हमें यह समझते देर न लगी कि इन्होंने उजाला नील की शीशी में से शरीर पर नील पोत लिया है।
मेरा पौत्र प्राञ्जल 10 वर्ष का है उसने अपने पड़बाबा जी से कहा कि बाबा जी आपको आज मैं साबुन से नहलाऊँगा।
इतना कह कर वह मेरे पिता जी को बाथरूम में दोबारा ले गया और बड़े प्रेम से उन्हें साबुन से मल-मल कर नहलाया!  

बुधवार, मार्च 24, 2010

“वैदिक मन्तव्य” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

कुछ सूत्र

1- मन, वचन एवं कर्म में सत्य को धारण करो । 

2- ईश्वर एक है । गुण तथा कर्मो के अनुसार उसके अनेक नाम हैं । 

3- मन व मस्तिष्क शान्त होने पर ही चित्त एकाग्र होता है । 
4- माता-पिता, गुरूजनों एवं धर्मग्रन्थों का सदैव आदर करना चाहिए । 
5- परस्पर सद्व्यवहार करो, सच्चरित्र बनों तथा ईर्श्या - द्वेष से अपने को दूर रखो । 
6- भाग्य पर भरोसा कायर करते हैं । ईश्वर केवल कर्मशील व्यक्तियों की सहायता करता है । 
7- मांस, मदिरा, तम्बाकू आदि का कभी भी सेवन नही करना चाहिए । 
8- दीन-दुखियों की सहायता करो तथा जीवों पर दया करो । 
9- परिवार के सभी सदस्यों को प्यार करो और उन्हें  सन्मार्ग की ओर प्रेरित करो ।                
10- कुछ समय अपने लिए भी निकालों । अपने को देखो, अपने को जानो । 
11- सुनो सबकी अपने विवेक से कार्य करो ।                
                डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"

मंगलवार, मार्च 16, 2010

“पं. नारायणदत्त तिवारी के साथ एक शाम” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

 

पिछले सप्ताह अमृतसर पंजाब में 6-7 मार्च को प्रजापति संघ का एक बड़ा कार्यक्रम था। उसमें मुझे भी भाग लेने के लिए जाना था। मेरे साथ स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ज्ञानी स्वर्णसिंह भी थे।


4 मार्च को हम लोग प्रातःकाल ही घर से निकल पड़े। रुद्रपुर जाते-जाते ही पं. नारायणदत्त तिवारी जी से मिलने का कार्यक्रम बन गया।


अतः हम लोग शाम को 5 बजे देहरादून पहुँच गये।


वहाँ से 60 रुपये में ऑटो करके एफ.आर.आई. में तिवारी जी के बँगले पर पहुच गये।


यहाँ मंगलौर निवासी हमारे पुराने मित्र जावेद अंसारी भी मिल गये।    तब पता लगा कि तिवारी जी किसी कार्यक्रम में आई.टी. पार्क गये हैं।

मैंने तिवारी जी के ओ.एस.डी. संजय जोशी को फोन करके पूछा कि पण्डित जी कब तक निवास पर पहुँचेंगे। जोशी जी ने बताया कि हम लोग आई.टी. पार्क से निकल पड़े हैं। 15 मिनट बाद बँगले पर आ जायेंगे।


तब तक चाय भी आ गई थी हम लोग चाय पी ही रहे थे कि पं. जी का काफिला भी पहुँच गया।

 

अब राजनीति का वटवृक्ष हमारे सामने था। सुख-दुख की बहुत सी बाते हुई।


बातों-बातों में तिवारी जी ने पूछ ही लिया कि आजकल क्या कर रहे हो।


हम और कहते भी क्या? बस इतना ही मुख से निकला कि ब्लॉगिंग कर रहे हैं।


तिवारी जी ने मेरे ब्लॉग का पता पूछा और कम्प्यूटर पर बैठे व्यक्ति से कहा कि इनका ब्लॉग खोलो तो सही।


अब तो पं. जी ने मेरे सारे ब्लॉग बहुत तसल्ली से देखे और मेरी पीठ थपथपाते हुए कहा कि तुम तो बहुत बड़ा कार्य कर रहे हो।

   

अब हमने पं. जी से जाने की आज्ञा माँगी तो आग्रह करके पं. जी हमें 15 मिनट और बैठा लिया। पूछा कि एफ.आर.आई. कैसे आये हो। मैंने कहा कि ऑटो से आये हैं। इस पर वो बोले कि आपको कहाँ तक छुड़वा दूँ। मैंने कहा कि मुझे और ज्ञानी जी को पंजाब जाना है। आई.एस.बी.टी. से बस पकड़नी है। पं. जी ने ड्राईवर से कहा कि इन्हें आई.एस.बी.टी. से पंजाब की बस में बैठाकर आना है।


86 वर्ष की आयु में भी तिवारी जी एक जिन्दादिल इन्सान हैं।

बुधवार, मार्च 03, 2010

“आवश्यक सूचना” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

मित्रों!



६-७ मार्च को मैं अमृतसर,



पंजाब में रहूँगा!



४ मार्च से ८ मार्च तक



श्री ललित शर्मा जी ने



चर्चा मंच को सजाने के लिए



अपनी सहर्ष स्वीकृति



प्रदान कर दी है!



एतदर्थ उनका आभारी हूँ !




पंजाब के ब्लॉगर मित्र



मेरे मोबाइल पर



सम्पर्क कर सकते हैं!



मेरा मोबाइल नं. है-


09368499921,


09997996437


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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"