मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
अस्सी वर्षों तक दुनिया में,
पुष्प कुंज बनकर चमके तुम।
दीवाली पर नील-गगन में,
ज्योति पुंज बनकर दमके तुम।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
कुप्रथाओं से लड़ने में ही,
जीवन भर संलग्न रहे तुम।
सबको शिक्षित करने में ही,
अपनी धुन में मग्न रहे तुम।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
पिंड-दान और मृतक-भोज का,
तुमने घोर विरोध किया था।
जीते-जी लिख गये वसीयत,
तुमने हमको बोध दिया था।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
श्रद्धा-सुमन समर्पित करते,
दीप जला कर दीवाली में।
दमक रहे हो ‘रामचन्द्र’ तुम,
अन्तरिक्ष की थाली में।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
अस्सी वर्षों तक दुनिया में,
पुष्प कुंज बनकर चमके तुम।
दीवाली पर नील-गगन में,
ज्योति पुंज बनकर दमके तुम।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
कुप्रथाओं से लड़ने में ही,
जीवन भर संलग्न रहे तुम।
सबको शिक्षित करने में ही,
अपनी धुन में मग्न रहे तुम।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
पिंड-दान और मृतक-भोज का,
तुमने घोर विरोध किया था।
जीते-जी लिख गये वसीयत,
तुमने हमको बोध दिया था।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
श्रद्धा-सुमन समर्पित करते,
दीप जला कर दीवाली में।
दमक रहे हो ‘रामचन्द्र’ तुम,
अन्तरिक्ष की थाली में।
मेरे मामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई।
तुम थे ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी।।
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जवाब देंहटाएंmamaji ko hamari shraddhanjali.
जवाब देंहटाएंमामा तुम थे मेरी माँ के प्यारे भाई...""श्रद्धाञ्जलि" आपके साथ हमारी तरफ़ से भी..
जवाब देंहटाएंदीवाली पर नील-गगन में,
ज्योति पुंज बनकर दमके तुम।
...........................................
शास्त्रीजी दुख और गमो को भुलाने को दिपावली का त्योहार आपको सबलता प्रदान करेगा, एवम घर-परिवार मै खुशिया आए एसा हे प्रभु से प्रर्थना........
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
रामपुरियाजी
हमारे सहवर्ती हिन्दी ब्लोग पर
मुम्बई-टाईगर
ताऊ की भुमिका का बेखुबी से निर्वाह कर रहे श्री पी.सी.रामपुरिया जी (मुदगल)
जो किसी परिचय के मोहताज नही हैं,
ने हमको एक छोटी सी बातचीत का समय दिया।
दिपावली के शुभ अवसर पर आपको भी ताऊ से रुबरू करवाते हैं।
पढना ना भूले। आज सुबह 4 बजे.
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
हेपी दिवाली मना रहा हू ताऊ के संग
मुम्बई-टाईगर
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
मै तो चला टाइगर भैया के वहा, ताऊजी के संग मनाने दिवाली- संपत
मामा जी को श्रृद्धांजलि!!
जवाब देंहटाएंकुप्रथाओं से लड़ने में ही,
जवाब देंहटाएंजीवन भर संलग्न रहे तुम।
सबको शिक्षित करने में ही,
अपनी धुन में मग्न रहे तुम।....sacchi bhavanao ki abhivyakti.....vyakt karne ke liye dhanyavad.........
मामा जी को श्रृद्धांजलि!!
जवाब देंहटाएंहमारी भी आपके मामा जी को श्रृद्धांजलि!!
जवाब देंहटाएंshastri ji pranaam ,hamari tarah se mamaji ko shradhanjali .aur aapko shubh diwali .
जवाब देंहटाएंमामा जी के इस पुण्य स्मरण से मुझे अपने मामा स्व. दयानन्द शर्मा जी की याद आ गई । वे भी जीवन भर आर्य समाजी रहे । श्रद्धांजलि ।
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