मंगलवार, अक्तूबर 20, 2009

"नानकमत्ता साहिब का दिवाली मेला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

!! उत्सवप्रियाः मानवाः !!




(चित्रों में नानकमत्ता दीपावली मेले के अद्यतन दृश्य)
नानकमत्ता साहिब एक ऐतिहासिक महत्व का सिक्खों का धार्मिक सुविख्यात स्थान होने के साथ-साथ यहाँ लगने वाला दीपावली का मेला भी इस क्षेत्र का विशालतम माना जाता है। इसमे 5 से 10 लाख लोगों की भीड़ जमा होती है।
दस दिनों तक चलने वाले मेले का दीपावली से दो दिन पूर्व शुभारम्भ हो जाता है। तीन दिनों तक तो सिख-पन्थ से लोगों के द्वारा बड़े-बड़े दीवान आयोजित किये जाते हैं। जिनमें उच्र्च कोटि के धार्मिक व्याख्यानकर्ता तथा रागी अपने भजन-कीर्तन तथा व्याख्यान देते हैं। इसके बाद आदिवासी रानाथारू जन-जाति के लोगों के साथ-साथ इस क्षेत्र के सभी धर्मों के लोग और दूर-दराज से आने वाले दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है।
नानकमत्ता साहिब में आधुनिक सुविधाओं से युक्त 200 कमरों की एक सराय भी है। वह इस समय बिल्कुल भरी रहती है। इसके साथ ही मेलार्थियों के लिए अलग से टेण्ट लगाकर भी रहने की व्यवस्था गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी, नानकमत्ता द्वारा की जाती है।
गुरू महाराज के दरबार साहिब में बारहों मास तीन स्थानों पर अनवरतरूप से लंगर चलता रहता है। इसलिए इस मेले में खाने का कोई होटल नही होता है। हाँ ! चाट-मिष्ठान आदि की बहुत सी दूकाने होती हैं। सुबह से शाम और रात तक चलने वाले लंगर में लाखों लोग प्रतिदिन प्रसाद के रूप मे लंगर छकते हैं।
मेले की व्यवस्था सुचारूरूप से चलाने के लिए मेला-अवधि में यहाँ 24 घण्टे बाकायदा एक पुलिस कोतवाली अपना काम करती रहती है।
आज की तेजी से भागती हुई जिन्दगी में भी इस मेले में 3-4 अस्थायी टेण्ट टाकीज, 2-3 नाटक कम्पनियाँ, सरकस, 10-15 झूले, मौत का कुआँ और इन्द्र-जाल, काला-जादू आदि अनेकों मनोरंजन के साधन यहाँ पर होते हैं।
वस्त्रों, खिलौनों और घरेलू सामानों की तो इस मेले में हजारों दूकानें होती हैं। इसके साथ ही यहाँ पर तलवारों, कृपाणों, भाला, बरछी और लाठी-डण्डों की भी सैकड़ों दूकानें सजी होतीं हैं।
यदि आप भी उत्सवप्रिय हैं तो कभी इस मेले का भी आनन्द उठा सकते हैं।
मेले के साथ-साथ आपका देशाटन भी हो जायेगा और गुरू नानकदेव के दरबार में मत्था टेकने का भी 
आपको सौभाग्य प्राप्त हो जायेगा।
गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब उत्तराखण्ड के जिला-ऊधमसिंहनगर में स्थित है। यह दिल्ली से 275 किमी दूर है तथा मुरादाबाद से 130 किमी दूर है। अन्तिम रेलवे स्टेशन रुद्रपुर-सिटी और छोटी लाइन का स्टेशन खटीमा या किच्छा है।
यह रुद्रपुर-सिटी से 58 किमी, खटीमा से 16 किमी तथा किच्छा से 38 किमी है।

11 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया रहा पर यह जानकारी नहीं मिल सकी कि नानकमत्ता गुरुद्वारा है कहां पर।

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    1. Sir harmara gurudwara nanakmatta sahib po nanakmatta teh sitarganj dist udham singh nagar state uttarakhand

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  2. आदरणीय वडनेकर जी!
    भूल हो गई थी। आपने याद दिला दिया।
    आभारी हूँ।
    हुआ यह कि मैं खटीमा का निवासी हूँ, इसलिए इस पोस्ट का स्वयं में ही साधारणीकरण कर लिया।
    अब नानकमत्ता साहिब पहुँचने का पूरा विवरण दे दिया है।

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  3. वाह शास्त्री जी क्या गजब की फोटो है एक बार जरूर आपके साथ यहाँ चलूगा

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  4. मेले का सुंदर दृश्य...बढ़िया वर्णन शास्त्री जी बहुत अच्छी लगी आप की यह प्रस्तुति..धन्यवाद

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  5. शास्त्री जी बहुत बढिया जानकारी दी है। धन्यवाद।

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  6. बेहतरीन जानकारी और फोटो प्रदर्शनी...आभार.

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  7. डॉक्टर साह्ब इस मेले के चित्र और वर्णन पढ_कर तो सच्मुच मेले मे जाने का मन हो रहा है ।

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  8. देवभूमि में सुंदर स्थान, सुंदर फोटो, सुंदर रिपोर्ट...

    जय हिंद...

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  9. देवभूमि में सुंदर स्थान, सुंदर फोटो, सुंदर रिपोर्ट...

    जय हिंद...

    SANJAY KUMAR
    HARYANA
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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