धक्का दे दिया.........! धक्का दे दिया.........!! श्री गुरदयाल सिंह जी मेरे राजनीतिक मित्र होने के साथ-साथ मेरे समाज के स्वजातीय भी हैं। ये प्रजापति संघ उत्तराखण्ड के संरक्षक हैं और मैं प्रदेश अध्यक्ष हूँ। इनके एक पुत्र भारतीय सेना में कैप्टेन हैं इसलिए इनका इलाज भी मिलिट्री हास्पीटल में ही चलता है। पिछले दिनों ये काफी बीमार रहे। अतः इलाज के लिए इन्हें बरेली के सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया। लेकिन इनकी स्थिति गम्भीर होती गयी। मैं भी इन्हे देखने के लिए बरेली गया। रात के 11 बजे इनकी साँसे अनियमित हो गयी और थोड़ी देर में साँस थम भी गई। सब लोग रोने-पीटने लगे। डाक्टर डेथ सर्टिफिकेट बनाने की तैयारी में लग गये। करीब 10 मिनट बाद इनकी जोर से चिल्लाने की आवाज आई- ‘‘धक्का दे दिया! धक्का दे दिया!!’’ ये जोर से चिल्लाये जा रहे थे। साँसे नियमित हो गयीं थीं। अब ये बात भी करने लगे। हम लोगों ने इनसे पूछा कि भाई साहब! आप चिल्ला क्यों रहे थे? हमें इन्होंने विस्तार से बताया कि दो सरदार जी मुझे खींच कर एक ऐसे स्थान पर ले गये, जहाँ बहुत शान्ति थी। वहाँ भी एक सरदार जी बड़ा सा मुकुट लगाये सिंहासन पर बैठे थे। जिनके एक ओर कछ लोग रो रहे थे और दूसरी ओर कुछ लोग हँस रहे थे। मैं तार्किक तो हूँ ही मैंने उनसे पूछा- ‘‘सरदार जी ! ये क्या तमाशा है?ये लोग क्यों हँस और रो रहे हैं।’’ अब धर्मराज जी ने मेरी ओर देखा और मुझे अपने पास बुलाया। मैं जैसे ही उनके पास गया। उन्होंने मुझे ऐसा धक्का दिया कि मैं सँभल नही पाया और मेरे मुँह से निकल पड़ा- ‘‘धक्का दे दिया! धक्का दे दिया!!’’ यह अपनी बात सुना ही रहे थे कि इसी वार्ड में हमें लोगों की रोने की आवाजें सुनाई दीं। पता लगा कि चौथे बेड पर पड़ा रोगी मर गया। |
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मैनें भी सुना है आदमी अपने अंतिम व्यक्त में कुछ अजीब अजीब हरकत करता है है क्या पता नही पर आपने बहुत बढ़िया उदाहरण दिया मेरे सुने हुए इस कथन का...
जवाब देंहटाएंबढ़िया संस्मरण..
ऐसा भी होता है..रोचक रहा यह संस्मरण पढ़ना.
जवाब देंहटाएंविज्ञान का विद्यार्थी हूं इसलिए यह सब थोड़ा अजीब लगता है.. लेकिन धर्म और दर्शन में गहरी आस्था आखिर वैज्ञानिक तर्क को पछाड़ ही देती है..
जवाब देंहटाएंहैपी ब्लॉगिंग
is prakar ke vakye bachpan mein humne bhi sune hain kai logon ke moonh se.........jinke sath hota hai wo to vishwas karte hi hain chahe duniya kare ya na kare.
जवाब देंहटाएंbahut hi rochak sansmaran.
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