रविवार, अगस्त 16, 2009

"स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में कवि-गोष्ठी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

स्थानीय साहित्यकार डॉ. राजकिशोर सक्सेना के ममता-निवास पर स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर जिसकी अध्यक्षता राजकीय इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य श्री उदय प्रताप सिंह ने की।

गोष्ठी का शुभारम्भ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने माँ-सरस्वती की वन्दना से किया। इसके पश्चात उन्होंने देश के प्रति अपनी वेदना को निम्न कविता के माध्यम से किया-

‘‘बन्दी है आजादी अपनी छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदिया की धारों में।।
तदोपरान्त राजकीय स्नातकोत्र महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धेश्वर सिंह ने अपनी निम्न रचना प्रस्तुत की-
यत्र -तत्र प्राय: सर्वत्र
उभर रही हैं कालोनियाँ
जहाँ कभी लहराते थे फसलों के सोनिया समन्दर
और फूटती थी अन्न की उजास
वहाँ इठला रही हैं अट्टालिकायें
एक से एक भव्य और शानदार.
हास्य और व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर गेन्दालाल निर्जन ने अपना काव्य पाठ इस रचना को पढ़कर किया-

नही रुका है नही रुकेगा अपना हिन्दुस्थान रे।

इस भू पर अवतरित हुए हैं यहाँ स्वयं भगवान रे।।

नवोदित कवि अमन अग्रवाल मारवाड़ी ने आजादी का दर्द कुछ इस प्रकार से कहा-
मैं जा रहा था सड़क में,
मुझको मिली एक दादी,
मैंने कहा नाम क्या है तेरा दादी,
वो बोली मेरा नाम आजादी।।
हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डा0 विद्या सागर कापड़ी ने अपनी रचना कुद इस प्रकार प्रस्तुत की-

माता पुकारती है माँ को भक्त चाहिए।

जो धमनियों में खोलता वो रक्त चाहिए।।

रूमानी शायर गुरूसहाय भटनागर बदनाम ने अपनी रचना का का पाठ करते हुए कहा-

एक ढलती शाम मेरी जिन्दगी,

प्यार का उपनाम मेरी जिन्दगी।

हर किसी से हँस के मिलती है गले,
इसलिए बदनाम मेरी जिन्दगी।।
श्री राज किशोर सक्सेना राज ने अपने काव्य-पाठ में अपनी इस रचना का वाचन किया-

दर्दे जनता जब कभी उनको सुनाने लग गये,
इक जरूरी काम से जाना बताने लग गये।
गोष्ठी का संचालन कर रहे पीलीभीत से पधारे श्री देवदत्त प्रसून ने अपनी रचना कुछ इस तरह से प्रस्तुत की-

आज हम आजाद हैं अपना वतन आजाद है।


गोष्ठी में उद्योगपति श्री पी0एन0 सक्सेना,


पूर्व प्रधनाचार्य श्री कैलाशचन्द्र जोशी

एवं श्री डी0के0जोशी भी उपस्थित रहे।
अध्यक्षता कर राजकीय इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य श्री उदय प्रताप सिंह ने अपना आशीव्रचन प्रदान कर गोष्ठी का समापन किया।

5 टिप्‍पणियां:

  1. वो जो आजादी वाली दादी हैं
    वो रो रही थीं
    मैंने पूछा
    क्‍यों रो रही हो
    तो बोली
    सोचा कुछ काम तो करूं
    रो ही लूं
    खाली बैठने से।

    बहुत सफल आयोजन रहा।
    पर यह जरूर वहां हुआ होगा
    जहां पर आप होंगे।
    बहुत अच्‍छा लगा
    सचित्र सशब्‍द देख पढ़कर।

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  2. avinash ji ne sahi kaha jahan aap honge wahan safalta poorvak sanchalan to hoga hi........bahut sundar prastuti.

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  3. SHASTRI JI
    NAMASKAR
    KAVI SAMMELAN KI BADHAI
    JITNA PADHA ACHHA LAGA.
    SABHI KI KAVITAYE PADH SAKU YADI AAPKI KIRPA HO JAYE TO ABHARI RAHUNGA.
    AASHA H AAP MERI MADAD JARUR KARENGE
    hpsshergarh@gmail.com

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  4. बड़ा ही सुंदर आयोजन किया है और आप जैसे महान व्यक्ति जहाँ होंगे वहां तो सफलता निश्चित है!बहुत बढ़िया लगा ! सुंदर चित्रों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति!

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  5. बहुत बढ़िया रपट. आपकी तत्परता का कायल हूँ.
    आभार !

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