पं0 सोमदेव जी बड़े कर्मकाण्डी बाह्मण थे। कथा करते- करते उन्होंने अपना नाम सौम्य मुनि रख लिया था। वे कृष्ण भगवान की कथा बहुत सुन्दर करते थे। उनकी आयु लगभग 35 वर्ष की थी, परन्तु विवाह नही किया था। संयोगवश् एक बार उनकी कथा सुनने एक ईसाई युवती भी आ गयी। सौम्य मुनि जी की वाणी में तो सरस्वती का वास था ही। वह महिला उनसे काफी प्रभावित दिखी। अब तो अक्सर वो महिला इनकी कथा में आने लगी। मुनि जी तो स्त्री सुख से अब तक वंचित थे ही। अतः वे भी इस युवती की तरफ आकृष्ट होते चले गये। लोगों ने समझा कि मुनि जी इस महिला को हिन्दू धर्म में दीक्षित कर ही लेंगे। परन्तु यह क्या? मुनि जी ने हिन्दू धर्म का चोला उतार फेंका और रातों-रात ईसाई धर्म अपना लिया। अब उनका नया नाम था- ‘‘जॉन करमेल शर्मा। समय गुजरता रहा। मुनि जी इस महिला के पब्लिक स्कूल में ही रहने लगे थे। धीरे-धीरे मुनि जी का यौवन ढलने लगा। उन्हें भयंकर खाँसी ने जकड़ लिया। डाक्टरों ने उन्हें टी0बी0 साबित कर दी। अपने बेड रूम में सुलाने वाली महिला ने भी इन्हें सरवेन्ट क्वाटर के हवाले कर दिया। अब ये बड़े परेशान हुए। मौका देख कर ये इस महिला के स्कूल से खिसक लिए और अपने गृह-जनपद बिजनौर वापिस आ गये। पुराने लोंगों ने इन्हें पहचान लिया। इनके भतीजों ने इनकी कृषि की भूमि का भी हिस्सा इन्हें दे दिया। इतना ही नही इनके एक भतीजे ने इन्हें टी0बी0 सेनेटोरिम भवाली (नैनीताल) में दाखिल करा दिया। कुछ दिनों के बाद इनकी टी0बी0 ठीक हो गई। एक विधवा महिला ने इनसे पुनर्विवाह भी कर लिया। अब ये सुखपूर्वक अपना जीवन-यापन करने लगे हैं। भगवान कृष्ण की कथा कहनी इन्होंने फिर शुरू कर दी है। लेकिन आज यह हिन्दू धर्म की महानता का वर्णन करते नही अघाते हैं। अपनी कथा की शुरूआत में ये अपने जीवन की इस महत्वपूर्ण घटना को अवश्य सुनाते हैं और कहते हैं- ‘‘हिन्दू धर्म में दया और क्षमा के उच्च मानदण्ड आज भी मौजूद हैं और सदैव रहेंगे।’’ |
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जैनो मे तो सबसे बडा त्योहार के रुप मे क्षमा दिवस सवत्सरी को मनाया जाता है।
जवाब देंहटाएंआभार
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
daya dharm ka mool hai...................
जवाब देंहटाएंदया धर्म के मूल को समझे वहीं श्रेष्ट ज्ञानी..
जवाब देंहटाएंमनुष्य का आभूषण है ,,दया और भाव..पर आज लोग नकली और दिखावे वाला आभूषण ज़्यादा पसंद कर रहे है..
जन्मास्टमी की हार्दिक बधाई... स्वतन्त्रता दिवस की बधाई हो
ye hi to hamare dharam ki sabse badi khoobi hai...........bahut hi sargarbhit likha hai.
जवाब देंहटाएंभले लोग सदा भले ही रहते है, आपकी कथा ने, पंडित जी की आपबीती ने एक बार पुनः सिद्ध कर ही दिया.
जवाब देंहटाएंरोचक कथा पर हार्दिक बधाई.
चलिए, जीवन संवारा तो, भले ही ठोकरे खाने के बाद.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने! एकदम सही बात बताया है!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आपने अच्छी कथा सुनाई है | धन्यवाद |
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