मंगलवार, जून 30, 2009

‘‘महाकवि तुलसीदास’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)‘‘

"सूर-सूर तुलसी शशि, उडुगन केशव दास।
अब के कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत प्रकाश।।’’

ब्लागर मित्रों!

आज से 20 वर्ष पूर्व मेरा एक लेख

नैनीताल से प्रकाशित होने वाले

समाचारपत्र
"दैनिक उत्तर उजाला"

में प्रकाशित हुआ था।

भगवान राम की गाथा को
रामचरित मानस के रूप में

जन-जन में प्रचारित करने वाले महाकवि तुलसीदास की स्मृति

उर में संजोए हुए यह लेख मूलरूप में आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।

इसे साफ-साफ पढ़ने के लिए-

कृपया समाचार की कटिंग पर

एक चटका लगा दें।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आभार इसे प्रस्तुत करने का.

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  2. तुलसी पर पढ़ना अच्छा लगा। तुलसी पर एक मेरा भी लेख ब्लॉग पर है जो यहाँ है:
    http://kavita-vihangam.blogspot.com/2009/04/blog-post_22.html

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  3. Spicy and Interesting Story of रामचरितमानस Shared by You. Thank You For Sharing.
    Pyar Ki Kahani in Hindi

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