मित्रों।
कवि देवदत्त "प्रसून" आज हमारे बीच नहीं हैं।
लेकिन उनका साहित्य अमर रहेगा।
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गत वर्ष 25 नवम्बर, 2014 को मेेरे अभिन्न मित्र
देवदत्त प्रसून का अचानक देहान्त हो गया था।
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कल 19 सितम्बर, 2015 को सायं 4 बजे से मेरे एम.ए. के साथी
और अभिन्न मित्र स्व. देवदत्त प्रसून की पुस्तक "झरी नीम की पत्तियाँ"
का विमोचन पीलीभीत में टनकपुररोड पर स्थित पीलीभीत वेकटहाल में किया जायेगा।
गत वर्ष आदरणीय प्रसून जी का नवम्बर में देहान्त हो गया था।
उनकी पत्नी श्रीमती मीना गंगवार ने
उनकी पुस्तक को प्रकाशित कराया है।
सभी साहित्य प्रेमियों से निवेदन है कि
वह इस कार्यक्रम में भाग लेने का प्रयत्न करें।
![]() डोर तुम्हारे हाथों में (देवदत्त प्रसून)
है दामन का छोर तुम्हारे हाथों में ।।
प्यासा जैसे रहा हो कोई सावन में -
खडा लिये उम्मीद जैसे आँगन में ।।
तुम आये मन भीग उठा, आनन्द मिला -
मैं हूँ हर्ष विभोर, प्रेम सौगातों में ।
नाच उठे ज्यों मोर सघन बरसातों में ।।1।।
लम्बी बिरह के बाद तुम्हारी पहुनाई ।
जैसे बादल हटे पूर्णिमा खिल आयी ।।
बिखरा सुन्दर हास,धरा के आँचल में -
ज्यों खुश हुए चकोर , चाँदनी रातों में ।।2।।
मिलन की वीण से पीडित मन बहलाओ ।
तार प्यार के धीरे धीरे सहलाओ ।।
अँगुली का वरदान जगे मीठी सरगम ।
छुपे हैं मीठे शोर, मधुर आघातों में ।
डूबी हर टंकोर ,मृदुल सुर सातों में ।।3।।
मैंने मन की कह ली, तुम भी बोलो तो ।
मेरे कानों में भी मधु रस घोलो तो ।।
है मिठास मिसरी सी कितनी स्वाद भरी -
हे प्रियतम चितचोर , तुम्हारी बातों में ।
सुख मिल गयाअथोर ,स्नेह के नातों में ।।4 ।।
"प्रसून "तेरी याद इस तरह मन में है -
मीठी मीठी गन्ध महकती सुमन में है ।।
कोई सुन्दर मोती मानों सीप में हो -
उतरे जैसे हंस बगुल की पाँतों में ।
या शबनम की बूँद कमल की पाँतों में।।5।।
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कार्यक्रम की सफलता के लिये मीना जी को शुभकामनाऐं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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