न्यूज की परिभाषा
कल मेरी अपने एक मित्र से बातें हो रही
थी। बातों-बातों में समाचार पत्रों का प्रकरण भी आ गया। मैंने अपने मित्र से कहा
कि पहले समाचार पत्रों के सम्वाददाता बहुत विद्वान हुआ करते थे परन्तु आजकल तो
समाचारपत्रों के सम्वाददाता नगर के छँटे हुए ही बन पाते हैं। इसीलिए साहित्यिक
समाचारों को अक्सर अख़बार में जगह नहीं मिल पाती है। जबकि
हत्या, चोरी-डकैती, लूट और बलात्कार की घटनाओं को बहुत मोटे शीर्षकों में चित्र
के साथ छापा जाता है!
मेरे मित्र ने कहा कि उसकी किसी अख़बार के
रिपोर्टर से इस विषय पर बात हो रही थी। इस प्रकरण पर उसने मुझे न्यूज की परिभाषा बताते हुए कहा था- “मास्टर पढ़ाता है
तो यह उसका कर्तव्य है, कवि काव्यपाठ करता है तो यह उसकी चर्चा का अंग है। इसमें
न्यूज कहाँ हुई?
न्यूज तो वह होती है कि अमुक स्थान पर
बलवा हुआ, अमुक स्थान पर बम फटा, अमुक् जगह पर मर्डर हो गया, बलात्कार हो गया,
सरेआम किसी की पिटायी हो गयी आदि-आदि...।
हमारे
अनुसार तो न्यूज की यही परिभाषा है।
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मंगलवार, मई 21, 2013
"न्यूज की परिभाषा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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कृपया नापतोल.कॉम से कोई सामन न खरीदें।
मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!
"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
>> 17 January, 2013 – चेतावनी, नापतोल.कॉम चैनल से कोई सामान न खरीदें
जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)
शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....
--
मान्यवर,
मैंने आपको चेतावनी दी थी कि यदि आप 15 दिनों के भीतर मेरा प्रोड्कट नहीं बदलेंगे तो मैं
अपने सभी 21 ब्लॉग्स पर आपका पर्दाफास करूँगा।
यह अवधि 26 जनवरी 2013 को समाप्त हो रही है।
अतः 27 जनवरी को मैं अपने सभी ब्लॉगों और अपनी फेसबुक, ट्वीटर, यू-ट्यूब, ऑरकुट पर
आपके घटिया समान बेचने
और भारत की भोली-भाली जनता को ठगने का विज्ञापन प्रकाशित करूँगा।
जिसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।
इत्तला जानें।
्क्या कहा जाये
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (22-05-2013) के कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252 पर भी होगी!
सादर...!
मुझे लगता है कि आपके दिमाग में अखबारों का चेहरा पिछली सदी का हैा यह गणेश शंकर विद़यार्थी का दौर नहीं हैा अब जहां बाजारवाद ने किचन व बेडरूम तक में अपने पैर पसार लिए हैं, जहां हर चीज बेची जाती है, वहां और उस दौर में अखबार से मूल्योंे व संस्कृ ति पक्षधरता की उम्मीहद करते हों तो समय के अनुसार ठीक नहीं हैा अब अखबारों में भी वही छपता है जो जिसकी सेल होा यह अखबारों का नया दौर है, इसका भी औद़योगाीकरण हो चुका है, आज के दौर में सूचना सबसे बड़ा उद़योग हैा और कोई भी उद़योग घाटे का सौदा पसंद नहीं करताा यह बाजारवाद है,
जवाब देंहटाएंjitne log utni ray .
जवाब देंहटाएंसच ही तो है न्यूज़ की परिभाषा
जवाब देंहटाएंइससे ज्यादा न रक्खें आशा!
जी हाँ !
जवाब देंहटाएंहर कोई कुछ ना कुछ बेच रहा है !
जैसा ग्राहक बैसा माल ..मजबूरी है
जवाब देंहटाएंसुन्दर परिभाषा !!
जवाब देंहटाएंजो बिकता है वो छपता है.....आजकल का सच यही है...या फिर जिस खबर से फायदा हो, वो खबर ही प्रमुखता से छपेगी। अब पहले वाली बात नहीं रही।
जवाब देंहटाएंaaj kal yeh sachchai ban gaee hai ki jiska varnan aapne apne aalekh men chitrit kiya hai,sundar.
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी-अपनी सोच है...
जवाब देंहटाएंsamyanusaar sabhi chij ka roop badal raha hai .. ye bhi usi mansik privartan ka ek hissa hai .. jo dikhta hai wo bikta hai
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