शनिवार, अक्टूबर 30, 2010

"शेरू तुझे सलाम!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

पराया देश पर 
श्री राज भाटिया जी का 
संस्मरण पढ़ रहा था
आज मुझे भी 27 वर्ष पुराना 
एक ऐसा ही संस्मरण याद आ रहा है! 
उन दिनों भी मुझे कुत्ते पालने का बहुत शौक था! मेरे एक वनगूजर मित्र ने मुझे एक भोटिया नस्ल की कुतिया लाकर दी! 
दो महीने बाद उसने बहुत ही प्यारे-प्यारे 13 पिल्लों को जन्म दिया! पिल्लों के जन्म के चार दिन बाद ही वह इस दुनिया से चली गई!
लेकिन अब इन 13 पिल्लों को पालने की जिम्मेदारी मेरी थी!
मैंने इनके लिए दूधवाले से 2 किलो दूध ज्यादा लेना शुरू कर दिया! अब इन अबोध श्वान शिशुओं को दूध पिलाने में बहुत समस्या आई!
खैर मैंने बाजार से दो निप्पल और दो दूध पिलाने की बोतलें खरीद लीं!
बारी-बारी से उन सबकों 3 टाइम दूध पिलाना मेरी दिनचर्या बन चुकी थी! 15 दिनों बाद यह पिल्ले भात-खचड़ी भी खाने लगे थे! अपनी भोटिया नस्ल के कारण इनकी सेहत बहुत अच्छी थी! अतः मेरे इष्ट-मित्रों ने बहुत शौक से 12 पिल्ले पालने के ले मुझसे लिए!
एक पूरी तरह से काला-कलूटा पिल्ला मैंने स्वयं ही रख लिया! वह भी इसलिए कि वह अपने भाई-बहनों में सबसे कमजोर था! 
साज-संभाल और खातिरदारी के कारण यह भी थोड़े ही दिनों में हृष्ट-पुष्ट हो गया!
मैंने प्यार से इसका नाम रक्खा शेरू!
शेरू अपनी नस्ल के कारण बहुत बड़े आकार का था! मेरे पिता जी से वह बहुत प्यार करता था! अगर कोई प्यार से भी पिता जी का हाथ पकड़ता था तो शेरू यह सोचता था कि वह पिता जी से झगड़ा कर रहा हैं अतः वो भौंकने लगता था और उस पर हमला करने को तैयार हो जाता था!
हम लोग दोमंजिले पर रहते थे मगर पिता जी नीचे ही एक कमरे में रहते थे! 
उन दिनों मेरे घर का आँगन कच्चा ही था! गर्मी के दिनों में पिता जी बाहर आँगन में ही चारपाई बिछा कर सोते थे!
एक दिन मैंने देखा कि पिता जी की चारपाई के नीचे एक 3 फीट लम्बा  खून से लहूलुहान  साँप मरा पड़ा था!
मुझे यह समझते देर न लगी कि यह शेरू का ही कारनामा रहा होगा! जिसने अपनी जान पर खेलकर पिता जी पर कोई आँच नही आने दी थी!
काश् मेरे पास आज उस स्वामीभक्त शेरू का फोटो होता तो इस पोस्ट के साथ जरूर लगाता!
उसके लिए अब भी मेरे मुँह से यही निकलता है- 
"शेरू तुझे सलाम!" 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सही कह रहे हैं यही निकलेगा मुख से………"शेरू तुझे सलाम!"

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  2. इश्वर को धन्यवाद और शेरू को सलाम

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  3. sharu ki wafadari se insaan ko kuch sabak lena chahiya because wafadari ab insaan me durlabh ho gayei hai

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  4. hamare paltu pashu hamare ghar ke member hi ho jate hai.hamare yahan bhi prince;bhoora , kittu; julu nam ke dogy rah chuke hai .ab jonty hamare sath rahta hai.ye hamara itna dhayan rakhte hai ki inhe salam karne ko to dil karta hi hai.

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