मंगलवार, अगस्त 31, 2010

“खटीमा गोलीकाण्ड की 17वीं बरसी” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

“शहीदों को शत्-शत् नमन!”

1 सितम्बर, 1994 का वो काला दिन 
मुझे आज भी याद है।
उस समय खटीमा तहसील का भूभाग 
उत्तर-प्रदेश का अंग था।
तत्कालीन पुलिस कोतवाली इंचार्ज डी.के.केण था।
इसी बर्बर पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में 
पुलिस ने बिना चेतावनी दिये 
निहत्थे और निर्दोष आन्दोलनकारियों पर 
अन्धाधुन्ध फायरिंग कर दी थी।
जिसमें खटीमा और इसके समीपवर्ती क्षेत्र के 
सात आन्दोलनकारी 
पुलिस की गोलियों से शहीद हो गये थे।
जिनके नाम हैं-
1- शहीद स्व.भगवान सिंह सिरौला
(ग्राम-श्रीपुर बिछुआ, खटीमा)
2- शहीद स्व.प्रताप सिंह
(खटीमा)
3- शहीद स्व.सलीम अहमद
(खटीमा)
4- शहीद स्व.गोपीचन्द
(ग्राम-रतनपुर फुलैय्या, खटीमा)
5- शहीद स्व.धर्मानन्द भट्ट
(ग्राम-अमरूकला, खटीमा)
6- शहीद स्व.परमजीत सिंह
(ग्राम राजीवनगर, खटीमा)
7- शहीद स्व.रामपाल
(निवासी-बरेली, उ.प्र.)
image (उपलब्ध चित्र ऊपर दिये हैं)
“खटीमा गोलीकाण्ड की 17वीं बरसी” पर 
उत्तराखण्ड आन्दोलन के 
इन महान सपूतों 
और क्रान्तिकारियों को 
मैं अपने श्रद्धासुमन समर्पित करता हूँ!

3 टिप्‍पणियां:

  1. सभी हुतात्माओं को आपके साथ साथ हमारी भी विनम्र श्रद्धांजलि !

    उम्दा पोस्ट !

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  2. आज उतराखंड राज्य का अस्तित्व .... इन्ही बलिदानियों कि शहादत कि वजह से है .......

    इनके चरणों में अपन कि भी भावपूर्ण श्रधांजलि

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  3. जो लोग जम्मू कश्मीर की `आजादी’ के लिये लड रहे हैं, फिर तो वे भी शहीद हैं।
    अपने हक के लिये लडने वाले माओवादी भी शहीद हैं।
    असम के ‘क्रान्तिकारी’ भी शहीद हैं।
    उन्हे हम शहीद क्यों नहीं कहते?

    जवाब देंहटाएं

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