मंगलवार, अप्रैल 13, 2010

“ये ज़िन्दगी के मेले…..” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

ब्लॉगिंग तो छोड़नी  है लेकिन..”


 उतर भी आओ अब तो साथ लगी सीढ़ी से!


तुम्हें तो ब्लॉग की दुनिया अभी सजानी है!


जी हाँ यह शाश्वत सत्य है कि
एक दिन ब्लॉगिंग ही नही
दुनिया भी छोड़नी पड़ेगी!
लेकिन
मैं ढिंढोरा पीटकर नहीं छोड़ूँगा!
आये थे अपनी मर्जी से
बिना शोर-शराबे के
और बिना किसी को बताए हुए !
भई हम तो जब जायेंगे
बिना किसी शोर शराबे के ही चले जायेंगे!
न कोई मुहूर्त
और न कोई दिन बार!
न त्याग पत्र देंगे
और न ही किसी को कोई सूचना देंगे!
न कोई स्वागत करेगा
और न ही कोई भाव-भीनी विदाई देगा!
मैंने ब्लॉग जगत में कई बार पढ़ा है कि
अमुक ब्लॉगर ने ब्लॉगिंग छोड़ने की घोषणा कर दी है!
लेकिन एक विदेशी मूल की महिला की भाँति कोई भी अपने निर्णय पर अडिग नही रह सका!
परन्तु हम तो-
जब मन होगा आयेंगे
और जब मन होगा जायेंगे!
यही तो ब्लॉगिंग का मज़ा है!



ये ज़िंदगी के मेले
दुनिया में कम न होंगे,
अफ़सोस हम न होंगे...

11 टिप्‍पणियां:

  1. पोस्‍ट के शब्‍द टूट रहे हैं, पढ़ने में कठिनाई हो रही है जरा देख लें। सभी को जाना है लेकिन अभी नहीं। आपकी तो बहुत ही आवश्‍यकता है।

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  2. सही कहा आपने...ये सब भी ब्लोगिंग के मज़े हैं...

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  3. जब मन होगा आयेंगे
    और जब मन होगा जायेंगे!
    यही तो ब्लॉगिंग का मज़ा है!
    .....Blog bhi to ek pariwar hai aur apne pariwar ko chhodar koi kitna door ja sakta hai.... rahi duniya chhodne kee baat.. wah to kisi ko bhi pata nahi..
    Aap lambhi aur swasth jindagi jiyen aur sabko apna ashirvaad aur pyar yun hi blog ke madhya se baantre rahen mera yahi kahan hai...
    Hamari Bahut shubhkamnayne

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  4. तस्वीर तो बहुत ही बढ़िया लगाया है आपने पर ध्यान से उतरिएगा ! जाना तो खैर सभी को पड़ेगा पर हाँ आपने सही कहा है की शोर शराबा करके जाने की कोई ज़रुरत नहीं!

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  5. जब मन होगा आयेंगे
    और जब मन होगा जायेंगे!
    यही तो ब्लॉगिंग का मज़ा है!
    आने वालो का स्वागत है पर जाने कौन देगा

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  6. ऐसी ही एक फोटुवा हमारी भी टंकी के साथ खिंचवा कर भिजवा दीजिए डॉक्‍टर साहब। बहुत खपसूरत आई है।

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  7. शास्त्री जी विदेशी मूल की महिला सोनिया गांधी तो अपने कहे पर खरी उतरीं तभी तो प्रधानमंत्री की गद्दी पर नहीं बैठीं ...वैसे आपकी टंकी और उसपर बैठे आप ..दोनों ही फ़ोटुएं शानदार हैं । चलिए अगली बार जब हम टंकी पर चढेंगे तो किसी को भी नहीं बताएंगे ....विदाई का और दोबारा से वापसी का लफ़डा ही खत्म हो जाएगा ..। जिंदगी के मेले में..... ब्लोग्गिंग का यही तो मजा है ...सच कहा आपने । फ़ट से विदाई और झट से स्वागत भी ......हा हा हा

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  8. ब्लॉगिंग की दुनिया तो है ही मनमर्ज़ी की!
    --
    शास्त्री जी का कहना बिल्कुल सही है!

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