एक बार जंगल में एक शेर ने हिरन का शिकार किया! शेर के पूरे परिवार ने हिरन का मांस खाया! जब कुछ हड्डियाँ शेष रह गईं तो शेर का परिवार उन्हें छोड़कर अपनी माँद में चला गया! एक भेड़िया तो इस ताक इस इन्तजार में कब से आस लगाए बैठा था! शेर के जाते ही उसने भी हड्डियाँ चाटनी शुरू कर दीं! छोटी मोटी हड्डियों को वो चबा भी लेता था! लेकिन एक हड्डी उसके गले में फँस गई! भेड़िये के तो प्राण ही निकले जा रहे थे! अतः वह दर्द से छटपटाता हुआ इधर-उधर भागने लगा! तभी उसकी नजर एक सारस पर पड़ी! उसने सारस से अपने प्राणों की भीख माँगते हुए गिड़गिड़ाकर कहा कि सारस भइया तुम अपनी लम्बी चोंच से मेरे गले में फँसी हुई हड्डी निकाल दो! मैं आपका बहुत ही उपकार मानूँगा और इसके बदले में मैं तुम्हें ईनाम भी दूँगा! इस पर सारस को दया आ गई और उसने अपनी लम्बी चोंच भेड़िये के गले में डाल कर उसमें फँसी हड्डी को निकाल दिया! इससे भेड़िए को काफी आराम मिल गया! अव सारस ने भेड़ि से कहा कि भइया मेरा ईनाम तो मुझे दे दो! यह सुनते ही भेड़िए की आँखें लाल हो गई! वह बड़े गुस्से में सारस से बोला- "अरे मूर्ख! तुझे ईनाम चाहिए! भेड़िए के मुँह में चोंच डालकर भी तू जिन्दा है, क्या यह किसी ईनाम से कम है? जा भाग जा यहाँ से! नही तो तुझे मैं कच्चा ही चबा जाऊँगा!" भेड़िया का रौद्र रूप देख कर सारस डर के मारे थर-थर काँपने लगा और उसने यहाँ से भागने में ही अपनी भलाई समझी! सारस अपने मन में सोच रहा था कि दुष्ट का कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए! |
सच मे तकदीर वाला था सारस जो बच गया.
जवाब देंहटाएंसही बात है दुष्टों से तो दुरी ही भली
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंnahin karunga ji.......
जवाब देंहटाएंlekin main to khud hi dusht hun to kya khud par bhi vishvaas na karun ?
bilkul sahi baat......dusht se to doori hi bhali.
जवाब देंहटाएंप्रेरक कहानी !
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं, मयंक जी!
जवाब देंहटाएंप्रेरक कथा, आभार.
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग....आज तो हर जगह दुष्ट ही नज़र आते हैं...
जवाब देंहटाएंbahut badhiya guru ji.
जवाब देंहटाएंसारस ने तो गजब दुस्साहस कर दिया, ताकतवर लोगों की मदद करना तो उसका धर्म है। वो इनाम की बात करता है यह तो ठीक नहीं। बेचारी गरीब जनता को तो दुष्टों के लिए मरना भी पड़े तो हँसते-हँसते प्राण देने चाहिए।
जवाब देंहटाएंमैंने ब्लॉग जगत में कई बार पढ़ा है कि
जवाब देंहटाएंअमुक ब्लॉगर ने ब्लॉगिंग छोड़ने की घोषणा कर दी है!
लेकिन एक विदेशी मूल की महिला की भाँति कोई भी अपने निर्णय पर अडिग नही रह सका!.nice
हम भी तो सबसे यही कहते फिर रहे हैं कि हर वक्त भारतीय संस्कृति व सुरक्षावलों को बदनाम करते फिरते दुष्टों पर विशवास मत करो ।आपने तो हमारे मन की बात कह दी ।अपको धन्यावाद।
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