"मन्त्री प्रमुख! बापू गौण!!"
आज दो अक्टूबर है।हर साल की तरह इस बार भी खटीमा तहसील में श्रद्धेय बापू जी और पं.लालबहादुर शास्त्री का जन्म-दिन मनाया जाना था। मैं विगत 26 वर्षों से राष्ट्रीय पर्वों पर तहसील में होने वाले कार्यक्रमों में अवश्य जाता हूँ। मगर इस बार तो नज़ारा बदला-बदला सा था।
तहसीलदार 25 हजार की घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा जा चुका था। एस.डी.एम. छुट्टी पर था। ले-देकर नायबतहलीलदार ही औपचारिकता निभाने के लिए बचा था।
इस अवसर पर न महात्मा गांधी जी का गुणगान, न कोई व्याख्यान। जल्दबाजी में गांधी जी और पं.लालबहादुर शास्त्री जी के चित्र पर तिलक किया और समापन।
जब कारण पूछा गया तो पता लगा कि पास के किसी गाँव में शिक्षा-मन्त्री जी आ रहे हैं।
अब अपने प्यारे तिरंगे की बात करते हैं।
तहसील के एक छोटे कर्मचारी ने चुपचाप जाकर तिरंगा फहरा दिया।
न राष्ट्र-गान और न सलामी।
वाह री देव-भूमि, उत्तराखण्ड।
"मन्त्री प्रमुख! बापू गौण!!"
क्या करें मयंक जी बहुत दुख होता है जब देश का ये हाल देखते हैं क्योंकि हमने तो बहुत अच्छे समय को भी देखा है जब इन बातों का महत्व हुया करता था अब तो राम ही राखा है आभार्
जवाब देंहटाएंअब तो राम ही राखा ह nirmala je ka kathan shashvat satya hain....
जवाब देंहटाएंअब तो राम ही राखा ह nirmala je ka kathan shashvat satya hain....
जवाब देंहटाएंमंत्री के कार्यक्रम मे नही गया तो ट्रांसफ़र होना तय है जिसे बापू तो रुकवा नही पायेंगे,तो आप ही बताईये वड्डा कौन?
जवाब देंहटाएंjab aise desh ke karndhar honge to sochiye desh ka kya hoga..........aaj sab sirf opcharikta hi nibhate hain dil se to aam jan hi yaad karte hain.
जवाब देंहटाएंkya karen ab dukh to hota hi hai....
जवाब देंहटाएंइस देश में गाँधी के नाम पर क्या नहीं होता...चलिए किसी ने तो तिरंगा फहरा दिया...चपरासी ही सही...आखिर गाँधी जी भी तो सभी सर्व-उत्थान और सशक्तिकरण की बात करते थे...
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने.....तभी देश का ये हाल है आज.....कभी तो होगा सुन्दर सवेरा ....सभी के प्रयासों से !!
जवाब देंहटाएंकभी कभी शर्म आती है अपने आप को इस देश का वासी कहते हुए ।
जवाब देंहटाएं