बुधवार, सितंबर 16, 2009

‘‘हिन्दी संयुक्ताक्षर’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


यदि संयुक्ताक्षर शब्द के अर्थ पर ध्यान दें तो संयुक्त + अक्षर। अर्थात् दो या दो से अधिक अक्षरों के मेल से बने अक्षरों को संयुक्ताक्षर कहते हैं।
देखने में यह आया है कि विद्वानों ने ‘‘क्ष’’ ‘‘त्र’’ ‘‘ज्ञ’’ को तो हिन्दी वर्णमाला में सम्मिलित करके या तो इन्हें प्रिय मान लिया है या इन्हें संयुक्ताक्षर की परिधि से पृथक कर दिया है। यह मैं आज तक समझ नही पाया हूँ। जबकि संयुक्ताक्षरों की तो हिन्दी में भरमार है। फिर ‘‘क्ष’’ ‘‘त्र’’ ‘‘ज्ञ’’ को हिन्दी वर्णमाला में क्यों पढ़ाया जा रहा है?
कहने का तात्पर्य यह है कि हिन्दी का ज्ञान प्राप्त करने वाला विद्यार्थी कभी इनकी तह में जाने का प्रयास ही नही करता है। इसीलिए आज इनका उच्चारण भी दूषित हो गया है।
क् + ष = क्ष, इसका उच्चारण आज ‘‘छ’’ ही होने लगा है।
त् + र = त्र, इसकी सन्धि पर किसी का ध्यान ही नही है और
ज् + ञ = ज्ञ,
सबसे अधिक दयनीय स्थिति तो ‘‘ज्ञ’’ की है।
‘‘ज्ञ’’ का उच्चारण तो लगभग ९९.९९ प्रतिशत लोग ‘‘ग्य’’ के रूप में करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि यह पढ़े-लिखे लोग हिन्दी की वैज्ञानिकता को झुठलाने लगे हैं।
आखिर इस स्थिति का जिम्मेदार कौन हैं?
मैं इसका यदि सीधा-सपाट उत्तर दूँ तो-
इसकी जिम्मेदार केवल और केवल ‘‘अंग्रेजी’’ है।
उदाहरण के लिए यदि ‘‘विज्ञान’’ को रोमन अंग्रेजी में लिखा जाये तो VIGYAN विग्यान ही लिखा जायेगा। यही हमारे रोम-रोम में व्याप्त हो गया है।
आज आवश्यकता है कि हिन्दी वर्णमाला में से ‘‘क्ष’’ ‘‘त्र’’ ‘‘ज्ञ’’ संयुक्ताक्षरों को बाहर कर दिया जाये। तभी तो संयुक्ताक्षरों का मर्म हिन्दी शिक्षार्थियों की समझ में आयेगा।
तब अन्य संयुक्ताक्षरों के साथ -
घ् + र = घ्र, घ् + न = घ्न, ष् + ट = ष्ट, आदि के साथ
क + ष = क्ष, त् + र = त्र, ज् + ञ = ज्ञ और श् + र = श्र
सिखाया जा सकेगा।

17 टिप्‍पणियां:

  1. ज्ञानवर्धक जानकारी
    आभार

    बी एस पाबला

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  2. उपयोगी ज्ञान। इसे फैलाना आवश्‍यक है।

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  3. बहुत ही अच्छी जानकारी.. आपकी इस शृंखला से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है.. कृपया इसे जारी रखें.. हैपी ब्लॉगिंग

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  4. अच्छी जानकारी.
    आभार

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  5. बहुत ही अच्छी और ज्ञानवर्धक पोस्ट. सभी के लिए उपयोगी.

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  6. शास्त्री जी नमस्कार
    आपकी बातें बिल्कुल ठीक हैं
    परन्तु जरूरत वर्णमाला के उच्चारण को एमपी3 बनाकर आप अपने ब्लॉग पर
    डालने की कृपा करें। इसके बिना समाधान मुिश्कल है।
    रही बात संयुक्त व्यंजनों की इनके लिए यूनिकोड़ में भी सुविधा कम है।
    हम सब लोग काम चलाने वाले बन गए हैं।
    एक दूसरे को कुछ कहने और एक दूयरे से कुछ सुनने में गुरेज़ कर रहे हैं।
    हम सब को कुछ कश्ट सहकर इस काम को ठीक करना होगा।
    आशा है आप जैसे निश्ठावान इसे देश की सेवा मान कर जरूर प्रयास करते
    रहेंगे।
    रमेश सचदेवा `आचार्य´
    एचपीएस सीनियर सैकेण्डरी स्कूल
    शेरगढ, मंडी डबवाली

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  7. सही बात शास्त्री जी लेकिन जो रोमन मे है वही लोगो के रोम रोम मे है

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  8. bahut hi upyogi aur gyanvardhak jankari uplabdh karwayi hai............aabhar.

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  9. बहुत ही अच्छी, महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी दी है आपने !

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  10. संयुक्ताक्षरों बहुत दिनों बाद कुछ पढ़ा .... अच्छा लगा...धन्यवाद!

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  11. bahut hi gyanvardhak jaankaaari....... hum to ab tak ke iska matlab galat hindi ka istemal kar rahe they......

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    1. नही डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी में आपकी बात से सहमत नही हुं
      VIGYAN विग्यान यह दोनों ही है [ ज्ञ } अक्षर के साथ ं की मात्रा का समावेश भी होताहै।

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