आज लोगों को स्वाइन-फ्लू का डर सता रहा है। इससे पहले बर्ड-फ्लू फैल गया था। वह दिन दूर नही जब बकरा-फ्लू और भैंसा-फ्लू भी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लेगा। लेकिन आज तक लौकी-फ्लू, टिण्डा-फ्लू , तुरई-फ्लू, परबल--फ्लू या करेला-फ्लू का नाम नही सुना गया। इतनी बात तो तय है कि ये सारी बीमारियाँ केवल मांसाहार से ही होती हैं। भारत के ऋषि-मुनि यह समझाते-समझाते हार गये कि मांसाहार छोड़ो। आज वह समय आ गया है कि लोग स्वयं ही मांसाहार छोड़कर शाकाहारी बनने को मजबूर हो गये हैं। कुदरत की एक ही मार से दुनियाभर के होश ठिकाने आ गये। सच ही है कि कुदरत की लाठी में आवाज नही होती है। |
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satya kahaa aapne............
जवाब देंहटाएंaapki baat ko pranaam !
bilkul sahi farmaya aapne..........itna samajh lein to baat hi kya hai
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