1. जो धम्म
प्रज्ञा की वृद्धि करे--
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जो धम्म सबके लिए ज्ञान के द्वार खोल दे
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जो धम्म यह बताए कि केवल विद्वान होना
पर्याप्त नहीं है
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जो धम्म यह बताए कि आवश्यकता प्रज्ञा
प्राप्त करने की है
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2. जो धम्म
मैत्री की वृद्धि करे--
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जो धम्म यह बताए कि प्रज्ञा भी पर्याप्त
नहीं है, इसके साथ
शील भी अनिवार्य है
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जो धम्म यह बताए कि प्रज्ञा और शील के
साथ-साथ करुणा का होना भी अनिवार्य है
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जो धम्म यह बताए कि करुणा से भी अधिक
मैत्री की आवश्यकता है।
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3. जब वह सभी
प्रकार के सामाजिक भेदभावों को मिटा दे
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जब वह आदमी और आदमी के बीच की सभी दीवारों
को गिरा दे
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जब वह बताए कि आदमी का मूल्यांकन जन्म से
नहीं कर्म से किया जाए
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जब वह आदमी-आदमी के बीच समानता के भाव की
वृद्धि करे
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