रविवार, अगस्त 08, 2010

“स्वर-अर्चना चावजी का!” (गीतकार-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

 गीत मेरा:
स्वर-अर्चना चावजी का!  
जीवन में खुशहाली लेकर   
आया है चौमास!! 
खेतों में हरियाली लेकर आया है चौमास! 
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!! 
 
सन-सन, सन-सन चलती पुरुवा, जिउरा लेत हिलोर,
इन्द्रधनुष के रंग देखकर, नाचे मनका मोर,
पकवानों की थाली लेकर आया है चौमास!
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!!
 
झूले ने उपवन चहकाया, महका है परिवेश,
सावन के गीतों ने गाया, मिलने का सन्देश,
चोटी, बिन्दी, लाली लेकर आया है चौमास!
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!!

सूरज आँख-मिचौली करता, श्याम घटा के संग,
तालाबों में कमल खिले हैं, भरकर नूतन रंग,
नभ में बदली काली लेकर आया है चौमास!
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!!

6 टिप्‍पणियां:

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