गोष्ठी में बाबा को सम्मानित करते हुए डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक एवं श्री जसराम रजनीश
 हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि बाबा नागार्जुन की अनेकों स्मृतियाँ आज भी मेरे मन में के कोने में दबी हुई हैं। मैं उन खुशकिस्मत लोगों में से हूँ, जिसे बाबा का भरपूर सानिध्य और प्यार मिला। बाबा के ही कारण मेरा परिचय सुप्रसिद्ध कवर-डिजाइनर और चित्रकार श्री हरिपाल त्यागी और साहित्यकार रामकुमार कृषक से हुआ। दरअसल ये दोनों लोग सादतपुर, दिल्ली मे ही रहते हैं। बाबा भी अपने पुत्र के साथ इसी मुहल्ले में रहते थे। बाबा के खटीमा प्रवास के दौरान खटीमा और सपीपवर्ती क्षेत्र मझोला, टनकपुर आदि स्थानों पर उनके सम्मान में 1989-90 में कई गोष्ठियाँ आयोजित की गयी थी। बाबा के बड़े ही क्रान्तिकारी विचारों के थे और जो उनके स्वभाव में भी सदैव परिलक्षित होता था। किसी भी अवसर पर सही बात को कहने से वे चूकते नही थे। एक बार की बात है। खटीमा के राजकीय महाविद्यालय में हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष श्री वाचस्पति के निवास पर बाबा से मिलने कई स्थानीय साहित्यकार आये हुए थे। जब 5-7 लोग इकट्ठे हो गये तो कवि गोष्ठी जैसा माहौल बन गया। बाबा के कहने पर सबने अपनी एक-एक रचना सुनाई। बाबा ने बड़ी तन्मयता के साथ सबको सुना। उन दिनों लोक निर्माण विभाग, खटीमा में त्रिपाठी जी करके एक जे.ई. साहब थे। जो बनारस के रहने वाले थे। सौभाग्य से उनके पिता जी उनके पास आये हुए थे, जो किसी इण्टर कालेज से प्रधानाचार्य के पद से अवकाश-प्राप्त थे। उनका स्वर बहुत अच्छा था। अतः उन्होंने ने भी बाबा को सस्वर अपनी एक कविता सुनाई। बाबा नागार्जुन ने बड़े ध्यान से उनकी कविता सुनी तो त्रिपाठी जी ने पूछ ही लिया- "बाबा आपको मेरी कविता कैसी लगी।" बाबा ने कहा-‘‘त्रिपाठी जी अब इस रचना को बिना गाये फिर पढ़कर सुनाओ।’’ त्रिपाठी जी ने अपनी रचना पढ़ी। अब बाबा कहाँ चूकने वाले थे। बस डाँटना शुरू कर दिया और कहा- ‘‘त्रिपाठी जी आपकी रचना को स्वर्ग में बैठे आपके अम्माँ-बाबू ठीक करने के लिए आयेंगे क्या? खड़ी बोली की कविता में पूर्वांचल-भोजपुरी के शब्दों की क्या जरूरत है।’’ इसकेबाद बाबा ने विस्तार से व्याख्या करके अपनी सुप्रसिद्ध रचना-‘‘अमल-धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है।’’ को सुनाया। उस दिन के बाद त्रिपाठी जी इतने शर्मिन्दा हुए कि बाबा को मिलने के लिए कभी नही आये।
शेष अगले संस्मरण में............... |
आपका सौभाग्य है कि बाबा का सानिध्य प्राप्त रहा. अच्छा लगा संस्मरण पढ़कर.
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंachi jankari di aap ne hame
ज़हे नसीब!
जवाब देंहटाएंsundar sansmaran.
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