पण्डित किसे कहते हैं? जो धर्मात्मा, सत्यवादी, विद्वान और सत्य और असत्य को अपने विवेक से समझकर कार्य करता है। उसको पण्डित कहते हैं! -- मूर्ख किसे कहते हैं? जो अज्ञान, हठ, दुराग्रह और अविवेक से कार्य करता है। उसको मूर्ख कहते हैं! -- प्रसंगवश् मुझे एक संस्मरण याद आ रहा है - लगभग 15 वर्ष पूर्व की बात है एक भानजे ने अपने मामा पर स्थानीय न्यायालय में मानहानि का वाद दर्ज करा दिया। दो गवाह भी खोज लिए! दो वर्षों तक केस चलता रहा! लेकिन कुदरत की माया थी कि 6 – 6 माह के अन्तराल में उसके दोनों गवाह ऊपर वाले ने बुला लिए! अब तो केस में कुछ रहा ही नही था! एक दिन मैंने इस व्यक्ति से पूछा कि तुम अपना समय क्यों व्यर्थ की बातों में जाया करते हो? उसने उत्तर दिया- “मेरा समय नष्ट होता है इसका मुझे को गम नही है। लेकिन मेरे मामा जी का समय बहुत कीमती होता है। यदि उनका समय नष्ट होता है तो मुझे बहुत प्रसन्नता होती है!” आज अक्सर यही मानसिकता हमारे समाज में तेजी के साथ विकसित हो रही है! जो चिन्ता का विषय है! -- चीनी सन्त कन्फ्यूसियस मृत्यु-शैय्या पर पड़े थे! एक दिन उन्होंने अपने शिष्यों को अपने पास बुलाया और अपना मुँह खोल कर एक-एक को दिखते और पूछते- “देखो मेरे मुँह में दाँत है!” सभी शिष्यों ने नही में उत्तर दिया! अब कन्फ्यूसियस ने पुनः प्रश्न किया- “मेरे मुँह में जीभ है!” सभी शिष्यों ने उत्तर दिया- “जी हाँ!” सन्त ने अपने शिष्यों को कहा- “प्रिय शिष्यों देखो! दाँत मुझे भगवान ने बाद में दिये थे और जीभ माँ के उदर से साथ में आई थी। आज मैं दुनिया से जा रहा हूँ। दाँत मुझे वर्षों पूर्व छोड़ गयो और और जीभ आज भी मेरे साथ है!” जानते हो क्यों? दाँत अपनी कठोरता के कारण समय से पूर्व ही विदा हो गये! लेकिन जीभ अपनी कोमलता के कारण आजीवन साथ रही! तुम लोग भी कोमल व मधुर स्वभाव के बने रहना! यही मेरा अन्तिम उपदेश है! |
जो धर्मात्मा, सत्यवादी, विद्वान और सत्य और असत्य को अपने विवेक से समझकर कार्य करता है। उसको पण्डित कहते हैं!
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने.....
बढिया प्रेरणादायी पोस्ट!
आभार!
बहुत सुन्दर काम की बातें हैं
जवाब देंहटाएंपरेशान करने वालो को परेशान करने में ही मजा आता है
सत्य वचन।
जवाब देंहटाएंAapka updesh sar mathe par ....!!
जवाब देंहटाएंAake chrcha manch mein kahin chrcha dikhayi nahin di jiski chrcha aap mere blog pe kar aayr the .....!!