सोमवार, दिसंबर 21, 2009

"तिजोरी आपकी है?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

कोठी-कुठले सभी तुम्हारे,
चाबी को मत हाथ लगाना।
सुख हैं सारे साथ हमारे,
तुम दुख में मुस्काते रहना।।
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इशारों-इशारों में हम कह रहे हैं,
अगर हो सके तो इशारे समझना।

मेरे भाव अल्फाज बन बह रहे हैं,
नजाकत समझना नजारे समझना।
अगर हो सके तो इशारे समझना।।
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हमारी वेदना यह है कि हमने एक घर में साझा कर लिया। बहुत से सुनहरी स्वप्न सजाए। घर को धन-धान्य से परिपूर्ण कर दिया। लेकिन आज भी हम अपने साझीदार के लिए सिर्फ और सिर्फ कमाने की मशीन हैं। यानि सबसे ज्याद मेंहनत हमने ही की। जिस तिजोरी को हम परिश्रम करके आज तक भर रहे हैं, अफसोच् कि उसकी चाभी आज भी हमारे पास नही है।

इसीलिए तो हमने अपना नया घर बना लिया है।

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संयुक्त परिवारों की यही तो वेदना है कि घर का स्वामी अन्य सद्स्यों को केवल कमाने की मशीन समझता है।

शायद इसीलिए नये घर बन जाते हैं। पुराने घर से मोह तो रहता है लेकिन अपने पराये की भावना तो आ ही जाती है।

यदि घरों को टूटने से बचाना है तो गृह स्वामियों को घर के सभी सदस्यों को कर्तव्य के साथ अधिकार भी देने होंगे।

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गीत पुराने, नये तराने अच्छे लगते हैं।

मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं।

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10 टिप्‍पणियां:

  1. अपने पराये की भावना आने पर ही तो परिवार में बिखराव होता है

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  2. वाह शास्त्री जी बहुत सुंदर विचार हैं ..

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  3. शास्त्री जी-सदा से यही होता आया है इसलिए अपना घर भी होना जरुरी है। फ़िर चौका चुल्हा भी अपना और तिजोरी भी अपनी। बहुत सुंदर विचार

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  4. "यदि घरों को टूटने से बचाना है तो गृह स्वामियों को घर के सभी सदस्यों को कर्तव्य के साथ अधिकार भी देने होंगे।"
    बेहद जरूरी सन्देश !

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  5. पूरी धरती को एक परिवार की तरह जोड़ने के दावे के साथ परिवारों की यह टूटन आज के युग की विडम्बना है . मयंक जी, आप ने इसे बखूबी व्यक्त किया है .

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  6. aapne to bahut hi khoobsoorti se sanyukt aur ekal pariwar ka dard bayan kar diya.........bahut hi badhiya salaah hai agar log in par amal karne lagein to aaj bhi pariwar jude rahein ........samasya to sirf yahi hai ki koi bhi apna adhikar chodna nhi chahta aur kartavyon ki ummeed sabse ki jati hai agar bujurg pahal karke satta saunpne ki koshish karein to aaj bhi pariwar pahle jaise hi khushhal ho jayein.

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  7. एकदम सही कहा आपने ।

    गीत पुराने, नये तराने अच्छे लगते हैं।
    मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं।

    अहिंसा का सही अर्थ

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  8. शायद इसी लिए आज हमारे नेता देश मे राज्यों मे से भी नये राज्य की माँग कर रहे हैं.....

    बढ़िया पोस्ट है।बधाई।

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  9. बहुत सुन्दर विचार हैं । धन्यवाद। कविता भी बहुत अच्छी लगी। बधाई

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