मंगलवार, अक्टूबर 27, 2009

"नाम के कुत्ते - काम के वफादार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")




स्वामीभक्ति की 
जीती-जागती मिसाल -


नाम के कुत्ते - 
काम के वफादार,


बिन झोली के भिखारी
रोटी के 
चन्द टुकड़ों के लिए -


स्वामी पर 
जान न्योछावर करने वाले-

इन सदस्यों के हवाले 
आज घर की

पूरी रखवाली सौंपकर
दिल्ली जा रहा हूँ।


परसों
फिर ब्लॉगिंग की 
सेवा में 
हाजिर हो जाऊँगा।


तब तक के लिए
नमस्ते!!!


मोबाइल नं.
09368499921
09997996437

12 टिप्‍पणियां:

  1. पलकें बिछाए हम दिल्ली वाले बैठे है.

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  2. आपकी दिल्ली यात्रा शुभ हो. दिल्ली वालों से मिलकर उनका दिल लेते आना. बहुत सुंदर दिल हैं उनके.

    रामराम.

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  3. शास्त्री जी जान निकाल देते हो।
    बस सब कुछ अस्त व्यस्त हो जाता है
    इतनी सच्ची और सुच्ची कवितांए पढ़कर
    बस इतना ही कहूँगा कि आज तो रूला दिया
    इतना दर्द, इतनी संवेदना
    परन्तु जानता हूँ क्यूँ
    क्योंकि
    आप अध्यापक है
    जो सदैव सच्चा, सुच्चा और न्यायप्रिय होता है।

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  4. शास्त्रीजी,

    आपके कोमल हृदय और सतत पराक्रमपूर्ण कर्मठता को प्रणाम करते हुए आपकी देहली यात्रा की संपूर्ण सफलता के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं

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  5. नमस्ते शास्त्री जी, आपकी यात्रा मंगलमय हो!!

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  6. यह सदस्य जान से बढ़ कर आपके घर-परिवार की देखभाल करेंगे. फोटो बहुत अच्छी लगीं. शुभ-यात्रा.

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  7. आपकी दिल्ली यात्रा शुभ हो,वैसे मैं भी दिल्ली जा रहा हूँ २८ की रात में और ३ तक हूँ वहाँ !

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  8. shastri ji delhi mein aapka swagat hai..........jis uddeshya se yatra ki hai wo poorna ho.

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  9. इन चित्रो को देख कर पाबला जी की डेज़ी के जाने का गम कुछ कम हुआ ।

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